तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार ने अडानी ग्रुप को बड़ा झटका दिया है। स्टालिन सरकार ने अडानी ग्रुप को दिया स्मार्ट मीटर का टेंडर रद्द कर दिया है। सरकार ने 'ज्यादा कीमत' का हवाला देकर टेंडर रद्द किया है। स्मार्ट मीटर के लिए अडानी ग्रुप से जुड़ी अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड (AESL) ने सबसे कम बोली लगाकर टेंडर हासिल किया था।

क्या था प्रोजेक्ट?

इसे लेकर अगस्त 2023 में स्मार्ट मीटर का टेंडर निकाला था। इस टेंडर के लिए अडानी ग्रुप ने सबसे कम बोली लगाई थी। इस प्रोजेक्ट के तहत चेन्नई, तिरुवल्लुर और चेंगलपट्टू समेत 8 जिलों में 82 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जाने थे। ये प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के 19 हजार करोड़ रुपये के रिवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) के तहत पूरा होना था।

टेंडर क्यों रद्द किया?

तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (Tangedco) के अधिकारियों ने बताया कि स्मार्ट मीटर की लागत ज्यादा थी, इसलिए टेंडर कैंसिल किया गया। अधिकारियों ने बताया कि लागत कम करने को लेकर बातचीत बेनतीजा रहने के बाद टेंडर कैंसिल किया। 


एक अधिकारी ने बताया कि एक स्मार्ट मीटर की हर महीने की कीमत 120 रुपये से ज्यादा थी। जबकि, महाराष्ट्र, बिहार और आंध्र जैसे राज्यों में स्मार्ट मीटर की लागत 120 रुपये है। 


अधिकारियों ने बताया कि अगस्त 2023 में जारी चारों टेंडरों को रद्द कर दिया गया है। अब राज्य सरकार जल्द ही नए टेंडर जारी करेगी।

स्मार्ट मीटर से फायदा क्या होता?

2018 में पायलट प्रोजेक्ट के तहत, चेन्नई के टी नगर में 1.1 लाख से ज्यादा स्मार्ट मीटर लगाए गए थे। सरकार ने राज्य के सभी जिलों में स्मार्ट मीटर लगाने की योजना बनाई थी। स्मार्ट मीटर लगने से बिलिंग और टैरिफ को अच्छी तरह से लागू किया जा सकता है। इससे राज्य सरकार को अपना नुकसान 16 फीसदी तक कम करने का अनुमान है।

अमेरिका में लगे आरोपों का असर?

इस साल अक्टूबर में न्यूयॉर्क की कोर्ट में अडानी ग्रुप के खिलाफ एक केस दर्ज हुआ था। न्यूयॉर्क कोर्ट में दाखिल इन्डाइमेंट के मुताबिक, अडानी ग्रीन एनर्जी को भारत की सरकारी कंपनी सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 12 गीगावॉट सोलर एनर्जी देने का कॉन्ट्रैक्ट मिला था। ऐसे में अडानी और उनके सहयोगियों ने सरकारी अफसरों को इसलिए रिश्वत दी, ताकि वो SECI से बिजली खरीदें। आरोप है कि अडानी ग्रुप ने सरकारी अफसरों को 26.5 करोड़ डॉलर यानी करीब 2,200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी। इसके लिए अडानी ग्रुप ने अमेरिकी इन्वेस्टर्स से रकम जुटाई थी और रिश्वत देने की बात छिपाई थी।