प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (PM-EAC) के सदस्य और मशहूर अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि नौकरी की सुरक्षा के लिए यूपीएससी (UPSC) परीक्षा की तैयारी करना पूरी तरह से 'समय की बर्बादी' है और भारत में डिग्री और यूपीएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं का पुराना जुनून अब पुराना हो चुका है।


ANI के साथ पॉडकास्ट में बातचीत करते हुए संजीव सान्याल ने कहा कि तेजी से बदलती तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की वजह से पुरानी किताबी पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी कम महत्वपूर्ण हो रही है। 1960 के दशक में डिग्री लेना और सरकारी नौकरी करना ठीक था, लेकिन अब तकनीक ने ज्ञान और स्किल्स हासिल करने का तरीका पूरी तरह बदल दिया है।

 

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स्किल्स पर ज्यादा जोर देने की जरूरत

सान्याल ने बताया, 'पहले यूनिवर्सिटी जाना सिर्फ अमीर लोगों की बात थी। 20वीं सदी में यह आम हुआ, लेकिन अब लेक्चर वाली पढ़ाई पुरानी पड़ रही है। AI और तकनीक क्लासरूम से बेहतर तरीके से ज्ञान दे सकते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया, '1940 में स्टेनोग्राफर बनना अच्छा विकल्प था, लेकिन अब तकनीक ने इसे साधारण काम बना दिया है।'

 

उन्होंने कहा, 'अब हाई लेवल यूनिवर्सिटी शिक्षा और वोकेशनल स्किल्स का फर्क मिट रहा है। कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन कुछ भी सीख सकता है और जीवन के किसी भी समय नई स्किल्स हासिल कर सकता है। अप्रेंटिसशिप (प्रैक्टिकल ट्रेनिंग) और असली स्किल्स पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है। 'पहले स्किलिंग को प्लंबर जैसे काम से जोड़ा जाता था, जबकि यूनिवर्सिटी को बड़े विचारों वाली जगह माना जाता था। अब यह फर्क खत्म हो रहा है।'

 

सान्याल ने सवाल उठाया कि क्या चार साल यूनिवर्सिटी में बिताने की जरूरत है? उनका सुझाव है कि 18 साल की उम्र में नौकरी शुरू करनी चाहिए और डिग्री को नौकरी के साथ-साथ पूरा करना चाहिए। उन्होंने जोहो कंपनी के संस्थापक श्रीधर वेम्बु और अरबपति एलन मस्क का उदाहरण देते हुए कहा, 'उद्योग जगत शिक्षा से आगे निकल चुका है, इसलिए शिक्षा व्यवस्था को अप्रेंटिसशिप और प्रैक्टिकल स्किल्स की ओर मुड़ना चाहिए।'

AI बड़ा बदलाव लाएगा

AI के बारे में उन्होंने कहा, 'यह बड़ा बदलाव लाएगा, लेकिन इसे अपनाना चाहिए। AI से कम डिग्री वाले लोग भी पहले की तरह मुश्किल काम कर सकेंगे। 'AI बड़ा डिसरप्शन लाएगा, लेकिन जो जल्दी इसे अपनाएंगे, वे खुद को बेहतर बना लेंगे।'

 

सान्याल ने माना कि कुछ क्षेत्रों में जहां हाथ से काम की जरूरत है, वहां यूनिवर्सिटी की भूमिका रहेगी, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि मौजूदा ढांचे में बड़े बदलाव की जरूरत है। हाल के सुधार जैसे डिग्री में फ्लेक्सिबल एग्जिट को उन्होंने सराहा, लेकिन लंबी समय तक पढ़ाई करके डिग्री लेने की पुरानी सोच की आलोचना की।

 

सान्याल के इन बयानों से शिक्षा और करियर को लेकर बड़ी बहस छिड़ गई है। कई लोग सहमत हैं कि AI के दौर में स्किल्स ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, जबकि कुछ इसे पारंपरिक शिक्षा पर हमला मान रहे हैं।

पहले भी की थी आलोचना

संजीव सान्याल ने इससे पहले भी यूपीएससी की तैयारी को लेकर विवादित बयान दिया था। एक पॉडकास्ट के दौरान उन्होंने कहा था कि जिस परीक्षा में फेल होने का चांस 99.9 प्रतिशत है उसे जीवन का प्राथमिक लक्ष्य बनाने में कौन सी बुद्धिमानी है?

 

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उन्होंने सवाल किया था कि ऐसी कितनी चीजें जिसमें फेल होने की संभावना 99.9 प्रतिशत है तो आप उसको करने के लिए किसी को सलाह देंगे जब तक कि इसमें बहुत ज्यादा लाभ न होने वाला हो। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था कि यदि कोई वास्तव में सिविल सर्वेंट बनना चाहता हो तो इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन कुछ लोगो प्रोफेशनल सिलिव एस्पिरेंट हो गए हैं, जो कि सालों-साल तैयारी करने में लगा देते हैं जो कि पूरी तरह से मानव संसाधन की बर्बादी है।