देश में वक्फ बिल लंबे समय से चर्चा में है। कहा जा रहा था इस शीतकालीन सत्र में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट संसद में रखी जा सकती है लेकिन अब चर्चाएं हैं इसमें देरी होगी। वक्फ पर जारी तमाम चर्चाओं और विवादों के बीच एक नई जानकारी सामने आई है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने संसद में दिए एक जवाब में बताया है कि देश में 58 हजार से ज्यादा वक्फ संपत्तियां ऐसी हैं जो अतिक्रमण का शिकार हैं। इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट ने अप्रैल 2024 में अपने एक फैसले में कहा था कि वक्फ संपत्ति पर अतिक्रमण करने वालों को बेदखल किया जाएगा। हाई कोर्ट ने साल 2010 के तमिलनाडु सरकार के उस कानून को भी असंवैधानिक घोषित कर दिया था जिसके तहत वक्फ संपत्तियों को तमिलनाडु सार्वजनिक परिसर अधिनियम के दायरे में ला दिया गया था।

 

वक्फ असेट मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया (WAMSI) के डेटा के मुताबिक, पूरे देश में लगभह 8.5 लाख से ज्यादा संपत्तियां ऐसी हैं जो वक्फ की हैं। इनकी कीमत लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये आंकी जाती हैं। राज्यों के हिसाब से सबसे ज्यादा राज्य संपत्तियां उत्तर प्रदेश के पास हैं। आपको यह भी बता दें कि देश में रेलवे और सेना के बाद सबसे ज्यादा संपत्ति वक्फ बोर्ड के पास ही है। हर राज्य का अपना वक्फ बोर्ड होता है और कई राज्यों में तो सुन्नी और शिया के अलग-अलग बोर्ड भी हैं।


क्या है वक्फ संपत्तियों की स्थिति?

 

वक्फ असेट मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया (WAMSI) देश में वक्फ संपत्तियों का ब्योरा रखता है। WAMSI के डेटा के मुताबिक, वक्फ की 58,929 संपत्तियां ऐसी हैं जो अतिक्रमण का शिकार हैं। इसमें से 869 संपत्तियां सिर्फ कर्नाटक की ही हैं। दरअसल, कर्नाटक के पूर्व सीएम और अब लोकसभा सांसद बसवराज बोम्मई ने लोकसभा में सवाल पूछा था। गैरतारांकित सवाल के तौर पर पूछे गए इस सवाल के जवाब में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने जवाब दिया है। उन्होंने यह सवाल वक्फ संपत्तियों के अतिक्रमण और अवैध ट्रांसफर के बारे में पूछा था।

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सरकार की ओर से मिला जवाब, Source: संसद की आधिकारिक वेबसाइट

 

 

सरकार ने अपने जवाब में यह भी बताया है कि वक्फ ऐक्ट की धारा 54 और 55 के मुताबिक, राज्य वक्फ बोर्ड के CEO इस अतिक्रमण के लिए कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। नियमों के मुताबिक, वक्फ की संपत्ति को बेचने, तोहफे में देने, अदला-बदली करने या कोई अन्य लेनदेन करने पर उसे अमान्य माना जाता है। हालांकि, वक्फ प्रॉपर्टीज लीज रूल्स 2014 के मुताबिक, राज्य वक्फ बोर्ड वक्फ की संपत्तियों को लीज पर दे सकते हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने बताया है कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल को वक्फ संपत्ति से जुड़ी जो शिकायतें मिलती हैं उन्हें राज्य वक्फ बोर्ड और राज्य सरकारों को भेज दिया जाता है। 

क्या हैं अतिक्रमण के मायने?

 

अक्सर आरोप लगते हैं कि वक्फ की संपत्ति को अवैध तरीके से किसी और काम के लिए दे दिया गया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतउल्ला खान पर यही आरोप था कि उन्होंने दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को किराए पर दे दिया था। ऐसे ही मामले दूसरे राज्यों में भी आए हैं।

 

वक्फ के कानून में कुछ ऐसे प्रावधान हैं जो अक्सर विवाद का भी कारण बनते हैं। यही वजह है कि लगभग 73 हजार से ज्यादा वक्फ संपत्तियां विवादित हैं और 8 हजार से ज्यादा संपत्तियों का विवाद अदालतों में चल रहा है। वक्फ संपत्तियां अक्सर आम लोगों के हितों से टकराव या दूसरी संस्थाओं से विवाद की वजह से चर्चा में आती हैं। राजधानी दिल्ली में ही कई ऐसी संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया जिनमें से कई का मालिकाना हक DDA और अन्य संस्थाओं के पास था।