प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 'वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन' योजना को मंजूरी दी है। सरकार का तर्क है कि छात्रों के लिए हाई क्वालिटी पब्लिकेशन बेहद महंगे होते हैं। कुछ पत्र-पत्रिकाएं विद्यार्थियों की पहुंच से बाहर होती हैं। पढ़ाई के लिए छात्रों को उन्हें तलाशने के लिए जूझना पड़ता है। अगर सारे विश्वविद्यालयों के लिए इन्हें खरीदकर एक प्लेटफॉर्म पर मुहैया करा दिया जाए तो सारे छात्र इससे लभान्वित हो सकते हैं। 

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस पर कहा है, 'वन नेशनल वन सब्सक्रिप्शन, छात्रों के हितों में उठाया जाने वाला सबसे बड़ा कदम है। हमें पता है कि छात्र जब शोध कर रहे होते हैं, उन्हें कुछ बेहद महंगी किताबों और पत्रिकाओं को पढ़ना पड़ता है। प्रधानमंत्री ने इसे देखते हुए एक नई योजना तैयार की है। वे चाहते हैं कि सभी विश्वविद्यालय, अपनी लाइब्रेरी कॉमन करें, जिससे सभी महंगे प्रसिद्ध जर्नल्स को एक प्लेटफॉर्म पर देखा जा सके। 

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इनका सब्सक्रिप्शन लिया जाए और सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए इसे मुहैया करा दिया जाए। इस परियोजना पर होने वाल कुछ खर्च अनुमानत: 6000 करोड़ रुपये होंगे।' 


क्या है वन नेशनल वन सब्सक्रिप्शन योजना?
उच्च शिक्षा विभाग के वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन पोर्टल के जरिए छात्र महंगी किताबों और पत्रिकाओं को सहजता के साथ पढ़ सकेंगे। इस पर करीब 6000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। साल 2025, 26 और 2027 तक में ये राशि खर्च होगी।

कहां पढ़ सकेंगे किताब-मैगजीन?
सभी विश्वविद्यालय अपनी लाइब्रेरी को ऑनलाइन पोर्ट पर उपलब्ध कराएंगे। यह डिजिटल प्रक्रिया के जरिए होगा। इसके एक्सेस के लिए छात्रों को यूजर आईडी-पासवर्ड मिलेगा। 


मकसद क्या है?
वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन का लाभ, उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों को मिलेगा। ऐसे छात्र जो रिसर्च और डेवलेपमेंट प्रोजक्ट्स से जुड़े हैं, उन्हें एक्सेस दिया जाएगा। इन्हें इन्फॉर्मेशन एंड लाइब्रेरी नेटवर्क (INFLIBNET) से कनेक्ट किया जाएगा। देश के 6300 शैक्षणिक संस्थाओं को इससे लाभ मिलेगा। देश के 1 करोड़ से ज्यादा छात्र इससे लाभान्वित होंगे।