'अर्घ्य के बेर और केलवा के पाट पर' जैसे मशहूर गीत गाने वाली लोकगायिका शारदा सिन्हा इस समय जिंदगी और मौत से लड़ रही हैं। वह गंभीर रूप से बीमार हैं और इस दौरान उनका नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में इलाज चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके परिवार से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली और उनके चल रहे इलाज के लिए सभी आवश्यक सहायता की पेशकश की हैं। 

 

शारदा के स्वास्थ्य के बारे में क्या है जानकारी?
जानकारी के लिए बता दें कि 72 वर्षीय शारदा 2018 से मल्टीपल मायलोमा, एक प्रकार के ब्लड कैंसर से जूझ रही हैं। सोमवार को उनकी हालत बिगड़ गई, जिसके कारण उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। एम्स के आधिकारिक बयान के अनुसार, गायिका को डॉक्टर की निगरानी में मॉनिटर किया जा रहा हैं।

 

दरअसल, 27 अक्टूबर को शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा ने उन खबरों का खंडन किया था कि जिसमें दावा किया गया था कि उनकी मां वेंटिलेटर पर है। हालांकि, आज 5 नंवबर को 3 घंटे पहले शारदा सिन्हा के ऑफिशियल फेसबुक पेज से लाइव होकर अंशुमान ने मां को लेकर हेल्थ अपडेट दिया। उन्होंने बताया कि इस बार खबर सच है और मां वेंटिलेटर पर है। आप सभी से अनुरोध है कि मां के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करें।

 

देखें वीडियो: 

 

 

बेटे अंशुमान सिन्हा ने दी मां के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी

इससे पहले 27 अक्टूबर को शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा ने सोशल मीडिया इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा करते हुए फैंस को अपनी मां के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने शारदा सिन्हा के वेंटिलेटर पर होने की खबर का खंडन किया था। अंशुमान ने लोगों से गलत और नेगिटिव खबर नहीं फैलाने की अपील भी की थी। 

 

कौन हैं शारदा सिन्हा? 

छठ पर्व और शारदा सिन्हा, इन दोनों का एक-दूसरे से बहुत गहरा नाता है। शारदा सिन्हा के गाए हुए गीत के बिना छठ पर्व अधूरा माना जाता है। वह एक लोकप्रिय और प्रसिद्ध लोक कलाकार हैं, जिन्होंने बॉलीवुड में भी कई गानों में योगदान दिया। बिहार से ताल्लुक रखने वाली सिन्हा ने अपना जीवन लोक संगीत गाने में समर्पित कर दिया। वह मुख्य रुप से मैथिली और भोजपुरी में गाने गाती है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पारंपरिक गीतों से किया और बाद में हिंदी सिनेमा में भी महत्वपूर्ण उपस्थिति बनाई। 

 

शारदा सिन्हा का शानदार करियर 1970 के दशक में शुरू हुआ और उन्होंने भोजपुरी, मैथिली और हिंदी लोक संगीत में अपने काम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की। ​​2018 में, उन्हें कला में उनके योगदान के लिए भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार, प्रतिष्ठित पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया। बता दें कि उन्होंने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता है।