भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच तुर्किये का नाम एक बार फिर चर्चा में है। भारतीय सैन्य अधिकारियों के अनुसार, 7-8 मई की रात पाकिस्तान ने जम्मू, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में स्थित 36 भारतीय सैन्य ठिकानों को ड्रोन और मिसाइल हमलों का निशाना बनाया। कर्नल सोफिया कुरैशी ने 9 मई को एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि पाकिस्तान ने भारतीय हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करते हुए करीब 300 से 400 ड्रोन का उपयोग किया। इन ड्रोन का उद्देश्य भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने के साथ-साथ खुफिया जानकारी जुटाना भी था। उन्होंने यह भी बताया कि बरामद मलबे की जांच से स्पष्ट हुआ कि हमलों में इस्तेमाल ड्रोन तुर्किये में बने 'एसिसगार्ड सॉन्गर' मॉडल के थे। इस खुलासे के बाद भारत में तुर्किये को लेकर नाराजगी तेज हो गई है। सोशल मीडिया से लेकर आम जनता तक, तुर्की प्रोडक्ट के बहिष्कार और वहां की यात्रा से परहेज करने की अपील की जा रही हैं।

 

इस गुस्से की एक बड़ी वजह 2023 में तुर्किये में आए विनाशकारी भूकंप के समय भारत द्वारा की गई मानवीय मदद है। उस दौरान भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत राहत और बचाव कार्यों में प्रमुख भूमिका निभाई थी। भारत ने बिना किसी शर्त के मदद का हाथ बढ़ाया था। अब जब तुर्किये पर पाकिस्तान को सैन्य सहयोग देने का संदेह जताया जा रहा है, तो यह सवाल उठ रहा है- क्या भारत की दोस्ती का जवाब तुर्किये ने वाकई सही तरीके से दिया? भारत की नाराजगी इसलिए भी वाजिब लगती है क्योंकि एक ऐसा देश, जिसने संकट के समय तुर्किये की भरपूर सहायता की, आज उसी के खिलाफ संभावित रूप से शत्रुतापूर्ण उपकरणों का इस्तेमाल होते देख रहा है। इस सवाल से पहले कि भारत ने तुर्किये की किन-किन मुश्किल घड़ियों में मदद की है, यह जानना जरूरी है कि हाल के वर्षों में तुर्किये और पाकिस्तान के बीच रक्षा सहयोग कितना गहरा हुआ है।

 

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पाकिस्तान और तुर्किये कनेक्शन 

पाकिस्तान और तुर्किये के बीच रक्षा सहयोग हाल के वर्षो में बढ़ा है। तुर्किये ने पाकिस्तान को सॉन्गर ड्रोन के अलावा बायकर टीबी-2 ड्रोन भी दिए। तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप एर्दोगन ने 7 मई को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से फोन पर बात की और भारत के खिलाफ पाकिस्तान की नीतियों का समर्थन किया। भारत के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर तुर्कीये ने भारत की कार्रवाई की निंदा की और इसे 'पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'भारत की सैन्य कार्रवाई से पूर्ण युद्ध का खतरा बढ़ गया है। हम ऐसी उकसावे वाली कार्रवाइयों की निंदा करते हैं।'

 

तुर्किये की सैन्य सहायता

भारत ने दावा किया कि पाकिस्तान ने तुर्किये निर्मित 300-400 Asis Guard Songar ड्रोनों का उपयोग भारत के सैन्य और नागरिक क्षेत्रों पर हमले के लिए किया। इन ड्रोनों के मलबे की फोरेंसिक जांच में तुर्किये का लिंक सामने आया। तुर्किये ने पहले भी पाकिस्तान को Bayraktar TB2 और Akinci ड्रोन, Kemankes क्रूज मिसाइलें, और F-16 जेट अपग्रेड में मदद दी है। 

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भारत ने कब-कब और कैसे तुर्की की सहायता की

भारत ने तुर्किये की कई बार मदद की है, खासकर जब तुर्किये को प्राकृतिक आपदाओं या संकट का सामना करना पड़ा। 2023 के तुर्किये भूकंप से लेकर प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत ने तु्र्किये की हमेशा मदद की, कैसे यहां प्वाइंट में देखें

 

2023 में भूकंप के दौरान जब भारत ने चलाया ऑपरेशन दोस्त


फरवरी 2023 में तुर्किये और सीरिया में 7.8 तीव्रता का भयानक भूकंप आया। इस आपदा में 50,000 से ज्यादा लोग मारे गए, लाखों लोग बेघर हुए और भारी तबाही हुई। इस बीच भारत ने दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए ऑपरेशन दोस्त चलाया और राहत कार्यों के लिए टीमें भेजीं।भारत ने 150 लोगों की तीन राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) टीमें भेजीं। इनके साथ खोजी कुत्ते, बचाव उपकरण, और विशेषज्ञ थे, जिन्होंने मलबे में फंसे लोगों को बचाया।

 

भारतीय सेना ने 30 बेड का एक फील्ड हॉस्पिटल बनाया। इसमें डॉक्टर, नर्स, और पैरामेडिक्स थे, जिन्होंने घायलों का इलाज किया। भारत ने 99 सदस्यों की मेडिकल टीम और ढेर सारी दवाइयां भेजीं। भारत ने टेंट, कंबल, भोजन, पानी, और अन्य जरूरी सामान के कई टन सामग्री भी भेजी। भारतीय वायुसेना के C-17 और C-130 विमानों ने यह सामान और टीमें तुर्की पहुंचाईं। इस ऑपरेशन की खात बात यह थी कि भारत उन पहले देशों में था, जिन्होंने इतनी तेजी से मदद भेजी। तुर्किये के लोगों और सरकार ने भारत की इस मदद की बहुत तारीफ की। भारतीय टीमें कई जिंदगियां बचाने में सफल रहीं।

 

 

1999 में मारमारा भूकंप, जब भारत ने की मदद


अगस्त 1999 में तुर्किये के मारमारा क्षेत्र में 7.6 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें लगभग 17,000 लोग मारे गए और लाखों बेघर हुए। ऐसे में भारत ने तुर्किये को राहत सामग्री, जैसे कंबल, टेंट, दवाइयां, और खाने का सामान भेजा। भारतीय स्वयंसेवी संगठनों और सरकार ने मिलकर तुर्किये के लिए आर्थिक मदद भी जुटाई। भारत ने तुर्किये को पुनर्निर्माण के लिए तकनीकी सहायता की पेशकश की। इसकी खास बात यह थी कि यह उस समय की बड़ी मदद थी, जब भारत और तुर्किये के बीच राजनयिक संबंध अभी उतने मजबूत नहीं थे। फिर भी, भारत ने मानवीय आधार पर सहायता की।

 

कोविड-19 महामारी के दौरान


साल 2020-2021 के दौरान जब पूरी दुनिया में कोविड-19 महामारी फैली तो तुर्किये भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ। ऐसे में भारत ने तुर्किये को जरूरी दवाइयां, जैसे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) और पैरासिटामोल, भेजीं। भारत ने ऑक्सीजन सिलेंडर, वैंटिलेटर, और मास्क जैसी मेडिकल सामग्री भी दी। जब भारत ने 'वैक्सीन मैत्री' शुरू की, तो तुर्किये  को कोविशील्ड वैक्सीन की खेप भेजी गई। खास बात यह रही कि भारत ने खुद महामारी से जूझते हुए भी तुर्किये की मदद की, जिससे दोनों देशों के बीच दोस्ती बढ़ी।

 

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ऐतिहासिक मदद - प्रथम विश्व युद्ध के दौरान


वर्ष 1914-1918 के प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ऑटोमन साम्राज्य (आज का तुर्किये) ब्रिटिश और सहयोगी सेनाओं से लड़ रहा था। उस समय भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था लेकिन भारतीय मुसलमानों ने ऑटोमन साम्राज्य के समर्थन में 'खिलाफत आंदोलन' चलाया। डॉ. एम.ए. अंसारी के नेतृत्व में एक भारतीय मेडिकल मिशन तुर्किये भेजा गया। इस मिशन ने युद्ध में घायल तुर्किये सैनिकों का इलाज किया। भारतीयों ने आर्थिक मदद भी जुटाई और तुर्किये को भेजी। भारत ने यह मदद उस समय की थी, जब भारत खुद आजाद नहीं था, फिर भी भारतीयों ने तुर्किये के लिए एकजुटता दिखाई।