प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ' का जिक्र छेड़ा है। गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने इसका जिक्र किया। उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि जब अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो गई तो इसे 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ' कहा जाने लगा।


राज्यसभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'कांग्रेस की लाइसेंस राज की नीतियों ने भारत को दुनिया की सबसे धीमी आर्थिक वृद्धि दर में धकेल दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं, इस कमजोर वृद्धि दर को, इस विफलता को, दुनिया में किस नाम से कहने की शुरुआत हो गई? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहने लगे। एक समाज का पूरा अपमान। विफलता सरकार में बैठे हुए लोगों की, काम न करने का सामर्थ्य बैठे हुए लोगों का, समझ शक्ति का अभाव बैठे हुए लोगों का, दिन रात भ्रष्टाचार में डूबे हुए लोगों का और गाली पड़ी एक बहुत बड़े समाज को।'


'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ' नया शब्द नहीं है। पिछले साल दिसंबर में राज्यसभा में बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने भी 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ' का जिक्र किया था। मार्च 2023 में एक इंटरव्यू में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने इसका जिक्र करते हुए कहा था, 'भारत एक बार फिर हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ के करीब खतरनाक ढंग से आगे बढ़ रहा है।'

क्या है ये 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ'?

'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ' का हिंदुओं या किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। असल में ये इकोनॉमिक टर्म है, जिसे प्रोफेसर राज कृष्णा ने गढ़ा था। राज कृष्णा दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर थे। 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद प्रोफेसर कृष्णा योजना आयोग के सदस्य भी बने। राज कृष्णा ने पहली बार इस टर्म का इस्तेमाल 1978 में किया था।

 

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क्यों हुआ इसका इस्तेमाल?

दरअसल, आजादी के बाद 1950 से 1980 तक भारत की औसतन सालाना ग्रोथ रेट 4 फीसदी के आसपास थी। इसी धीमी विकास दर की ओर इशारा करते हुए प्रोफेसर कृष्णा ने 'हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ' का इस्तेमाल किया था।

कितनी ग्रोथ थी भारत की?

एक दस्तावेज के मुताबिक, आजादी के बाद 1951-52 में भारत की GDP ग्रोथ रेट 2.3 फीसदी थी। इसके बाद 1980 के दशक तक सालाना GDP ग्रोथ रेट औसतन 4 फीसदी थी। 1980 से 90 तक GPD की ग्रोथ रेट में थोड़ा सुधार हुआ। 1991 में उदारीकरण के बाद ग्रोथ रेट में तेजी से बढ़ोतरी हुई। 1991-92 में ग्रोथ रेट 2 फीसदी से कम थी लेकिन उसके बाद 5 फीसदी से ऊपर चली गई।


हाल ही में आए आर्थिक सर्वे में बताया गया था कि 2024-25 में भारत की GDP ग्रोथ रेट 6.4% होने का अनुमान है। इसी में 2025-26 में ग्रोथ रेट 6.3 से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है।

 

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'हिंदुत्व रेट ऑफ ग्रोथ' और 'भारत रेट ऑफ ग्रोथ'

बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने 'हिंदुत्व रेट ऑफ ग्रोथ' का जिक्र किया था। उन्होंने 7.8 फीसदी की ग्रोथ रेट का जिक्र करते हुए इस शब्द का जिक्र किया था। अब राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने 'भारत रेट ऑफ ग्रोथ' का जिक्र किया है। उन्होंने कहा, 'आज जब पूरी दुनिया भारत की आर्थिक क्षमता को पहचानने लगी है, आज दुनिया तेज गति से आगे बढ़ने वाले देश के रूप में देख रही है, तो आज दुनिया 'भारत रेट ऑफ ग्रोथ' दुनिया देख रही है और हर भारतीय को इसका गौरव है और हम अपनी अर्थव्यवस्था का विस्तार कर रहे हैं।'