'सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते, विघ्नों को गले लगाते हैं, कांटों में राह बनाते हैं।' रामधारी सिंह दिनकर की इस कविता को केरल के एक स्कूल के छात्रों ने एकदम सटीक साबित किया। स्कूल, घर और अपनों को खोने वाले इन बच्चों ने 10वीं की परीक्षा में 100 फीसदी सफलता हासिल की। यह सफलता की कहानी है केरल के वायनाड जिले के वेल्लारमाला स्थित सरकारी वोकेशनल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की है।

 

नौ महीने पहले यहां भीषण भूस्खलन ने तबाही मची थी। 30 जुलाई 2024 की रात आए भूस्खलन में 298 लोगों की जान गई थी। गांव चूरलमाला को सबसे अधिक क्षति पहुंची थी। भूस्खलन के पीड़ितों में वेल्लारमाला स्कूल के 32 छात्र भी शामिल थे। इनमें से सात बच्चे कक्षा 10वीं के थे। दो बच्चों को अपने माता-पिता तक खोने पड़े थे। विपरीत परिस्थितियों में इन छात्रों ने सफलता हासिल करके सभी को प्रेरित किया। शुक्रवार को ही केरल बोर्ड ने 10वीं कक्षा का रिजल्ट जारी किया था।

 

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एक शिक्षक को मिली थी 3 छात्रों की जिम्मेदारी

भूस्खलन के बाद वेल्लारमाला के सभी छात्रों को 13 किमी दूर मेप्पाडी भेज दिया गया। इस स्कूल में 26 टीचर और 328 छात्र थे। स्कूल के प्रधानाध्यापक वी उन्नीकृष्णन का कहना है कि यह एक चुनौतीवाला काम था। एक शिक्षक को 3 छात्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सभी टीचर छात्रों की पढ़ाई के अलावा उनके पारिवारिक मुश्किलों में सहायता पहुंचाई। बच्चों को खेल और कला से जुड़ी गतिविधियों में शामिल किया गया। छात्रों ने राज्य विद्यालय उत्सव में भी भाग लिया। इन सबकी मदद से छात्रों को भूस्खलन से मिले दर्द से निकालने में मदद मिली।

 

प्रधानाध्यापक उन्नीकृष्णन ने बताया कि बच्चों को दोपहर के खाना-नाश्ता के अलावा रात का भी भोजन उपलब्ध कराया गया। छात्रों को मणिपाल फाउंडेशन से दान की गई बस से रोजाना स्कूल ले जाया जाता था। कक्षा 10वीं के छात्रों के लिए सुबह साढ़े सात से साढ़े नौ बजे तक विशेष कक्षाओं का आयोजन किया गया था। बाद में 10 बजे से शाम 4 बजे तक नियमित कक्षाओं में पढ़ाई करवाई गई।

 

 

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प्रियंका गांधी ने छात्रों को दी बधाई

वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक्स पर वेल्लारमाला स्कूल के छात्रों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि केरल SSLC परीक्षा पास करने वाले सभी छात्रों को बहुत-बहुत बधाई। 100 प्रतिशत सफलता हासिल करने के लिए GVHSS वेल्लारमाला को भी बधाई! मुहम्मद हानी को विशेष बधाई, जिन्होंने वायनाड के सबसे बुरे समय में अपनी दादी को बचाया और अब अपनी 10वीं कक्षा की परीक्षा पास की। आपकी कहानी हम सभी को प्रेरित करती है! बता दें कि मुहम्मद हानी ने अपने माता-पिता और दो भाई-बहनों समेत कुल नौ लोगों को खोया था।