उत्तर प्रदेश के संभल जिले में रविवार को हुई हिंसा से तनाव बढ़ गया है। समाजवादी पार्टी के संभल सांसद जिया-उर-रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल महमूद के खिलाफ रविवार को हिंसा भड़काने का आरोप लगा है। जामा मस्जिद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वेक्षण के दौरान हुई झड़पों में पांच लोगों की मौत हो गई और 20 पुलिसकर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए। 

आरोपी नंबर 1 और आरोपी नंबर 2 

सब-इंस्पेक्टर दीपक राठी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में बर्क को 'आरोपी नंबर 1' और महमूद को 'आरोपी नंबर 2' के रूप में नामित किया गया है। वहीं, छह नामजद व्यक्ति और 700-800 अज्ञात व्यक्ति नाम भी FIR में शामिल हैं। हिंसा से कुछ दिन पहले बर्क को बिना अनुमति के मस्जिद जाते देखा गया था। वहां उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए थे और व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से भीड़ को उकसाया था। वहीं, महमूद ने भीड़ को हिंसा फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया। हिंसा के दौरान भीड़ को 'बर्क हमारे साथ है, अपने इरादे पूरे करो।' के नारे लगाए सुना जा सकता है। 

कौन हैं जिया-उर-रहमान बर्क?

समाजवादी पार्टी के नेता संभल लोकसभा सीट से सांसद हैं। वह निर्वाचन क्षेत्र कुंदकरी से विधायक भी रह चुके हैं। बर्क के दादा का नाम शफीकुरउर्रहमान था, जो संभल से पूर्व सांसद रह चुके है। 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले, बर्क ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के सदस्य भी थे। इनका नाम सुर्खियों में तब आया जब एएमयू में सनातन धर्म पढ़ाने के विवाद के बाद बीएचयू में उन्होंने इस्लामिक अध्ययन शुरू करने की मांग उठाई थी।

जानकारी लीक करने का आरोप

रिपोर्ट में कहा गया है कि भीड़ ने पुलिस पर डंडों और हॉकी स्टिक से हमला किया और आंसू गैस से अटैक किया। हिंसा में घायल हुए सर्किल अधिकारी अनुज चौधरी ने कहा कि भीड़ का इरादा 'अदालत द्वारा आदेशित सर्वेक्षण को रोकना' था। एफआईआर में मस्जिद की प्रबंधन समिति के सदस्य वकील जफर अली पर भी आरोप लगाया गया है कि उन्होंने आरोपी विधायकों को दूसरे सर्वेक्षण के बारे में जानकारी लीक की और कथित तौर पर प्रतिरोध की उनकी तैयारियों में मदद की।

 

FIR में भारतीय न्याय संहिता के तहत कई धाराएं जोड़ी गई है। हालांकि, बर्क ने अपने ऊपर लगे इन आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि हिंसा के दौरान वह बेंगलुरु में थे। उन्होंने कहा कि यह पुलिस और प्रशासन की साजिश है। मैं राज्य में था ही नहीं। 

बर्क ने की सर्वेक्षण की आलोचना

सर्वेक्षण की आलोचना करते हुए बर्क ने आगे कहा कि 'मस्जिद एक ऐतिहासिक स्थल है जिसे पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत संरक्षित किया गया है।'संभल के एसपी कृष्ण कुमार ने कहा कि मृतकों की मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई है। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'संभव है कि पीड़ितों को देसी पिस्तौल से गोली मारी गई हो।'

 

राज्य ने मौतों की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। इस बीच, यूपी कमिश्नर अंजनेया सिंह ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि प्रभावित क्षेत्र से सीसीटीवी कैमरे गायब होने से जांच में बाधा आ रही है।  हालांकि, स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने सबूत मिटाने के लिए खुद ही कैमरे हटा दिए।

संभल में हिंसा 

संभल में हिंसा रविवार को तब भड़की जब एएसआई की एक सर्वेक्षण टीम अदालत के आदेश के बाद मस्जिद पहुंची। सर्वेक्षण का आदेश एक याचिका के बाद दिया गया था जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर ने उस स्थान पर एक प्राचीन हिंदू मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया था। हिंसा के बावजूद, एडवोकेट कमिश्नर रमेश चंद राघव ने सर्वेक्षण पूरा किया, जिसे तस्वीरों और वीडियो में दर्ज किया गया। सर्वेक्षण को शुक्रवार को एक स्थानीय अदालत के समक्ष पेश किया जाना है।