केंद्र सरकार ने नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है। आसान भाषा में समझें तो 5वीं और 8वीं कक्षा में बच्चों को फेल न करने की नीति को खत्म कर दिया है। यानी अब अगर कोई बच्चा 5वीं और 8वीं में फेल हो जाता है तो उसे फिर से उसी क्लास की परीक्षा देनी होगी। जैसा कि अभी 10वीं और 12वीं में होता है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि भले ही कोई बच्चा फेल हो जाए, उसे स्कूल से नहीं निकाला जाएगा। सरकार का यह फैसला केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल और केंद्र सरकार द्वारा संचालित 3 हजार से ज्यादा स्कूलों पर लागू होगा।

 

इस फैसले के बारे में शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई का परिणा सुधारने के लिए यह फैसला लिया गया है। उन्होंने आगे कहा, 'बच्चों के सीखने की क्षमता में आ रही गिरावट को रोकने के लिए यह कदम जरूरी समझा गया है।' सरकार की कोशिश है कि इस फैसले से बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी पढ़ाई के प्रति ज्यादा जिम्मेदार बनाया जाए।


क्या है पूरा मामला?

 

साल 2019 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) में संशोधन के बाद, कम से कम 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही इन दो कक्षाओं के लिए नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है। अधिसूचना के मुताबिक, नियमित परीक्षा के आयोजन के बाद अगर कोई बच्चा समय-समय पर जारी किए जाने वाले पदोन्नति मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है तो उसे रिजल्ट की घोषणा की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर अतिरिक्त निर्देश और पुनः परीक्षा का अवसर दिया जाएगा। यानी दो महीने के अंदर दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा।

अधिसूचना में आगे कहा गया है कि अगर परीक्षा में बैठने वाला छात्र अगली कक्षा में जाने की योग्यता के मानदंडों को पूरा करने में असफल रहता है तो उसे पांचवीं या आठवीं कक्षा में ही रोक दिया जाएगा। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी भी बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक स्कूल से निकाला नहीं जाएगा। इस तरह से फेल हुए बच्चे की मदद क्लास टीचर करेंगे। क्लास टीचर बच्चे के साथ-साथ उसके पैरेंट्स को भी समझाएंगे और यह कोशिश करेंगे कि बच्चे को आ रही समस्या को सुलझाया जाए ताकि वह सीखकर आगे बढ़ सके।

 

शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह अधिसूचना केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित केंद्र सरकार द्वारा संचालित 3,000 से ज्यादा स्कूलों पर लागू होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है इसलिए राज्य इस संबंध में अपना निर्णय ले सकते हैं। 16 राज्यों और दिल्ली सहित दो केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही इन दो कक्षाओं के लिए फेल न करने की नीति को खत्म कर दिया है। हरियाणा और पुडुचेरी ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है जबकि शेष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने नीति को जारी रखने का फैसला किया है।'