कांग्रेस सांसद और लोसकभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी शनिवार को दिल्ली की मशहूर कंप्यूटर इलेक्ट्रॉनिक मार्केट नेहरू प्लेस पहुंचे। नेहरू प्लेस देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक मार्केट मानी जाती है, जहां उन्हें देखने के लिए भारी संख्या में दुकानदार अपनी दुकानों से बाहर निकले। इस दौरान राहुल गांधी ने नेहरू प्लेस के दो स्थानीय तकनीशियन युवाओं से बातचीत की।

 

नेहरू प्लेस का दौरा करने के बाद उन्होंने कहा कि भारत में ज्यादातर मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद 'असेंबल' किए जा रहे हैं लेकिन उनका निर्माण यहां नहीं हो रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में शुरू की गई 'मेक इन इंडिया' स्कीम को कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने देश में फैक्ट्रियों का बूम लाने का वादा किया था। मगर, आज देश का मैन्युफैक्चरिंग ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर क्यों आ गया है? 

 

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प्रतिभाशाली युवक क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे 

कांग्रेस सांसद ने आगे पीएम मोदी से सवाल पूछा कि देश में युवा बेरोजगारी रिकॉर्ड ऊंचाई पर क्यों है? और चीन से आयात दोगुना क्यों हो गई है? उन्होंने नेहरू प्लेस के युवा टेक्निशियन शिवम और सैफ से मुलाकात की। बाद में उन्होंने दोनों युवाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये दोनों प्रतिभाशाली युवक अपनी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि भारत का आर्थिक मॉडल उन्हें मौका नहीं देता।

 

'प्रधानमंत्री के पास अब कोई नया विचार नहीं'

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी के पास अब कोई नया विचार नहीं रह गया है। उन्होंने दावा किया कि सरकार की बहुचर्चित PLI योजना (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना) को चुपचाप बंद किया जा रहा है। उन्होंने एक्स पर लिखा, 'अगर हम खुद नहीं बनाएंगे, तो दूसरों से खरीदते रहेंगे। भारत को अब ईमानदार सुधारों और वास्तविक वित्तीय समर्थन के जरिए घरेलू उत्पादकों को सशक्त करने की जरूरत है। देश को अब बाजार नहीं, निर्माण केंद्र बनना होगा।' उनका सीधा ईशाना चीन से उत्पादों का अधिक आयात करने से था।

 

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हम आयात करते हैं- राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा कि सच तो ये है कि हम सिर्फ असेंबल करते हैं और आयात करते हैं लेकिन निर्माण नहीं करते। इसका सीधा फायदा चीन उठा रहा है। नए विचारों के अभाव में मोदी जी ने आत्मसमर्पण कर दिया है। कांग्रेस सांसद ने यह भी कहा कि कैसे चीन से आयात में आई तेजी ने देश की स्थानीय निर्माण क्षमता और नौकरियों पर घातक असर डाला है। उन्होंने मेक इन इंडिया को जुमला करार देते हुए कहा कि सरकार ने जो वादा किया था, उसकी जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है।

विनिर्माण क्षमता घटकर 14% रह गई

भारत को एक मौलिक बदलावों की जरूरत है, जो ईमानदार सुधारों और आर्थिक मदद के जरिए लाखों उत्पादकों को सशक्त बनाए। हमें दूसरों के लिए बाजार बनना बंद करना होगा। अगर हम यहां निर्माण नहीं करेंगे, तो हम उन लोगों से खरीदते रहेंगे जो निर्माण करते हैं। समय बीत रहा है। उन्होंने कहा कि 2014 में बड़े वादों के साथ शुरू की गई मेक इन इंडिया योजना से न तो देश में कारखानों की बाढ़ आई, न ही युवाओं को रोजगार मिला। उल्टा, देश की विनिर्माण क्षमता घटकर अब सिर्फ 14% रह गई है और युवाओं में बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर है।