दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में से एक भारत को चलाने वाले चुने हुए प्रतिनिधि देश की संसद में बैठते हैं। ऐसे में देश को नुकसान पहुंचाने का मंसूबा पाले बैठे आतंकियों ने साल 2001 में इसी संसद को ही निशाना बनाया। 5 आतंकी अचानक देश की संसद में घुस गए और जो भी सामने पड़ा उसे गोलियों से भूनते गए। कुल 42 मिनट में इन 5 आतंकियों ने न सिर्फ देश के लोकतांत्रिक ढांचे को हिलाने की कोशिश की बल्कि सुरक्षा व्यवस्था को लेकर देश को नए सिरे से सोचने पर भी मजबूर कर दिया। इस हमले में दिल्ली पुलिस के जवानों समेत कुल 9 लोग मारे गए और सभी पांचों आतंकियों को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया।

 

13 दिसंबर 2001 को संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था। संसद में हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही 40 मिनट के लिए स्थगति हुई थी। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी अपने घर जा चुकी थीं। हालांकि, गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत कई अन्य मंत्री और लगभग 200 सांसद लोकसभा में ही थे। सुबह 11 बजकर 29 मिनट पर एक सफेद एंबेसडरकर अचानक तेजी से आई और उपराष्ट्रपति कृष्णकांत शर्मा के काफिले की ओर बढ़ गई। सुरक्षाकर्मियों ने उसे रोकने की कोशिश की। यह कार रुकने के बजाय सीधे उपराष्ट्रपति की कार से टकरा गई।

जबरदस्त हमला और ताकतवर पलटवार

 

कार के रुकते ही उसके चारों दरवाजे खुले और उसमें बैठे पांच हथियारबंद लोगों ने उतरते ही गोलियां बरसानी शुरू कर दी। AK-47 से फायरिंग कर रहे इन पांचों की पीठ पर बैग टंगे हुए थे। गोलीबारी इतनी तेज थी कि कुछ ही पल में कई सुरक्षाकर्मी घायल हो चुके थे। इन आतंकियों ने गोलियां तो चलाई ही कई ग्रेनेड भी फेंके और गेट नंबर 11 की ओर बढ़े। तब तक सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया था और दोनों ओर से गोलीबारी होने लगी।

 

तुरंत ही सदन में मौजूद वरिष्ठ मंत्रियों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया और सारे दरवाजे बंद कर लिए गए। आतंकियों की कोशिश थी कि वे कैसे भी करके सदन के अंदर घुस सकें। हालांकि, उन्होंने सही रास्ता नहीं पता था जिसके चलते वे इधर-उधर भाग रहे थे। इसी चक्कर में पहला आतंकी गेट नंबर 1 के पास पुलिस की गोली का शिकार हुआ। कुछ देर बाद उसने खुद को बम से उड़ा लिया। तब तक एनएसजी कमांडो और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीमें भी संसद पहुंच गईं। चौतरफा घिर रहे आतंकियों में से दूसरे को गेट नंबर 5 के पास मार गिराया गया।


बाकी बचे तीन आतंकियों ने संसद के अंदर घुसने की कोशिश की और गेट नंबर 9 की ओर बढ़े। हालांकि, ये तीनों भी यहीं मार गिराए गए और 12 बजकर 10 मिनट पर पांचों का खात्मा हो चुका था।