अमेरिकी सेना का C-17 ग्लोबमास्टर विमान बुधवार को 104 भारतीयों को लेकर अमृतसर पहुंचा। इन भारतीयों पर अमेरिका में अवैध तरीके से रहने का आरोप है। अमृतसर पहुंचे इन भारतीयों में से जो पंजाब के हैं, उन्हें पुलिस की गाड़ी से उनके गांव ले जाया जा रहा है। दूसरे राज्यों के लोगों को फ्लाइट के जरिए भेजा जाएगा।
डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद ये पहला मौका है जब भारतीयों को डिपोर्ट किया गया है। अमेरिका से वापस भेजे गए इन भारतीयों में से 33-33 लोग हरियाणा और गुजरात के हैं। 30 लोग पंजाब से हैं। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से 3-3 और चंडीगढ़ से 2 हैं।
डिपोर्ट किए गए भारतीयों में 13 नाबालिग हैं, जिनमें एक 4 साल का बच्चा भी शामिल है। एक भारतीय ने दावा किया है कि उन्हें अमेरिका से हथकड़ी लगाकर लाया गया है।
भारत लौटने वालों ने क्या बताया?
डिपार्ट किए गए भारतीयों में 36 साल के जसपाल सिंह भी हैं। जसपाल गुरदासपुर जिले के हरडोरवाल गांव के रहने वाले हैं। उन्हें 24 जनवरी को अमेरिका की बॉर्डर क्रॉस करते हुए पकड़ा गया था। उन्होंने बताया कि एक ट्रैवल एजेंट ने उनसे वादा किया था कि वो कानूनी तरीके से अमेरिका में एंट्री करवाएगा लेकिन उसने धोखा दे दिया।
जसपाल ने दावा किया कि अमेरिका जाने के लिए उन्होंने एक एजेंट को 30 लाख रुपये दिए थे। उनका दावा है कि उन्हें पहले फ्लाइट से ब्राजील ले जाया गया। वहां उनसे फ्लाइट से ही अमेरिका ले जाने का वादा किया गया। इसके बाद एजेंट यहां से चला गया। ब्राजील में 6 महीने रहने के बाद उन्हें मजबूरन बॉर्डर क्रॉस करनी पड़ी। अमेरिकी सीमा में घुसते हुए उन्हें पकड़ लिया। 11 दिन तक हिरासत में रखने के बाद उन्हें वापस भारत भेज दिया गया।
जसपाल ने कहा, 'हमें नहीं पता था कि हमें भारत वापस भेजा जा रहा है। हमने सोचा कि हमें दूसरे कैंप ले जाया जा रहा है। फिर एक पुलिस वाले ने बताया कि हम भारत जा रहे हैं।' उन्होंने दावा करते हुए कहा, 'हमें हथकड़ियां पहनाई गईं। पैरों में जंजीरें बांध दी गईं। इन्हें अमृतसर एयरपोर्ट पर खोला गया।'
'42 लाख कर्ज लिया था'
होशियारपुर के टाहली गांव के रहने वाले हरविंदर सिंह पिछले साल अगस्त में अमेरिका के लिए रवाना हुए थे। हरविंदर का दावा है कि उन्हें कतर, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, पनामा, निकारागुआ और फिर मेक्सिको ले जाया गया। मेक्सिको से उन्हें बाकी लोगों के साथ अमेरिका ले जाया गया।
हरविंदर सिंह ने दावा किया है कि एक ट्रैवल एजेंट ने उनसे वादा किया था कि उन्हें पहले यूरोप और फिर मेक्सिको ले जाया जाएगा। उन्होंने अमेरिका जाने के लिए 42 लाख रुपये का कर्ज लिया था।
उन्होंने कहा, 'हमने कई पहाड़ पार किए। समंदर पार किए। हम जिस नाव से समंदर पार कर रहे थे, वो पलटने वाली थी लेकिन हम बच गए।' हरविंदर ने कहा कि उन्होंने पनामा के जंगल में एक व्यक्ति को मरते देखा है। उन्होंने कहा, 'कभी-कभी हमें खाने के लिए सिर्फ चावल ही मिलता था। कभी-कभी हमें कुछ भी नहीं मिलता था। जब कुछ नहीं मिलता था तो हम बिस्किट खाते थे।'
हरविंदर की पत्नी कुलजिंदर कौर ने कहा, 'हमारे पास जो कुछ था, सब बेच दिया। हमें बेहतर भविष्य की उम्मीद थी। एजेंट को पैसे देने के लिए हमने भारी-भरकम ब्याज पर उधार लिया था। अब मेरे पति वापस आ गए हैं और हम पर भारी कर्जा भी हो गया है।'
'हमने लोगों को मरते देखा है'
अमेरिका से वापस भेजे गए पंजाब के ही एक शख्स ने 'डंकी रूट' के बारे में बताया। उन्होंने बताया, 'हमें पहले इटली और फिर लैटिन अमेरिका ले जाया गया। रास्ते में ही हमारे 30 से 35 हजार के कपड़े चोरी हो गए। हमने 15-15 घंटे तक नाव की सवारी की। 40-45 किलोमीटर हमें पैदल चलने को कहा गया।'
उन्होंने कहा, 'हमने 17-18 पहाड़ियां पार कीं। अगर कोई फिसल गया तो उसके बचने की कोई गुंजाइश नहीं होती। अगर कोई घायल हो जाता तो उसे मरने के लिए छोड़ दिया। हमने लाशें देखी हैं। हमने बहुत कुछ देखा है।'
पंजाब के ही एक शख्स ने बताया कि वो कर्जा लेकर अमेरिका गए थे। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका जाने के लिए उन्होंने जमीन बेच दी थी। परिवार की स्थिति पहले से ही नाजुक है।
'हमें तो लगा था कि वो इटली में है'
होशियारपुर के दारापुर गांव के रहने वाले सुखपाल सिंह अक्टूबर 2024 में इटली गए थे। पेशे से शेफ सुखपाल एक साल के वर्क परमिट पर इटली गए थे। हालांकि, उनके पूरे परिवार को पता नहीं था कि वो अमेरिका कैसे पहुंच गए।
उनके पिता प्रेम सैनी ने बताया, 'जहां तक हमें पता है वो इटली में वैध तरीके से रह रहा था। वहां वो शेफ था। उसके पास सारे दस्तावेज भी थे। हमारी उससे लगभग 20-22 दिन पहले बात हुई थी, तब वो इटली में ही था। उसने कहीं और जाने के बारे में भी नहीं बताया था।' उन्होंने कहा, 'मीडिया से हमें उसके बारे में पता चला। हमें नहीं पता कि वो अमेरिका कैसे और क्यों पहुंचा।'
कपूरथला के रहने वाले गुरप्रीत सिंह को अमेरिका भेजने के लिए उनके परिवार ने घर गिरवी रख दिया। गुरप्रीत के परिवार के एक सदस्य ने बताया, 'हमने कर्जा लिया। घर गिरवी रख दिया। रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए। हमने उसे अमेरिका भेजने के लिए 45 लाख रुपये खर्च किए। अब हमें पता चल रहा है कि उसे वापस भेज दिया गया है।'
यही हाल फतेहगढ़ साहिब के जसविंदर सिंह का भी है। जसविंदर सिंह कुछ महीनों पहले अमेरिका गए थे। उन्हें अमेरिका भेजने के लिए परिवार ने 50 लाख रुपये खर्च किए थे। ऊंचे ब्याज पर कर्जा लिया था। उनके परिवार के एक सदस्य ने कहा, 'हमने सोचा था कि वो वहां कुछ पैसे कमाएंगे।'