बिहार की स्वर कोकिला और लोकगायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार की रात को निधन हो गया। दिल्ली के एम्स अस्पताल में रात लगभग 9 बजकर 20 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली। लंबे समय से बीमार चल रही शारदा सिन्हा की तबीयत सोमवार की रात को अचानक बिगड़ गई थी। उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। शारदा के बेटे अंशुमान सिन्हा अपनी मां के निधन से दुखी है। उन्होंने कहा कि 'यह हमारे लिए दुख की घड़ी है। वह छठ पूजा के पहले दिन हमें छोड़कर चली गईं। वह हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगी।'
शारदा सिन्हा के निधन से देशभर में शोक की लहर है। छठ, लोक गीत और बॉलीवुड के सुपरहिट फिल्मों के लिए गाना गा चुकी शारदा को पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शारदा सिन्ही के निधन पर शोक जताया।
कहां होगा अंतिम संस्कार?
बुधवार सुबह शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर दिल्ली से पटना पहुंचेगा। बता दें कि उनका अंतिम संस्कार पटना के गुलाबी घाट में होगा। इस बीच, सीएम नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होगा। इससे पहले अंशुमान सिन्हा ने कहा था कि वह अपनी मां का अंतिम संस्कार उसी स्थान पर करेंगे जहां उनके पिता का अंतिम संस्कार हुआ था।
बेटे ने दी जानकारी
अंशुमान ने कहा 'हमने तय किया है कि मेरी मां (शारदा सिन्हा) का अंतिम संस्कार उसी स्थान पर होगा, जहां मेरे पिता का अंतिम संस्कार हुआ था... इसलिए हम उनका पार्थिव शरीर पटना ले जाएंगे।' जानकारी के दिवंगत शारदा सिन्हा एक गंभीर ब्लड कैंसर की बीमारी से जूझ रही थीं। वह मल्टीपल मायलोमा से ग्रसित थी।
बिहार की बेटी शारदा सिन्हा...
शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर, 1951 में बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था। उन्हें बचपन से ही संगीत में रुचि थी। मेहनत और संगीत के प्रति उनका जुनून उन्हें बड़े मंचों तक लेकर आया। छठ पूजा के गीतों के लिए प्रसिद्ध माने जाने वाली शारदा सिन्हा ने भारतीय संगीत में अपनी एक अलग पहचान बनाई थीं।