2025 चुनौती भरा साल रहा। दुनियाभर में संघर्षों का नया दौर शुरू हुआ। उम्मीद है कि नववर्ष में इन संघर्षों पर लगाम लगेगी। दुनिया तरक्की की नई तस्वीर देखेगी। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। सभी की उम्मीद भरी निगाहें भारत पर टिकी हैं। उम्मीद है कि नववर्ष पर भारत तेज आर्थिक विकास के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर विकसित करेगा। सड़क, बिजली, पानी और रेल इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस किया जाएगा।
मंहगाई और ग्रामीण भारत पर सरकार को अधिक ध्यान देना होगा। मध्य-पूर्व में बदलते हालात के बीच तेल की कीमतों को नियंत्रित करने की चुनौती होगी। वहीं सियासी परिदृश्य की बात करें तो 2026 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। यहां सभी सियासी दलों की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। आइये एक नजर डालते हैं कि भारत में 2026 में किसे क्या चाहिए?
देश के नेता क्या चाहते: देश के नेताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती आने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने की है। 2025 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव है। इनमें से असम और पुडुचेरी में बीजेपी की सरकार है। बाकी सभी जगह विपक्षी दलों का कब्जा है।
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बीजेपी: असम में बीजेपी अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखना चाहेगी। इसके अलावा उसका मुख्य फोकस दक्षिण में विस्तार का है। तमिलनाडु और केरल चुनाव को पार्टी बेहद अहम मान रही है। तिरुवनंतपुरम नगर निगम में मिली जीत से पार्टी उत्साहित है। उधर, तमिलनाडु से भी बीजेपी को काफी उम्मीद है। वहीं डीएमके अपनी सत्ता को बरकरार रखने की पूरी कोशिश करेगी। पिछले चुनाव में बीजेपी ने बंगाल में अच्छा प्रदर्शन किया था। पार्टी अबकी बार सरकार बनाने का दावा कर रही है।
टीएमसी: 2026 में टीएमसी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी को रोकने की है। वहीं सत्ता विरोधी लहर से भी पार पाना होगा। अगर कांग्रेस गठबंधन से अलग लड़ी तो वह टीएमसी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। अब देखना यह होगा कि टीएमसी उससे और अपने ही पूर्व विधायक हुमायूं कबीर से कैसे पार पाती है। हालांकि टीएमसी की ख्वाहिश सत्ता में वापसी करेगी 2026 में इतिहास रचने की है।
कांग्रेस: साल 2025 कांग्रेस के लिए चुनौती भरा रहा। विधानसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। 2024 में महाराष्ट्र और हरियाणा में भी पार्टी कुछ खास नहीं कर सकी। मगर 2026 से उसे उम्मीदें हैं। पार्टी तमिलनाडु और केरल के अलावा असम व बंगाल में बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है।
आम आदमी पार्टी: 2025 में आम आदमी पार्टी को अपना सबसे मजबूत किला दिल्ली खोना पड़ा। यही से पार्टी का नींव पड़ी थी। अब पार्टी का पूरा फोकस पंजाब और आने वाले गुजरात चुनाव में है। 2026 में पार्टी पंजाब में अपनी सियासी जमीन और जनता के बीच पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश करेगी, ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव में अपने दूसरे किले पंजाब को बरकरार रखा जा सके और गुजरात में सेंधमारी की सके।
अर्थव्यवस्था: भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। नववर्ष में भी भारत अपनी इसी ग्रोथ को बनाए रखना चाहेगा। विश्वबैंक ने 2026 में 6.5 फीसद विकास दर का अनुमान लगाया। वहीं आईएमएफ का अनुमान 6.2 से 6.6% के बीच है। भारत का लक्ष्य मंहगाई को 4% के आसपास रखने का होगा। हाल ही जापान को पछाड़कर भारत विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। अब भारत का लक्ष्य जर्मनी को पछाड़कर तीसरे पायदान पर आने का है।
युवा नेताओं के सामने कौन से अवसर?
- 2026 देश के युवा नेताओं के सामने एक अवसर की तरह होगा। युवा नेताओं को खुद को साबित करने और अपना जनाधार बढ़ाने का मौका खूब मिलेगा। 2026 में यूपी में पंचायत चुनाव है। अगले साल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पंचायत चुनाव को सेमी फाइनल की तरह देखा जा रहा। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की कोशिश रहेगी कि पंचायत चुनाव में लोकसभा वाली लय बरकरार रखी जाए। वहीं बसपा में दोबारा वापसी के बाद आकाश आनंद के सामने नए साल में खुद को साबित करने का बेहतर मौका है।
- ममता बनर्जी टीएमसी का सबसे बड़ा चेहरा हैं। मगर वह अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को आगे बढ़ा रही हैं। इसका अंदाजा अभिषेक की सक्रियता से साफ लगता है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 अभिषेक बनर्जी के लिए खुद को प्रदेश की सियासत में स्थापित करने का एक मौका जैसा है। बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से तेजस्वी यादव को बड़ा झटका जरूर लगा। मगर नए साल में नई शुरुआत करने की उम्मीद है।
- तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन अक्सर विवादित बयान की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। अबकी चुनाव में उन्हें यह साबित करना होगा कि वह सिर्फ बयानबहादुर ही नहीं, बल्कि जनसमर्थन वाले नेता हैं। असम में कांग्रेस नेता गौरव गोगोई के सामने सीएम हिमंत बिस्वा सरमा की चुनौती होगी। गौरव के सामने यहां चुनौती के अलावा खुद को एक नई शक्ति के तौर पर उभारने की अवसर है।
- हरियाणा में दुष्यंत चौटाला और उनके भाई दिग्विजय चौटाला का उभार काफी तेजी से हुआ। 2019 में उनकी पार्टी जेजेपी 10 सीटें जीती। मगर 2024 चुनाव में खाता तक नहीं खुला। 2026 चौटाला भाइयों के सामने एक उम्मीद की तरह है। इस वर्ष वह अपनी जनसमर्थन को दोबारा हासिल करने की कोशिश कर सकते हैं।
इन मुद्दों पर करना होगा फोकस
देश की कुल आबादी में करीब 65 फीसद युवा है। ऐसे में देश के युवा राजनेताओं के सामने कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर फोकस करेंगे युवा मतदाताओं को साधा जा सकता है।
- शिक्षा में सुधार की वकालत
- बेरोजगारी को मुद्दा बनाना होगा
- स्टार्टअप जैसी पहल पर बात
- पर्यावरण से जुड़े मुद्दे पर अधिक संवेदनशीलता
- युवाओं को नेतृत्व में अधिक भागेदारी
- नई सोच और नए युवा ब्रांड को आगे लाना होगा
- लैंगिग समानता और स्वास्थ्य का मुद्दा
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खेल में भारत को क्या उम्मीद?
आईसीसी पुरुष टी-20 वर्ल्ड कप का आयोजन इसी साल भारत और श्रीलंका में किया जाएगा। भारत ने पिछला टी-20 विश्वकप अपने नाम किया था। इस बार भी टीम की उम्मीद जीत के सिलसिले को बरकरार रखने का होगा। विश्वकप का आयोजन 7 फरवरी से 8 मार्च तक किया जाएगा। फाइनल मुकाबला अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जाएगा। इसी साल जापान में आयोजित होने वाले एशियन गेम्स से भी भारत को खूब उम्मीदे हैं। खास बात यह है कि क्रिकेट को भी इसमें शामिल किया गया है। ऐसे में भारत को पदक की पूरी उम्मीद है। वहीं इंडिया ओपन (बैडमिंटन) में पदक की आशा है।
अंतरराष्ट्रीय: फ्री ट्रेड डील पर रहेगा फोकस
अमेरिका की टैरिफ चुनौतियों के बीच भारत अपने व्यापार में विविधता ला रहा है। यूके, ओमान और न्यूजीलैंड के बाद भारत की उम्मीद 2026 में कई अन्य देशों के साथ फ्री ट्रेड डील साइन करने की है। अमेरिका से भी व्यापार समझौते पर अंतिम चरण की बातचीत चल रही है। उम्मीद है कि इसी साल कुछ बेहतर हो सकता है। भारत लगातार अपने पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को बेहतर करने में जुटा है। मगर बांग्लादेश के साथ रिश्ते बेहद तनाव भरे हैं। उम्मीद है कि वहां नई सरकार के गठन के साथ भारत से रिश्तों को बेहतर किया जाएगा।
