किसी दिन आपको एक फोन आता है और आपसे कहा जाता है कि आपके एक बैंक अकाउंट से कुछ पैसे का ट्रांजेक्शन हुआ है। हम सीबीआई से हैं और उसकी जांच कर रहे हैं। आपको बताया जाता है कि पैसे का ट्रांसफर मनी लॉन्डरिंग या टेरर फंडिंग से जुड़ा हुआ है। इसके बाद आपसे कहा जाता है कि आपको मुंबई या किसी अन्य शहर में पूछताछ के लिए आना पड़ेगा।

 

आप इसमें असमर्थता जताते हैं तो आपसे कहा जाता है कि फिर आपको लगातार फोन पर बने रहना होगा ताकि आपके हर एक कदम की जानकारी पुलिस या सीबीआई को रहे। यही है 'डिजिटल अरेस्ट'।

 

क्या है डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट एक नए तरह का फ्रॉड है जिसमें फ्रॉड करने वाला शख्स टारगेट (जिसके साथ फ्रॉड किया जाता है) से कहता है कि उसे डिजिटल या वर्चुअल तरीके से वीडियो या ऑडियो कॉल के जरिए कनेक्ट रहना होगा। टारगेट से यह भी कहा जाता है कि इसके बारे में किसी को बताना नहीं है और यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक टारगेट के द्वारा फ्रॉड करने वाले व्यक्ति के खाते में पैसे ट्रांसफर नहीं कर दिए जाते हैं।

 

पुलिस ने बार-बार इस बात को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज़ नहीं है लेकिन फिर भी इन घटनाओं में बढ़ोत्तरी होने का मतलब है कि यह बात काफी लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है।

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें

डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए सबसे पहली बात तो यही है कि अगर आप जागरुक हैं तो आपको पता है कि भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है। फिर भी आपको अगर इस तरह का कोई फोन आता है तो आप कुछ कदम उठाने चाहिए-

 

नंबर को रिपोर्ट करें: किसी भी संदिग्ध कॉल की तुरंत पुलिस को सूचना दें। कॉल करने वाले से उलझें नहीं।

 

वेरिफिकेशन करें: किसी सर्च इंजन पर सर्च करके मिले नतीजों और कॉल करने वाले द्वारा दी गई जानकारी पर निर्भर रहने के बजाय, आधिकारिक वेबसाइट्स पर जाकर उस व्यक्ति के बारे में और उसके कॉन्टैक्ट नंबर के बारे में वेरिफिकेशन करें।

 

पेमेंट न करें: किसी भी जांच को रोके जाने की एवज में पैसे मांगने का कानून में कोई प्रावधान नहीं है। यानी कि अगर कोई आपसे पैसे मांगता है तो सतर्क हो जाएं।

 

अगर आपके साथ धोखाधड़ी हो चुकी है: अगर आपको लगता है कि आपके साथ धोखाधड़ी हुई है, तो 15-20 मिनट के अंदर वित्तीय हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें और किसी भी पैसे के ट्रांसफर को रोक दें। इसके अलावा, तुरंत अपने स्थानीय साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज करें।

 

कितने बढ़े हैं साइबर क्राइम

पिछले दस सालों में भारत में साइबर क्राइम के मामले काफी बढ़ चुके हैं। एनसीआरबी डेटा के मुताबिक साल 2020 से2021 के बीच में साइबर क्राइम के मामलों में 52,974 मामलों के साथ  11।8 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।

 

साइबर क्राइम के मामले माले साल-दर- साल बढ़ते ही जा रहे हैं। साइबर क्राइम के जितने भी मामले रिपोर्ट किए जाते हैं उनमें से सबसे ज्यादा मामले वित्तीय फ्रॉड से जुड़े हुए होते हैं।

डिजिटल पेमेंट के लगातार बढ़ते प्रयोग की वजह से वित्तीय साइबर क्राइम में ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। यही नहीं मैलवेयर और हैकर्स का अटैक भी काफी बढ़ गया है।