साल 1992 में उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया गया था। इसके बाद से ही पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव फैला हुआ था। जगह-जगह पर हिंसा हो रही थी और लोगों की जान जा रही थी। इसी बीच देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। 12 मार्च 1993 की वह तारीख मुंबई के साथ-साथ पूरे देश के लिए एक अपमानजनक धब्बे जैसी हो गई। मुंबई में एक-एक करके लगातार 12 बम धमाके हुए और इन धमाकों में ढाई सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। दो घंटे तक पूरा शहर दहलता रहा और सुरक्षा एजेंसियां सिर्फ देखती रह गईं।

 

बात है 12 मार्च 1993 की दोपहर की। शेयर मार्केट का कारोबार करने वाले बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की बिल्डिंग में खड़ी एक कार में जोरदार धमाका हुआ। 28 फ्लोर वाली यह बिल्डिंग हिल गई। स्टॉक एक्सचेंज से शुरू हुआ यह सिलसिला एयर एंडिया ऑफिस, पासपोर्ट ऑफिस, झवेरी बाजार और काथा बाजार समेत कुल 13 जगहों तक पहुंचा। 2 घंटे 10 मिनट में कुल 12 जगहों पर बम धमाके हुए। ज्यादातर जगहों पर पहले से बम रखे गए थे।

 

12 को फांसी, 20 को उम्रकैद की सजा

इस हमले में पुलिस ने 180 लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें से 129 को आरोपी बनाकर उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया। इसमें से भी लगभग सौ लोग छूट गए। 20 को उम्रकैद की सजा मिली और 12 लोगों को फांसी की सजा सुना दी गई। इस हमले का मास्टरमाइंड भारत छोड़कर भाग चुके अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को बताया गया। दाऊद की मदद की उसके साथ टाइगर मेमन ने। इसी केस में संजय दत्त को भी 5 साल की सजा हुई।

 

इस हादसे से ठीक 6 दिन पहले ही शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वह मंत्रालय के छठे फ्लोर के एक दफ्तर में बैठे थे कि उन्हें धमाके की आवाज सुनाई दी। खिड़की की ओर गए तो दिखा कि एयर इंडिया बिल्डिंग से धुआं निकल रहा था। यह बिल्डिंग उनके दफ्तर से एक किलोमीटर दूर ही थी। वह घटनास्थल पर जाना चाहते थे लेकिन पुलिस कमिश्नर ने उन्हें जाने नहीं दिया। इस घटना में 12 की संख्या का खास महत्व है। घटना 12 तारीख को हुई, 12 ही जगहों पर धमाके हुए और 12 ही लोगों को फांसी हुई। हालांकि, उस वक्त सीएम शरद पवार ने जानबूझकर बयान दिया था कि कुल 13 जगहों पर धमाके हुए हैं।

 

धमाकों की जगहों से पता चल रहा था कि हिंदु बहुल इलाकों को निशाना बनाया गया था। दूरदर्शन के कार्यालय से शरद पवार ने बयान दिया कि 13 जगहों पर धमाके हुए हैं। जाहिर है कि यह झूठ था। बयान देकर वह एक मुस्लिम बहुल इलाके में गए जबकि वहां कोई घटना हुई ही नहीं थी। इस बारे में वह खुद कहते हैं, 'यह ट्रिक थी कि यह दिखाया जाए कि धमाकों के पीछे कोई धार्मिक मामला नहीं है। यह ट्रिक काम कर गई और हिंदुओं-मुस्लिमों के बीच कोई दंगा नहीं हुआ।'