तमिलनाडु पुलिस के 5 पुलिसकर्मियों ने एक आरोपी के साथ हैवानियत की हदें पार कर दी हैं। शिवगंगा जिले में पुलिस हिरासत में अजित कुमार की मौत पर देशभर में हंगामा बरपा है। अजित कुमार त्रिपुवनम के एक मंदिर में सुरक्षाकर्मी के तौर पर काम कर रहे थे, पुलिस की हिरासत में उनकी मौत हो गई। मरने से पहले उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दी गईं। जिले के पुलिस अधीक्षक को लाइन हाजिर किया है। सरकार का कहना है कि जो भी इस केस में दोषी पाए जाएंगे, उन्हें हटाया जाएगा। 
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केस की जांच अब सीबीआई को सौंप दी है। मद्रास हाइ कोर्ट ने भी सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की है, उन्हें सभी जरूरी मदद देने का ऐलान किया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि अजित कुमार के शरीर पर गहरे घाव थे। कोर्ट ने कहा कि अपराधी भी ऐसा उत्पीड़न नहीं करते हैं।
मुख्यमंत्री ने इस केस पर क्या कहा है?
मुख्यमंत्री ने इस केस पर कहा, 'जांच पर कोई शक नहीं होनी चाहिए। मैंने हमेशा ये निर्देश दिए हैं कि पुलिस को मानवाधिकारों का ख्याल रखना चाहिए। कुछ लोगों ने जो किया है, उसे माफ नहीं किया जा सकता है। मैंने चेतावनी दी है कि दोबारा ऐसा कुछ भी नहीं होना चहिए।'
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कितने गंभीर हैं पुलिस हिरासत में मौत के आरोप?
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 120 (I) पुलिस हिरासत में उत्पीड़न से संबंधित है। अगर किसी को जबरन किसी अपराध को कबूलने के लिए, हस्ताक्षर करने के लिए, संपत्ति हासिल करने के लिए, अपने खिलाफ गवाही देने के लिए, केस की पूछताछ के दौरान गंभीर रूप से चोट पहुंचाई जाती है तो कम से कम 7 साल की सजा संबंधित अधिकारी को हो सकती है। जुर्माना भी लग सकता है।  
 
भारत में पुलिस हिरासत में मौत के राज्यवार आंकड़े क्या हैं?
26 जुलाई 2022 को लोकसभा में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि साल 2020 से 2022 के बीच में 4484 लोग जेलों में मारे गए, वहीं 155 मौतें पुलिस हिरासत में हुई।
पुलिस कस्टडी में राज्यवार मौतें 
- महाराष्ट्र 23
 - बिहार 16
 - गुजरात 15
 - पश्चिम बंगाल 15
 - असम 11
 - उत्तर प्रदेश 10
 - पंजाब 10
 - मध्य प्रदेश 8
 - तमिलनाडु 7
 - आंध्र प्रदेश 5
 - झारखंड 5
 - कर्नाटक 5
 - दिल्ली 5
 - उत्तराखंड 4
 - राजस्थान 4
 - अरुणाचल प्रदेश 3
 - (सोर्स: NCRB, साल 2023)
 
मद्रास हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
मद्रास हाई कोर्ट की मदुरई बेंच ने जिला जज की अध्यक्षता में जांच के आदेश दिए हैं। सिक्योरिटी गार्ड की मौत क्यों हुई, कैसे हुई, इन वजहों के बारे में जज पड़ताल करेंगे। 8 जुलाई से पहले जज को रिपोर्ट सौंपनी होगी। 
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सिक्योरिटी गार्ड के साथ हुआ क्या था?
अजित कुमार को पुलिस हिरासत में लोगों ने सादे वर्दी में उसे मंदिर के पीछे मारा है। वहीं वह तैनात था।
आरोप क्या थे?
आरोप हैं कि अजित ने उसके गहने कार से चुरा लिए थे। महिला ने कार को पार्क करने के आदेश दिए थे। उसने हवाला दिया कि वह बड़े अधिकारियों से जुड़ा है। पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है।
हाई कोर्ट की बेंच ने कहा, 'अजित के शरीर पर कई हमले हुए। कोर्ट ने कहा कि यहां तक की हत्यारे भी ऐसी हत्या नहीं करते हैं। कुछ साक्ष्यों को मिटा दिया गया है। जिस अधिकारी को जांच के लिए पहुंचना था, वह अधिकारी ही नहीं पहुंचा।'
अजित की उम्र 27 साल थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अजित के शरीर पर चोटों के 40 से ज्यादा निशान मिले हैं। पूरे शरीर पर दाग है। पीठ, मुंह और कान पर मिर्च का पाउडर डाला गया है। शरीर पर जख्म के गहरे निशान नजर आ रहे थे। हाई कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि दक्षिण भारतीय राज्य खुद को शैक्षिक तौर पर अग्रणी राज्यों की तरह पेश करते हैं लेकिन ऐसी हरकतें खतरनाक हैं, चाहे वह किसी भी पुलिस थाने में हों। 
अनसुलझे सवाल क्या हैं?
- अजित की लाश मदुरै क्यों लाई गई, जबकि केस तिरुपुवनम का है, जहां उसकी मौत हुई है
 - कैमरों से बचने के लिए क्या किया गया
 - इस केस को स्पेशल पुलिस टीम के हवाले क्यों किया गया
 - गहनों की चोरी का केस दर्ज क्यों नहीं किया गया, जबकि उसे हिरासत में लिया गया था
 - अगर पुलिसकर्मियों के घरवाले मरते तो क्या करते
 
घिर गई है तमिलनाडु सरकार
तमिलनाडु सरकार इन आरोपों में बुरी तरह घिर गई है। डीएमके को अपने बचाव में AIDMK केस को याद करना पड़ रहा है। पुलिस हिरासत में मौत को लेकर देशभर के मानवाधिकार संगठनों के निशाने पर अब तमिलनाडु पुलिस है। हाई कोर्ट ने यहां तक कह दिया है कि पुलिस, ताकत के नशे में चूर हो चुकी है।
