भारत ने फिर से पाकिस्तान के ऊपर 'वाटर बम' यानी पानी के जरिए हमला किया है। भारत ने चेनाब नदी में बगलिहार डैम के जरिए पानी रोक दिया है। भारत सरकार झेलम नदी पर बने किशनगंगा डैम पर भी इसी तरह के कड़े कदम उठाने की योजना बना रही है। इससे पहले भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था। ये तीनों नदियां पाकिस्तान की जीवन दायिनी हैं। 

 

पीटीआई ने एक सूत्र के हवाले से बताया है कि बिजली बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ये डैम जम्मू के रामबन में बगलिहार और उत्तरी कश्मीर में किशनगंगा में हैं। अब इन डैम के जरिए भारत अपने हिसाब से नदी का पानी छोड़ सकता है। 

 

यह भी पढ़ें: 1984 दंगों की जिम्मेदारी लेने को तैयार, राहुल बोले- हमसे गलतियां हुईं

 

पहले से ही विवाद की जड़

 

दरअसल, बगलिहार डैम भारत-पाकिस्तान के बीच लंबे समय से विवाद का विषय रहा है। अतीत में पाकिस्तान ने बगलिहार डैम के विवाद को सुलझाने के लिए विश्व बैंक से मध्यस्थता की मांग की थी। वहीं, किशनगंगा डैम को लेकर दोनों देश कानूनी और कूटनीतिक चाल चलते रहे हैं।  

 

चिनाब और झेलम भारत से होते हुए पाकिस्तान में बहती हैं। देश की जीवन रेखा मानी जाने वाली इन नदियों का इस्तेमाल सिंचाई और पीने के लिए किया जाता है, पाकिस्तान की जनता इन पर निर्भर है। पहलगाम के बाद भारत ने पाकिस्तान के ऊपर तीखी आर्थिक और कूटनीतिक कार्रवाइयां की हैं। इन कार्रवाइयां ने पाकिस्तान को परेशान करके रख दिया है। 

 

पहलगाम हमले के बाद कार्रवाई

 

22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी। हमले के बाद भारत में लोगों के गुस्से को देखते हुए सरकार ने पाकिस्तान के ऊपर कई डात्मक कदम उठाए। भारत ने पाकिस्तान से राजनयिक संबंधों को कम, भारतीय बंदरगाहों से पाकिस्तानी जहाजों पर बैन और आयात रोक दिया है।

 

यह भी पढ़ें: रामबन: 700 फीट गहरी खाई में गिरा आर्मी ट्रक, 3 सैनिकों की मौत

 

पाकिस्तान ने कड़ी आपत्ति जताई 

 

हालांकि, पाकिस्तान ने भारत के सिंधु जल संधि को निलंबित करने पर कड़ी आपत्ति जताई है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि सिंधु के पानी को रोकना का प्रयास युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। जबकि, पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारत को चेतावनी दी है कि अगर भारत सिंधु नदी का पानी रोकेगा तो खून बहेगा।

 

बिलावल ने कहा था, 'मैं यहां सिंधु नदी के किनारे सुक्कुर में खड़ा होकर भारत को बताना चाहूंगा कि सिंधु हमारी है और सिंधु हमारी ही रहेगी, चाहे इस सिंधु में पानी बहे या उनका खून।'