हम बाहर निकलते हैं तो ऐसा शायद ही होता है कि किसी सार्वजनिक स्थान पर हमें कोई भिखारी न दिख जाए। लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने एक महत्त्वपूर्ण फैसला लिया है। प्रदेश में मोहन यादव सरकार प्रदेश को भिखारी मुक्त प्रदेश बनाने का अभियान चला रही है।

 

इसी कड़ी में इंदौर प्रशासन ने एक नया कानून लागू किया है, जिसमें भिखारियों के बजाय भीख देने वालों पर नकेल कसने की तैयारी है। नए साल में जो कानून लागू हो रहा है उसके मुताबिक अगर कोई भी व्यक्ति किसी को भीख देता हुआ पाया जाएगा तो उसके ऊपर एफआईआर दर्ज किया जाएगा।

4 लाख से ज्यादा भिखारी हैं देश में

एक आंकड़े के मुताबिक पूरे देश में लगभग 4 लाख 13 हजार 670 भिखारी हैं।  खास बात यह है कि भीख मांगने वालों में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की बात तो छोड़ ही दीजिए इसमें तमाम लोग अच्छे पढ़े लिखे हैं। आंकड़े के मुताबिक 21 फीसदी भिखारी 12वीं पास हैं। इसके अलावा ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और डिप्लोमाधारी भी शामिल हैं।

क्या है भीख मांगने से जुड़ा नियम

भारत में अब तक भीख मांगने से जुड़ा कोई केंद्रीय नियम नहीं है। बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट, 1959 को ही आधार बनाकर 20 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने कानून बनाए हैं।

क्या है बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग ऐक्ट

यह अधिनियम भीख मांगने को अपराध घोषित करता है। इसके तहत पुलिस प्रशासन को शक्ति मिलती है कि वह भीख मांगने वाले किसी भी व्यक्ति को पकड़कर रजिस्टर्ड संस्था भेज सके। अगर किसी व्यक्ति के पास आजीविका का कोई साधन नहीं है तो पकड़ जाने पर उनके पुनर्वास के लिए इस कानून के तहत पहली बार में तीन साल तक के लिये और दूसरी बार में दस साल तक के लिये व्यक्ति को सजा के तौर पर पंजीकृत संस्था में भेजे जाने का नियम है। यहां अगर वे नियमों का पालन नहीं करते तो उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है।

 

इस अधिनियम के तहत हर उस व्यक्ति को शामिल किया गया है जो गाना गाकर, नृत्य करके, भविष्य बताकर, कोई सामान देकर या इसके बिना भीख मांगता है या कोई चोट, घाव आदि दिखाकर, बीमारी बताकर भीख मांगता है।

रेलवे के लिए भी है कानून

रेलवे परिसर में या रेलवे कोच में यदि कोई भिक्षा मांगता हुआ पाया जाता है तो उसे एक साल की सजा या फिर 2000 रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है।