उत्तराखंड में आज से समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि UCC लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा। उन्होंने कहा कि UCC से समाज में एकरूपता आएगी और इससे सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलेंगे और सबकी समान जिम्मेदारियां होंगी।
2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने UCC लागू करने का वादा किया था। चुनाव में जीत के बाद सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना देसाई की अगुवाई में 27 मई 2022 को कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने 2 फरवरी 2024 को UCC की ड्राफ्ट रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। 7 फरवरी 2024 को इसका बिल विधानसभा में पास हो गया था। महीनेभर में ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस बिल को मंजूरी दे दी थी।
UCC मतलब क्या?
UCC यानी समान नागरिक संहिता यानी सभी धर्मों के लिए समान कानून। शादी, तलाक, गोद लेने के नियम, उत्ताराधिकार और संपत्तियों से जुड़े मामलों के लिए सभी धर्मों में अलग-अलग कानून हैं। UCC से सभी धर्मों के लिए कानून समान हो जाएंगे।
उत्तराखंड की UCC शादी, तलाक, उत्तराधिकारऔर लिव-इन रिलेशनशिप जैसे मामलों पर लागू होगी। सभी धर्मों में पुरुषों और महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र एक ही होगी। तलाक के आधार और प्रक्रियाएं एक होंगी। UCC मुस्लिमों में होने वाले बहुविवाह और हलाला पर भी प्रतिबंध लगाएगी।
क्या कुछ बदल जाएगा इससे?
- शादी की कानूनी उम्रः शादी तभी होगी जब लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की 18 साल से ज्यादा होगी। अब तक इस्लाम को छोड़कर बाकी सभी धर्मों में कानूनी उम्र लड़कों की 21 और लड़की की 18 साल ही थी। UCC आने के बाद अब सभी धर्मों में शादी की कानूनी उम्र यही होगी। इसके अलावा अब शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना भी जरूरी होगा।
- तलाक की प्रक्रियाः अभी अलग-अलग धर्मों में तलाक की प्रक्रिया और आधार अलग-अलग हैं। तलाक लेने के लिए हिंदू धर्म में पति-पत्नी को 6 महीने तो ईसाइयों में 2 साल तक अलग-अलग रहना पड़ता है। मुस्लिमों में तलाक के लिए अलग नियम हैं। मगर अब सभी धर्मों में तलाक की प्रक्रिया और आधार एक ही होंगे।
- बहुविवाह और हलाला खत्मः मुस्लिमों में बहुविवाह और हलाला की प्रथा भी खत्म हो जाएगी। मुस्लिम पुरुष दूसरी शादी तभी कर सकेगा जब पहली पत्नी से या तो तलाक हो गया हो या फिर उसकी मौत हो गई हो। इसी तरह हलाला की प्रथा भी बंद हो जाएगी।
- गोद लेने का अधिकारः सभी धर्मों में गोद लेने का अधिकार नहीं था। हिंदू महिला तो बच्चा गोद ले सकती है लेकिन मुस्लिम महिला नहीं ले सकती। अब सभी धर्म की महिलाओं को गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा।
- संपत्ति का अधिकारः हिंदू लड़कियों को तो अपने माता-पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार है। मगर दूसरे धर्मों में ऐसा नहीं है। अब सभी धर्मों में उत्तराधिकार और संपत्ति का अधिकार एक ही होगा।
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए भी नियम
लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी UCC में नियम बनाए गए हैं। ये सभी लोगों पर लागू होंगे, भले ही वो उत्तराखंड का निवासी हो या न हो। लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।
अगर लड़के-लड़की के बीच पारिवारिक संबंध या खून का रिश्ता है तो लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। अलग लड़का या लड़की में से कोई भी नाबालिग है तो इसका रजिस्ट्रेशन भी नहीं होगा। लिव-इन रिलेशनशिप को तभी वैध माना जाएगा, जब दोनों की सहमति हो।
लिव-इन रिलेशनशिप को खत्म कर रहे हैं तो इसकी जानकारी भी देनी होगी। ऐसी रिलेशनशिप के दौरान अगर बच्चा पैदा होता है तो उसे वैध माना जाएगा। अगर लिव-इन रिलेशनशिप टूटती है तो महिला भरण-पोषण और गुजारा भत्ता का दावा कर सकेगी।
अगर कोई लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हुए एक महीने के भीतर उसका रजिस्ट्रेशन नहीं करवाता है तो दोषी पाए जाने पर 3 महीने की जेल और 10 हजार रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है। इसी तरह अगर कोई रजिस्ट्रेशन के दौरान गलत जानकारी देता है तो 3 महीने की जेल और 25 हजार के जुर्माने की सजा हो सकती है।
सैनिकों के लिए खास प्रावधान
उत्तराखंड की UCC में सैनिकों के लिए वसीयत को लेकर खास प्रावधान किया गया है। तीनों सेनाओं के सैनिक हाथ से लिखकर या मौखिक गवाही पर वसीयत तैयार कर सकते हैं। दो गवाहों के सामने दिए गए मौखिक निर्देश या लिखित रूप में दर्ज किए गए निर्देशों को वसीयत माना जा सकेगा। हालांकि, ये साबित होना चाहिए कि वसीयत के दस्तावेज सैनिक ने ही लिखे थे।
इन पर लागू नहीं होगी UCC
27 जनवरी से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी। हालांकि, राज्य की कुछ अनुसूचित जनजातियों को इससे छूट मिली है। राज्य की ऐसी सभी जनजातियों, जिन्हें संविधान के भाग 21 के अंतर्गत संरक्षण मिला है, उनपर UCC लागू नहीं होगी। उत्तराखंड में करीब 3 फीसदी आबादी जनजातियों की है।