प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम के विशेष प्रस्ताव पर कहा कि नेहरू की गलतियों की वजह से वंदे मातरम के दो टुकड़े हो गए। उन्होंने दावा किया कि जवाहर लाल नेहरू, मुस्लिम लीग के दबाव में आ गए थे, जिसके वजह से उन्होंने वंदे मातरम का अहम हिस्सा हटा दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने उन तारीखों का भी जिक्र किया, जब वंदे मातरम पर बहस हुई।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'अंग्रेजों ने 1905 में बंगाल का विभाजन किया, तो वंदे मातरम् चट्टान की तरह खड़ा रहा। यह नारा गली–गली का स्वर बन गया। अंग्रेजों ने बंगाल विभाजन के माध्यम से भारत को कमजोर करने की दिशा पकड़ ली थी, लेकिन वंदे मातरम् अंग्रेजों के लिए चुनौती और देश के लिए शक्ति की चट्टान बनता गया। बंगाल की एकता के लिए वंदे मातरम् गली–गली का नारा बन गया था, और यही नारा बंगाल को प्रेरणा देता था।'

'मुस्लिम लीग के दबाव में झुक गए थे नेहरू'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से 15 अक्टूबर 1936 को वंदे मातरम् के खिलाफ नारा बुलंद किया। कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा। बजाय इसके कि नेहरू मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को करारा जबाब देते, उसकी निंदा करते, लेकिन उल्टा हुआ। उन्होंने वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी। वह मुस्लिम लीग के दबाव में झुक गए थे।

'नेहरू बोले मुस्लिम भड़क सकते हैं'

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, '1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने मंच पर वंदे मातरम् गाया। यह पहला मौका था जब यह गीत सार्वजनिक रूप से राष्ट्रीय स्तर पर गाया गया। सभा में मौजूद हजारों लोगों की आंखें नम थीं। नेहरू बोले कि इससे मुस्लिम भड़क सकते हैं; इसके बाद कांग्रेस ने वंदे मातरम् के टुकड़े कर दिए।'

'कांग्रेस ने वंदे मातरम की पड़ताल की'

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'वंदे मातरम् के प्रति मुस्लिम लीग की विरोध की राजनीति तेज होती जा रही थी, मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से 15 अक्टूबर 1937 को वंदे मातरम् के विरुद्ध नारा बुलंद किया। फिर कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा, जवाहरलाल नेहरू ने मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को करारा जवाब देने, निंदा करने की बजाय उल्टा वंदे मातरम् की पड़ताल शुरू कर दी।'

'वंदे मातरम मुस्लिमों को भड़का सकता है'

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'जिन्ना के विरोध के 5 दिन बाद ही 20 अक्टूबर को जवाहरलाल नेहरू ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को चिट्ठी लिखी और जिन्ना की भावना से सहमति जताते हुए लिखा कि वंदे मातरम् की आनंदमठ वाली पृष्ठभूमि मुसलमानों को भड़का सकती है। इसके बाद कांग्रेस का बयान आया कि 26 अक्टूबर को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक कोलकाता में होगी जिसमें वंदे मातरम् के उपयोग की समीक्षा की जाएगी।'

'कांग्रेस ने मुस्लिमों के आगे टेके घुटने'

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पूरे देश में इस प्रस्ताव के विरोध में लोगों ने प्रभात फेरियां निकाली लेकिन दुर्भाग्य से 26 अक्टूबर को कांग्रेस ने वंदे मातरम् पर समझौता कर लिया, वंदे मातरम् के टुकड़े कर दिए। उस फैसले के पीछे नकाब यह पहना गया कि यह सामाजिक सद्भाव का काम है लेकिन इतिहास गवाह है कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेक दिए।'



 

'कांग्रेस झुकी, भारत को बंटवारे के लिए झुकना पड़ा'

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'तुष्टीकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस वंदे मातरम् के बंटवारे के लिए झुकी इसलिए कांग्रेस को एक दिन भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा। दुर्भाग्य से कांग्रेस की नीतियां वैसी की वैसी हैं, INC चलते-चलते MMC हो गया है।'