तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के एक कार्यक्रम नया विवाद छिड़ गया है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान लोगों से जय श्री राम नारा लगाने की अपील की, खुद भी नारे लगाए, जिसके बाद उनकी आलोचना हो रही है। लोग कह रहे हैं कि किसी सरकारी कॉलेज में कोई संवैधानिक पद पर बैठा शख्स यह कैसे कर सकता है। मदुरै में उन्होंने शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान हुए कार्यक्रम को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं। 

इंस्टीट्यूट स्टेट प्लेटफॉर्म फॉर कॉमन स्कूल सिस्टम-तमिलनाडु (SPCSS-TN) ने कहा है कि राज्यपाल आरएन रवि ने अपने पद का दुरुपयोग किया है, उन्हें पद से इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने सिर्फ हिंदुओं के भगवान का नाम लिया है, छात्रों को इसे दोहराने के लिए कहा है। जब उन्होंने राज्यपाल पद की शपथ संविधान के तहत ली थी तो उन्हें ऐसा करने का अधिकार नहीं है। यह उनके संवैधानिक अधिकारों पर सवाल खड़े करता है। 

क्यों इस्तीफे की मांग हो रही है?
आरएन रवि के आलोचकों का कहना है कि शिक्षा एक धर्मनिरपेक्ष गतिविधि है और गवर्नर का यह व्यवहार धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है। SPCSS जैसे संगठनों ने उन्हें पद से हटाने की मांग की है। SPCSS ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर रवि को हटाने की मांग की है।

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विवाद किस बात पर हुआ था?

शनिवार को आरएन रवि को एक सरकारी कॉलेज में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। वहां उन्होंने पुरस्कार वितरण समारोह में हिस्सा लिया, जिसके बाद छात्रों को संबोधित किया। उनकी स्पीच अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। उनके साहित्यिक पुरस्कार को लेकर सवाल उठ रहे हैं। 

आरएन रवि ने कहा, 'जयश्रीराम के नारे लगाइए। यह हमें आत्मविश्वास देता है कि हमारी जड़ें मजबूत हैं। यह यहीं है, हमें इसे बनाना होगा। हमें इसे आंदोलन की तरह लेना होगा। जय श्री राम, आप भी कहें जयश्री राम।' राज्यपाल ने 3 बार जय श्री राम के नारे लगाए। अब इस बात पर हंगामा हो रहा है।

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क्यों चर्चा में रहे हैं आरएन रवि?
आरएन रवि इन दिनों चर्चा में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बतौर राज्यपाल उनके उस फैसले को गैर-कानूनी ठहराया था, जिसमें उन्होंने तमिलनाडु विधानसभा द्वारा दोबारा पारित 10 विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार के लिए भेज दिया था। इसके जवाब में, तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए इन 10 कानूनों को बिना गवर्नर के असेंट के अधिसूचित कर दिया।