पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) के खिलाफ राज्य की ओर से संचालित स्कूलों के सैकड़ों शिक्षक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। WBSSC मुख्यालय का घेराव कर रहे शिक्षक चाहते हैं कि भर्ती प्रक्रिया में दागी और बेदाग उम्मीदवारों की लिस्ट राज्य सरकार सार्वजनिक करे, जिसे छुपाया जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार दागी और बेदाग उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक करने के अपने वादे से मुकर रही है। सरकार के भरोसे के बाद शिक्षकों ने अपना कई दिनों से चला आ रहा विरोध प्रदर्शन खत्म कर दिया था लेकिन 21 अप्रैल से एक बार फिर शिक्षक सड़कों पर हैं।
दागी उम्मीदवार, उन उम्मीदवारों को कहा जा रहा है, जिनकी भर्ती प्रक्रिया में धांधली की गई, जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। बेदाग वे, जिन्होंने मेहनत से परीक्षा पास की, बिना नकल और घूस के नियुक्ति हासिल की। शिक्षकों का कहना है कि जो उम्मीदवार, तय प्रक्रिया के हिसाब से ही चुने गए हैं, उन्हें फंसाया जा रहा है, उनकी लिस्ट सार्वजनिक नहीं की जा रही है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने क्या कदम उठाया है?
पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि जिला विद्यालय निरीक्षकों को दागी और बेदाग उम्मीदवारों की सूची भेजी गई है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर यह सूची सार्वजनिक नहीं की गई तो फिर से तेज विरोध प्रदर्शन शुरू होगा। 26 अप्रैल को, प्रदर्शनकारी कर्मचारियों के समूह के साथ, राज्य की ओर से संचालित स्कूलों के कर्मचारियों के साथ एक बैठक की। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐलान किया कि जब तक मामला अदालतों में लंबित है, तब तक राज्य सरकार ग्रुप सी कर्मचारियों को 25,000 रुपये प्रति माह और ग्रुप डी कर्मचारियों को 20,000 रुपये प्रति माह देगी।
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क्या फैसला आया है?
सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था। 22 अप्रैल 2024 को कोलकाता हाई कोर्ट ने 25,752 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की सामूहिक नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को सही ठहराया।

कितना पुराना है भर्ती विवाद?
भर्ती प्रक्रिया साल 2016 में WBSSC की ओर से शुरू हुई थी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने हाई कोर्ट के इस फैसले पर सहमति जताई और कहा कि चयन प्रक्रिया में धांधली हुई है, हेराफेरी और धोखाधड़ी से भरी हुई भर्ती प्रक्रिया को रद्द करना गलत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी शिक्षक भर्ती को रद्द करने का आदेश दिया था।
'दागी और बेदाग उम्मीदवारों की लिस्ट ही नहीं जारी की'
न तो ममता बनर्जी सरकार, न ही WBSSC ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दागी और बेदाग उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। 19,000 स्कूलों में लगभग 25,000 शिक्षक और स्टाफ की नियुक्तियों के रद्द होने से स्कूल भर्ती की प्रक्रिया पर ही सवाल उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसी वजह से पूरी भर्ती प्रक्रिया ही रद्द किया।
राहत क्या मिली है?
17 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'निर्दोष' शिक्षक 2025 के अंत तक, नई भर्ती प्रक्रिया पूरी होने तक अपनी सेवाएं जारी रख सकते हैं। नॉन टीचिंग स्टाफ को कोई राहत नहीं दी गई। हैरान करने वाली बात यह है कि आयोग और राज्य सरकारों ने दागी-बेदाग उम्मीदवारों की लिस्ट ही सार्वजनिक नहीं की तो उन्हें वेतन कैसे मिले।
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पश्चिम बंगाल सरकार का रुख क्या है?
राज्य सरकार का कहना है कि 'दागी' और 'निर्दोष' उम्मीदवारों की सूची जिला स्कूल निरीक्षकों को भेज दी है, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि शिक्षकों को वेतन मिलता रहेगा और उन्हें 'दागी' या 'निर्दोष' की चिंता करने की जरूरत नहीं है।
विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहा है?
शिक्षक और स्टाफ मांग कर रहे हैं सरकार सूची सार्वजनिक करे। कोलकाता में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शनकारी शिक्षकों का कहना है कि 17,206 शिक्षकों में से 15,403 निर्दोष हैं। उन्हें 2025 तक काम करने की इजाजत मिली है। ग्रुप सी और डी के गैर-शिक्षक कर्मचारियों के लिए सरकार ने कोर्ट में मामला लंबित रहने तक 25 और 20 हजार प्रति माह देने का ऐलान किया है।
क्या है शिक्षक भर्ती घोटाला?
जुलाई 2022 में पश्चिम बंगाल के तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के घर ईडी की रेड पड़ी। उनके सहयोगियों के घर भी रेड डाली गई। जांच में यह सामने आया कि घूस लेकर नौकरियां दी गई थीं। ईडी ने कुछ अन्य गिरफ्तारियां भी कीं।
क्या चाहते हैं प्रदर्शनकारी?
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सिर्फ वेतन ही नहीं, उनकी गरिमा की रक्षा के लिए 'दागी' और 'बेदाग' उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की जाए। सूची सार्वजनिक नहीं है, यह शिक्षकों के लिए अपमानजनक है। उनका कहना है कि ममता बनर्जी सरकार और शिक्षा आयोग जल्द से जल्द इस लिस्ट को सार्वजनिक करे।