दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और बीजेपी केजरीवाल पर हमलावर हो रही है, खासकर उनके बंगले को लेकर जिसे वह शीश महल कह रही है।

 

लेकिन शीश महल का एक खास अर्थ है। शीश महल यानी कि शीशे का महल। दरअसल, देश में दो शीश महल हैं जो कि मशहूर हैं। एक है राजस्थान के जयपुर में आमेर के राजा मान सिंह द्वारा बनवाया गया शीश महल और दूसरा है मुगल शासक शाहजहां के द्वारा बनवाया गया दिल्ली शालीमार बाग का शीश महल।

 

इस लेख में हम आपको इन दोनों शीश महल की कहानी बताएंगे और बताएंगे कि इनकी खासियत क्या है?

कब हुआ निर्माण

आमेर के किले में स्थित शीश महल का निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया था। इसका निर्माण 1623 में शुरू हुआ और यह 1727 ईस्वी में बनकर तैयार हुआ था। माना जाता है कि इसे बनवाने के पीछे कहानी यह है कि महारानी की इच्छा थी वह रात को सोने से पहले महल के अंदर तारे देख सकें। इसके बाद राजा मान सिंह ने इस शीश महल का निर्माण करवाया।

 

पूरे महल की दीवारों और छतों पर शीशे के टुकड़े इस तरह से लगे हुए हैं कि जब इन पर रोशनी पड़ती है तो ऐसा लगता है कि जैसे रात में तारे चमक रहे हों। महल में सारे सारे शीशे उत्तल यानी कि उभरे हुए आकार के लगे हैं जो कि प्रकाश को इस तरह से परावर्तित करते हैं कि सिर्फ एक दीपक या मोमबत्ती से पूरा महल जगमग हो उठता है।

विदेशों से मंगाए गए थे खास शीशे

इस महल में जिन शीशों का प्रयोग किया गया है उन्हें खास बेल्जियम से मंगाए गए थे। शीशों के अलावा इस महल में महंगे एवं सुंदर रत्नों का भी प्रयोग किया गया है। यह महल जय मंदिर का एक हिस्सा है और आमेर किला घूमने जाने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

एक दीपक से पूरा महल जगमग हो जाता है

इस महल में शीशों की कारीगरी इस तरह से की गई है कि सिर्फ एक दीपक या मोमबत्ती जलाने से यह पूरा का पूरा महल जगमग हो जाता है। ‘मुगल-ए-आज़म’ और 'जब प्यार किया तो डरना क्या' जैसी फिल्मों में की शूटिंग भी यहां की गई है।

 

आमेर का शीश महल

 

कैसा है दिल्ली का शीश महल

दिल्ली का शीश महल शालीमार बाग में है। इसे मुगल शासक शाहजहां ने अपनी बेगम एजुन्निशां की याद में बनवाया था। यह महल एक ही मंजिला है और इसकी दीवारों और छतों पर भी शीशे का काम किया गया है। दिल्ली का शीश महल संगमरमर से बनाया गया है।

 

हालांकि, यह काफी बड़ा नहीं है लेकिन इसमें इतनी बारीकी से डिजाइनिंग की गई है कि लोगों को यह खुद ही अपनी तरफ खींच लेता है।

औरंगजेब की हुई थी ताजपोशी

शीश महल को शाहजहां ने 1639 में बनवाया था। कहा जाता है कि शाहजहां गर्मियों में अपनी बेगमों के साथ यहां अक्सर रहने आते थे। शाहजहां ही नहीं उनके बेटे औरंगजेब को यह इतना पसंद था कि उसने ताजपोशी के लिए भी इस जगह को चुना था।