ओडिशा कैडर की सीनियर IAS अधिकारी सुजाता आर कार्तिकेयन ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लिया है। केंद्र सरकार ने दो सप्ताह पहले दी गई अर्जी को मंजूरी भी दे दी है। सुजाता कार्तिकेयन, ओडिशा के पूर्व सीएम नवीन पटनायक के करीबी रहे वीके पांडियन की पत्नी हैं। सुजाता कार्तिकेयन, नवीन पटनायक सरकार के दौरान बेहद प्रभावशाली अधिकारियों में शुमार रही हैं। उनके इस्तीफे के बाद राज्य में नई सियासी चर्चा छिड़ गई है।
वीके पांडियन साल 2011 में मुख्यमंत्री कार्यालय में रहे और 2023 तक नवीन पटनायक के निजी सचिव रहे। सुजाता भी IAS अधिकारी रहीं। वह मिशन शक्ति डिपार्टमेंट में तैनात रहीं। वीके पांडियन ने भी अक्तूबर 2023 में ब्यूरोक्रेसी छोड़ दी थी। एक महीने बाद वह बीजू जनता दल (BJD) में शामिल हो गए थे।
क्यों चर्चा में रहीं सुजाता कार्तिकेयन?
नवीन पटनायक जब सीएम थे, तब कहा जा रहा था कि वीके पांडियन ही ओडिशा की सरकार चला रहे हैं। नवीन पटनायक पर हावी हो रहे हैं। दोनों दंपति सुर्खियों में रहे। भारतीय जनता पार्टी ने इसे चुनावी मुद्दा भी बनाया। इसे बाहरी बनाम देसी की लड़ाई में भी बदलने की कोशिश की गई। वीके पांडियन तमिलनाडु से आते हैं। 29 मई 1974 में जन्मे वीके पांडियन नवीन पटनायक के पसंदीदा अधिकारी रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी बाहरी बनाम देसी की लड़ाई में कामयाब भी हो गई।
यह भी पढ़ें: ओवैसी ने वक्फ बिल को 'लुटेरों का संशोधन कानून' क्यों कहा? बताई वजह
नवीन पटनायक के उत्तराधिकारी कहे जा रहे थे पांडियन
वीके पांडियन बीजेडी में किसी पद पर नहीं थे लेकिन ऐसी छवि बनी की वही नवीन पटनायक के राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं। जैसे ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया था, नवीन पटनायक ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया। पांडियन ने ट्रांसपेरेंसी, टीम वर्क, टोक्नोलॉजी, टाइम और ट्रांसफॉर्मेशन के नाम से 5टी इनीशिएटिव शुरू कर दिया। विधानसभा चुनाव के नतीजे आए, बीजेडी महज 51 सीटों पर सिमटी, बीजेपी करीब 2 दशक बाद सत्ता में आई। वीके पांडियन ने हार की नैतिक जिम्मेदारी ली और सक्रिय राजनीति से अलग हो गए।
सुजाता कार्तिकेयन पर कैसै छिड़ी थी सियासत?
विधानसभा चुनावों के दौरान, चुनाव आयोग ने सुजाता कार्तिकेयन का ट्रांसफर अपेक्षाकृत कम प्रभावशाली पद पर कर दिया। बीजेपी ने शिकायत की थी कि वह बीजेडी एजेंट हैं, चुनाव में दखल दे सकती हैं। बीजेडी के 2 दशकीय शासन का अंत हुआ, पार्टी के भीतर वीके पांडियन पर दबाव बढ़ा तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया। सुजाता कार्तिकेयन ने छह महीने की चाइल्ड केयर लीव ली थी, लेकिन नवंबर 2023 में राज्य सरकार ने उनकी छुट्टी छह महीने और बढ़ाने की अर्जी खारिज कर दी। उन्हें ड्यूटी पर लौटना पड़ा। जब उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया, तब वह राज्य वित्त विभाग में विशेष सचिव के तौर पर तैनात थीं।
यह भी पढ़ें: 15 लाख कैश केस में जस्टिस निर्मल यादव बरी, पढ़ें केस की पूरी कहानी
कौन हैं सुजाता कार्तिकेयन?
सुजाता कार्तिकेयन की उम्र 49 साल है। वह ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले के बलुरिया गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता जमशेदपुर में डॉक्टर रहे हैं। सुजाता और वीके पांडियन ट्रेनिंग एकेडमी में मिले थे। वीके पांडियन पंजाब कैडर के अधिकारी थे, उन्होंने अपना तबादला ओडिशा में करा लिया था। सुजाता कार्तिकेयन की शुरुआती पोस्टिंग कटक और सुंदरगढ़ में हुई थी। बीजेडी सरकार ने उन्हें मिशन शक्ति पहल की जिम्मेदारी सौंपी। यह करीब 70 लाख ग्रामीण महिलाओं से जुड़ा एक अहम प्रोजेक्ट था। जून 2021 में उन्हें इस विभाग का सचिव बनाया गया था।
यह भी पढ़ें: दिल्ली सरकार ने शराब से कमाए 5 हजार करोड़, दूध से 210 करोड़ की कमाई
क्यों उनकी रिटायरमेंट पर हो रही सियासत?
नवंबर 2023 में उन्हें ओडिया भाषा, साहित्य और संस्कृति विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया। यह पद उन्हें तब मिला, जब फरवरी 2024 में विश्व ओडिया भाषा सम्मेलन की मेजबानी ओडिशा को करनी थी। उनकी रिटायरमेंट के बाद दावा किया जा रहा है कि राज्य की ब्यूरोक्रेसी में व्यवस्था परिवर्तन बड़े पैमाने पर हो सकता है।