जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को पहलगाम में एक विशेष कैबिनेट मीटिंग करके आतंकवादियों के संदेश देने की कोशिश की कि भारत के लोग डरने वाले नहीं हैं। 22 अप्रैल को हुए इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे। इस बैठक का मकसद साफ था - सरकार आतंकवाद के कायराना कृत्यों से डरेगी नहीं। यह पहली बार है जब इस

सरकार के कार्यकाल में कैबिनेट बैठक ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर या शीतकालीन राजधानी जम्मू के बाहर हुई।

 

बैठक के बाद, मुख्यमंत्री कार्यालय ने X पर पहलगाम क्लब में हुई बैठक की तस्वीरें साझा कीं। कार्यालय ने लिखा, ‘आज पहलगाम में कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की। यह सिर्फ़ प्रशासनिक कार्य नहीं, बल्कि एक साफ संदेश है - हम आतंकवाद के कायराना कृत्यों से डरते नहीं। शांति के दुश्मन हमारी मज़बूती को नहीं रोक सकते। जम्मू-कश्मीर मजबूत और निडर है।’

 

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‘पर्यटन को विवाद से अलग रखना चाहिए’

इस मौके पर उन्होंने कहा, 'पर्यटन को किसी भी विवाद से अलग रखा जाना चाहिए। पर्यटन हमारे लिए एक आर्थिक गतिविधि है। यह लोगों के लिए आमदनी का एक ज़रिया है। लेकिन दुर्भाग्य से इसे राजनीति से जोड़ दिया गया है। हमारी सरकार कोशिश करेगी कि पर्यटन को मौजूदा हालातों से अलग रखा जाए। हम चाहते हैं कि दुनिया जम्मू-कश्मीर के पर्यटन को एक आर्थिक गतिविधि के रूप में देखे। हमें सावधानी से कदम उठाने होंगे, लेकिन हम पूरी कोशिश करेंगे कि जल्द ही कश्मीर और घाटी में पर्यटन फिर से शुरू हो सके। पिछले 5-6 हफ्ते देश के लिए मुश्किल भरे रहे हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर ने सबसे ज़्यादा नुकसान उठाया है। इस स्थिति से उबरने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार तय करेगी कि क्या कदम उठाने हैं। मुझे विश्वास है कि केंद्र सरकार हमें पूरा समर्थन देगी।'

 

आगे उन्होंने कहा कि बायसरन की घटना के बाद यह तय किया गया कि सिक्युरिटी ऑडिट करके कुछ जगहों को एक के बाद एक करके खोल दिया जाना चाहिए।

 

 

आतंकियों के लिए संदेश

पहलगाम में यह बैठक इसलिए अहम है, क्योंकि अप्रैल के आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इससे पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई। इस बैठक से सरकार ने स्थानीय लोगों के साथ एकजुटता दिखाई और आतंकवादियों को संदेश दिया कि हिंसा यहां स्वीकार्य नहीं है।

 

उमर अब्दुल्ला ने 2009-14 में अपने पहले कार्यकाल में भी गुरेज़, माछिल, तंगधार, राजौरी, और पुंछ जैसे दूरदराज़ इलाकों में कैबिनेट बैठकें की थीं। शनिवार को नीति आयोग की बैठक में उन्होंने केंद्र से अपील की थी कि PSU (सार्वजनिक उपक्रम) और संसदीय समितियों की बैठकें कश्मीर में हों, ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिले।

 

‘लोगों में डर कम होगा’

मुख्यमंत्री का मानना है कि ये प्रयास लोगों का डर कम करेंगे, सुरक्षा और विश्वास बढ़ाएंगे, और कश्मीर घाटी में पर्यटन को फिर से बढ़ाने में मदद करेंगे। इससे आर्थिक राहत और सामान्य स्थिति बहाल होगी। जम्मू-कश्मीर सरकार ने 28 अप्रैल को जम्मू में एक विशेष विधानसभा सत्र भी बुलाया था, जिसमें पहलगाम हमले के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिशों को नाकाम करने का संकल्प लिया गया।