एक जुलाई को कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया ने एक्स पर पोस्ट लिखा और दावा किया कि पिछले एक महीने में हासन जिले में 20 ज्यादा लोगों की जान हार्ट अटैक से गई है। प्रदेश सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया और जांच का जिम्माा जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च के निदेशक डॉ. रवींद्रनाथ को सौंपा। उनकी अगुवाई में विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है। 10 दिनों के भीतर समिति अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसमें यह जांचा जाएगा कि युवाओं की अचानक हो रही मौत और कोविड टीकों के बीच कोई संबंध है या नहीं।

 

कर्नाटक सीएम सिद्धरमैया ने अपने बयान में कहा, 'इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कोविड वैक्सीन को जल्दबाजी में मंजूरी देना और जनता को लगाना भी इन मौतों का एक कारण हो सकता है, क्योंकि हाल ही में दुनियाभर में कई अध्ययनों ने यह संकेत मिला है कि कोविड वैक्सीन दिल के दौरे की बढ़ती संख्या की एक वजह हो सकता है।' सीएम के इस बयान के बाद कोविड वैक्सीन पर नई बहस शुरू हो गई है। आइए जानते हैं कि वैक्सीन मामले पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR), दिल्ली एम्स समेत विशेषज्ञों का क्या कहना है?

 

 

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी के निदेशक डॉ. मनोज वी मुरहेकर का कहना है कि उनके अध्ययन से संकेत मिलता है कि कोविड-19 टीकाकरण का अचानक से होने वाली मौत में कोई संबंध नहीं है।

 

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अचानक मौत का टीके से कोई संबंध नहीं: डॉ. गुलेरिया

हार्ट से हो रही मौतों पर दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि हार्ट अटैक से युवाओं की मौत की खबरें आ रही हैं। इन मौतों की पीछे तलाशने की खातिर अध्यन किए हैं। अगर आईसीएमआर और एम्स केअध्ययनों को देखें तो इससे साफ होता है कि इन युवा लोगों की मौत का कोविड वैक्सीन से कोई संबंध नहीं है। कोविड टीके या बाकी टीकों के कुछ दुष्प्रभाव होते हैं। मगर दिल के दौरे से इसका कोई संबंध नहीं है। यह किसी भी अध्ययन से पता नहीं चला है।

 

'महामारी में वैक्सीन से मृत्यु दर कम हुई'

एम्स दिल्ली के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. करण मदान का कहना है कि कोविड टीके प्रभावकारी थे। वैक्सीन ने मौत की दर को कम करने में अहम भूमिका निभाई। महामारी के दौरान जीवन बचाने के लिए टीका ही एकमात्र उपाय था। बड़ी संख्या में लोगों पर वैक्सीन के इस्तेमाल से मृत्यु दर को घटाने में मदद मिली है। अचानक होने वाले मौतों पर एक अध्ययन किया गया। मगर हार्ट अटैक से होने वाली मौतों के साथ कोई स्पष्ट संबंध नहीं मिला है। 

 

गलत जानकारी से सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा

कोविड वैक्सीन पर इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (IPA) के महासचिव सुदर्शन जैन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के वक्त वैक्सीन ने अहम भूमिका निभाई है। गलत जानकारी और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने से सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा है। वैश्विक स्तर पर विज्ञान और स्वास्थ्य देखभाल पर बने भरोसे को कमजोर किया जा रहा है। वैक्सीन उत्पादन में आज भारत का हिस्सा लगभग 60 फीसदी है। कोविड महामारी वक्त भारत ने दुनियाभर में दवाइयों और वैक्सीन की सप्लाई की। नियामक प्रक्रियाओं के तहत वैक्सीन की सख्त टेस्टिंग की गई।

 

 

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12 वैक्सीन को WHO ने मंजूरी दी

सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने बताया कि कोरोना वैक्सीन की प्रभावशीलता 62.1 थी। कई नियामक प्राधिकरणों ने पहले से ही 37 वैक्सीन को मंजूरी दी गई है। डब्ल्यूएच ने लगभग 12 वैक्सीन को मंजूरी दी है। अधिकांश वैक्सीन अलग-अलग तकनीक से बनी हैं। कोवैक्सिन को एक पुरानी तकनीक से बनाया गया है। कोविशील्ड एक वेक्टर का इस्तेमाल करता है। यह एक एडेनोवायरस है। रूस की स्पुतनिक वैक्सीन भी इसी फार्मूले पर बनी है। पूरी दुनिया में 13 बिलियन से अधिक खुराक पहले ही दी जा चुकी हैं। अमेरिका में अभी ही चौथी खुराक दी गई है। डब्ल्यूएच की सिफारिश है कि छह महीने और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को नए वैरिएंट के साथ टीका लगवाना चाहिए।