भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नागरिक सुरक्षा नियम- 1968 के तहत आपातकालीन शक्तियों के इस्तेमाल का निर्देश दिया है। इस संबंध में गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों व प्रशासकों को पत्र भी लिखा है। नागरिक सुरक्षा नियम- 1968 की धारा 11 के तहत राज्य व यूटी के नागरिक सुरक्षा निदेशक को आवश्यक आपातकालीन खरीद शक्तियां प्रदान की गई हैं, ताकि आपात परिस्थितियों में वे आवश्यक खरीद कर सकें।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे गए पत्र में अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड के महानिदेशक विवेक श्रीवास्तव ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शत्रुतापूर्ण हमलों के खिलाफ नागरिक प्रशासन की तैयारी और एहतियाती उपाय अपनाना नागरिक सुरक्षा अधिनियम और नियम- 1968 के तहत आता है।
वर्तमान शत्रुतापूर्ण हमले के परिदृश्य का हवाला देते हुए मुख्य सचिवों का ध्यान नागरिक सुरक्षा नियम- 1968 की धारा 11 की ओर आकर्षित किया गया। यह नियम राज्यों को शत्रुतापूर्ण हमले की स्थिति में लोगों और संपत्तियों को क्षति से बचाने या अहम सेवाओं के समुचित रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक समझे जाने वाले कुछ उपाय अपनाने का अधिकार देता है।
क्या है नागरिक सुरक्षा नियम- 1968
नागरिक सुरक्षा अधिनियम को किसी भी हमले से निपटने के उद्देश्य से बनाया गया है। यह नियम केंद्र और राज्य सरकारों को हमले से पहले सुरक्षा उपाय, नियंत्रण और हमले के बाद जवाबी एक्शन लेने का अधिकार देता है। अगर देश के आबादी वाले क्षेत्रों और बुनियादी ढांचे पर हमला किया जाता है तो इसका जवाब देने का अधिकार भी इसी नियम में दिया गया है। यह हमला जमीन, हवा या समुद्र कहीं से भी किया गया हो।
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नियम से जुड़ी अहम बातें
- किसी भी हमले से लोगों की संपत्ति और बुनियादी ढांचे की रक्षा करना।
- ऐसे हमलों के प्रभाव को कम करना।
- हमले से पहले, बाद और दौरान ऑपरेशन की अनुमति।
- हवाई या रात को होने वाले हमलों से बचाव के लिए सरकार स्ट्रीट लाइट, घरेलू लाइट पर रोक लगा सकती है। उन्हें रेगुलेट कर सकती है।
- सुरक्षा और कैमोफ्लॉज के लिए वाहनों की लाइट को ढका या रेगुलेट किया जा सकता है।
- अगर लाइट के कारण कोई खतरा पैदा होता है तो कुछ सड़कों पर यातायात तक भी रोका जा सकता है।
- धुआं, आग, चिंगारी और शोर-शराबे पर भी प्रशासन रोक लगा सकता है, ताकि दुश्मन की सेना हमला न कर सके।
- इमारतों और घरों के मालिकों को अग्निशमन उपायों की व्यवस्था करने का आदेश दिया जा सकता है।
- अधिकारी या पुलिस परिसर की जांच कर सकते हैं। वह ये देखेंगे कि नियमों का पालन किया जा रहा है या नहीं।
- अगर मालिक ने इन उपायों को नहीं अपनाया तो सरकार वहां अग्निशमन से जुड़ी व्यवस्था करेगी। मगर पैसा मालिक को देना होगा।
- आग लगने के दौरान अधिकृत कर्मचारी किसी भी प्रॉपर्टी पर जा सकते हैं। इमारत को नष्ट कर सकते हैं। आग को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठा सकते हैं।
- सरकार घरों के मालिकों को कैमोफ्लॉज का आदेश दे सकते हैं। जैसे छतों पर पेटिंग और जाल लगाना।
- अगर मालिक ने व्यवस्था नहीं की तो अधिकारी उसके ही खर्च पर स्वयं व्यवस्था करेंगे।
- सरकार विषाक्त, ज्वलनशील या विस्फोटक पदार्थों के भंडारण पर रोक लगा सकती है।
- इन पदार्थों की मात्रा तय कर सकती है। सुरक्षा उपाय अपनाने का आदेश दे सकती है।
- अधिकृत अधिकारी किसी भी वक्त निरीक्षण कर सकता है।
- हवाई हमलों से बचने के लिए सरकारें संवेदनशील परिसरों पर आश्रय स्थल बना सकती हैं।
- निर्माण ठीक से हुआ है या नहीं, इसकी जांच भी की जा सकती है।
- अगर किसी बंदरगाह, शहर या कस्बे आग लगती है या धमाका होता है तो अधिकारी निजी लोगों से जल आपूर्ति ले सकते हैं।
- सरकार किसी भी क्षेत्र में एक्सरसाइज और मॉक ड्रिल कर सकती है।
- एक्सरसाइज के वक्त नागरिक सुरक्षा कर्मी जल स्रोतों का इस्तेमाल और अस्थायी निर्माण कार्य कर सकते हैं। सड़कों या सेवाओं पर रोक लगा सकते हैं।
- अगर अभ्यास के कारण संपत्ति या लोगों को नुकसान होता है तो मुआवजा देने का भी प्रावधान है।
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केंद्र ने इस्तेमाल की इजाजत क्यों दी?
पाकिस्तान लगातार भारत में आबादी वाले क्षेत्रों को निशाना बना रहा है। बुधवार की रात उसने जम्मू से गुजरात तक 15 शहरों पर हमले की कोशिश की। पुंछ और राजौरी में मासूम लोगों को पाकिस्तान अपनी गोलाबारी से निशाना बना रहा है। गुरुवार की रात भी उसने लगभग 300 से 400 ड्रोन से भारत पर हमले का प्रयास किया। मगर मुस्तैद भारतीय सेनाओं ने हर मंसूबे को नाकाम कर दिया है। अब लोगों की सुरक्षा के लिहाज से ही केंद्र ने सिविल डिफेंस नियम का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है।