साल 21 मई, 1991, दिल्ली में 10 जनपथ पर एक अलग सा सन्नाटा छाया हुआ था। सोनिया और प्रियंका गांधी सोने की तैयारी कर रहे थे। 10 बजकर 50 मिनट पर निजी सचिव विंसेट जॉर्ज के पास मद्रास से एक फोन आता है। फोन करने वाले खुफिया विभाग से था। उसने जॉर्ज को धीमी आवाज में कहा ‘सर प्रधानमंत्री राजीव गांधी अब इस दुनिया में नहीं हैं।‘ इस सूचना के बाद फोन बंद हो जाता है। वह घबराए हुए सीधा मैडम के पास पहुंचते है।

 

सोनिया को हो गया था आभास

 

सोनिया को आभास हो गया था कि कुछ तो अनहोनी हुई है। कांपती हुई आवाज में जॉर्ज ने कहा, ‘मैडम मद्रास में बम धमाका हुआ है।‘ सोनिया ने पूछा- इज ही अलाइव? जॉर्ज की चुप्पी से सोनिया समझ गई कि राजीव गांधी की मौत हो चुकी हैं। 10 जनपथ की दिवारों ने सोनिया गांधी की चीखती हुई आवाज शायद पहली बार सुनी थी। जोर-जोर से रोने की आवाज से बाहर गेस्ट रूम में बैठें कांग्रेस के नेताओं को समझ आ गया था कि देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी अब इस दुनिया में नहीं रहे....

 

उसी रात करीब आधे घंटे पहले 10:21 पर तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में राजीव गांधी एक चुनावी रैली में शामिल हुए थे। पुरुषों से मिलने के बाद राजीव महिला समर्थकों से मिलने के लिए आगे बढ़े। तभी 30 साल की नाटी कद और सावंली सी दिखने वाली एक महिला चंदन का हार लिए राजीव गांधी के पास करीब पहुंचती है। जैसे ही वह उनका पैर छूने के लिए नीचे झुकती है वैसे ही जोर सा धमाका होता है।

 

हर जगह छा गया था सन्नाटा

10 सेकंड के लिए हर जगह सन्नाटा छा जाता है और सुनाई देती है चीख-पुकार। काले धुंआ छटा तो सब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तलाश करने लगे। उनका शरीर क्षत-विक्षत होकर कई टुकड़ों में बिखरा हुआ था। एक तरफ लूटो कपंनी के जूते वाला पैर तो दूसरी ओर गुच्ची घड़ी पहने हाथ का टुकड़ा देखना वहां मौजूद लोगों को हैरान कर रहा था।

 

राजीव गांधी की हत्या के पीछे क्या था कारण?

रैली में मौजूद लोगों को क्या पता था कि धनु (तेनमोजि राजरत्नम) नाम की महिला मानव बम बनकर देश के प्रधानमंत्री की हत्या करने वाली है। इस धमाके में करीब 18 लोगों की जानें गई थीं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स दावा करते है कि मरने वालों की संख्या 20 से 21 भी होगी। धनु लिट्टे की एक आत्मघाती हमलावर थी। दरअसल, राजीव गांधी ने क्षीलंका में लिट्ट् विद्रोहियों को काबू करने के लिए भारतीय सेनाओं की फौज भेजी थी। भारतीय सेना भेजने के इस फैसले से लिट्टे राजीव गांधी से काफी नाराज हो गए थे। जब लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए राजीव गांधी श्रीपेरंबदूर पहुंचे तो वहां लिट्टे ने उनपर हमला करने का प्लान बनाया जिसमें वह कामयाब भी रहे।