जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि वह केंद्र शासित प्रदेश में पुलिस सत्यापन प्रक्रिया के खिलाफ कोर्ट के हस्तक्षेप की मांग करेगी। पार्टी का कहना है कि यह सत्यापन प्रक्रिया प्राकृतिक न्याय का घोर उल्लंघन है। साथ ही यह सामूहिक दंड देने का प्रावधान करता है।
पार्टी ने बयान में कहा कि पुलिस का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक निर्णय के एक दिन बाद आया है जिसमें बुलडोजर से संपत्तियों को गिराने को लेकर फटकार लगाई गई है और इसे अन्यायपूर्ण सजा बताया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की घोषणा
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस पार्टी प्रमुख और हंदवाड़ा से विधायक सज्जाद लोन ने जम्मू-कश्मीर में पुलिस सत्यापन प्रणाली को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की घोषणा की है। उन्होंने इसे पीड़ित परिवारों के खिलाफ खिलाफ सामूहिक सजा देने का एक गंभीर रूप बताया।
प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन
लोन ने कहा कि प्रदेश में मौजूदा पुलिस सत्यापन प्रक्रिया के तहत अक्सर किसी रिश्तेदार के रिकॉर्ड के कारण परिवारों को प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
उन्होंने कहा, 'अगर सुप्रीम कोर्ट संपत्ति को गिराने को सामूहिक सजा मानता है, तो किसी रिश्तेदार के रिकॉर्ड के आधार पर पूरे परिवार के लिए पुलिस सत्यापन प्रमाणपत्र रोक देना भी इससे अलग नहीं है।' सज्जाद लोन ने खास तौर से कश्मीरियों पर थोपी गई इस पुरानी, पाषाण युग की न्याय प्रणाली को खत्म करने की जरूरत बताया। साथ ही जम्मू एवं कश्मीर में न्यायिक हस्तक्षेप और न्याय को बनाए रखने के लिए पार्टी की प्रतिबद्धता को जताया।