26 अगस्त, 2023 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक यूट्यूबर का शव खेत में बरामद किया गया। घटनास्थल पर पुलिस को एक लाल रंग का बटन मिला। जब आरोपियों के कपड़ों की छान-बीन की गई तो बटन शर्ट से गायब था और इसी तरह पुलिस को मर्डर की गुत्थी सुलझाने में मदद मिली। किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक छोटा सा बटन इतना कामगार साबित होगा। आप कितनी भी समझदारी और चालाकी करें कोई नहीं देखेगा, लेकिन जब आपके शर्ट से बटन गायब हो जाए तो हर किसी की नजर आप पर ही टिकी रहेगी।
बटन और शर्ट एक-दूसरे के बिना अधूरे है। जानकर हैरानी होगी लेकिन 5वीं शताब्दी तक बीजान्टिन साम्राज्य या पूर्वी रोमन साम्राज्य में शर्ट के कफ को बंद करने के लिए बटन का इस्तेमाल किया जाने लगा था। बटन वाले शर्ट पुरुषों के परिधान में हमेशा से रहा। वैसे तो शर्ट का इतिहास 3000 ईसा पूर्व का है। इतिहासकार इसे दुनिया के सबसे पुराने संरक्षित परिधानों में से एक मानते हैं। मूल रूप से शर्ट को अंडरवियर के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, ताकि फ्रॉक और वेस्टकोट को गंदगी और पसीने से बचाया जा सके।
जब कॉलर को कहा जाता था 'रफ'
मिडिल एज में शर्ट का एक ऐसा संस्करण देखा गया जिसमें अलग-अलग कफ और कॉलर थे। इस कॉलर को 'रफ' के नाम से जाना जाता था और इसे बनाने में कई मीटर कपड़े लगते थे।
मध्यकालीन युग और फिर पुनर्जागरण के दौरान शर्ट के डिजाइन में बदलाव आया। स्वॉर्ड्समैन शर्ट, रफ्ड कॉलर शर्ट और स्कॉटिश शर्ट ने इतिहास को बदल कर रख दिया।
जब कॉलर वाले शर्ट बनी यूरोपियन की पसंद
16वीं शताब्दी तक कॉलर वाले शर्ट यूरोपियन की पसंद बन चुकी थी। इसके बाद 19वीं और 20वीं सदी तक शर्ट के एक हिस्से पर अगर सबसे ज्यादा काम हुआ तो वो था कॉलर। इसका डिजाइन वक्त के साथ बदलता चला गया। वहीं, जब रंगों की बात आती है, तो शर्ट में सफेद रंग का काफी ज्यादा इस्तेमाल होने लगा। हालांकि, समय के साथ, सफ़ेद कॉलर और कफ़ वाली पैटर्न वाली शर्ट काफी लोकप्रिय होने लगे। 19वीं सदी के बाद धारीदार शर्ट भी फैशन में आ गई। हालांकि, पैटर्न वाली शर्ट -सफेद कॉलर वाली रंगीन शर्ट को बहुत संदेह की नजर से देखा जाता था। हालांकि, 1920 के दशक में, अधिकांश पुरुषों के लिए सफेद शर्ट रखना और पहनना सामान्य बात हो गई थी।
1924 में हुआ था पहली बार ब्लू कॉलर वर्कर शब्द का इस्तेमाल
1924 में पहली बार ‘ब्लू कॉलर वर्कर’ शब्द का इस्तेमाल दर्ज किया गया था। सिंगल-कलर ड्रेस शर्ट हर दिन के कपड़ों के लिए सबसे पसंदीदा ऑप्शन बन गया था।
क्या है बटन का इतिहास?
जब बटन के इतिहास की बात करते है तो आपको समझ आएगा कि बटन का इस्तेमाल 5 हजार वर्ष ईसापूर्व से होने लगा था। हालांकि, बटन का सबसे पहले इस्तेमाल का उल्लेख सिंधू घाटी सभ्यता में मिलता है। मोहनजोदड़ो की खुदाई में भी इसके सबूत देखने को मिले है।
क्या कहते है इतिहासकार?
इतिहासकारों का मानना है कि बटन का इस्तेमाल 2000 साल ईसापूर्व में किया गया था। ये भी माना जाता है कि हड़प्पवासी बटन का इस्तेमाल आभूषण के तौर पर करते थे।
कैसे होते थे पहले के बटन?
इतिहासकार बताते है कि उस समय बटन गोल नहीं बल्कि ट्रांयगल शेप में हुआ करते थे। साथ ही पहले बटन लकड़ी और लोहे के बनाए जाते थे।
बटन को जब व्यापार के तौर पर लाया गया
माना जाता है कि 13वीं सदी में पहली बार बटन को व्यापारिक तौर पर जर्मनी में विकसित किया गया था और 14वीं सदी तक इसका व्यापार पूरे यूरोप में फैल चुका था। बटनों का इस्तेमाल बटन के तौर पर होता ही नहीं था। शुरुआती दौर में, बटनों का इस्तेमाल आम तौर पर बिजनेस के रूप में किया जाता था। हालांकि, जैसे-जैसे समय बदला, बटन का इस्तेमाल भी सजावट के लिए किया जाने लगा। बटन को एक हैसियत, पद और अमीरों की कैटगरी से आंका जाने लगा। अगर कोई व्यक्ति बटन वाले कपड़े खरीद सकता था, तो उसे अमीर माना जाता था। औद्योगिक क्रांति के बाद बटन काफी सामान्य हो गए और मशीनीकरण ने बटन के प्रोडक्शन में भारी मदद की।
जब बटन का इस्तेमाल गुप्त जानकारियों के लिए होने लगा
RMCAD लर्निंग कॉमन्स की एक पब्लिश्ड आर्टिकल में बताया गया है कि बटन का इस्तेमाल कोई गुप्त जानकारी, कोड या साइन के लिए भी किया जाने लगा था। इसके अलावा इन्हें पिघलाकर गोलियों में भी बदल दिया जाता था। वहीं, प्रिंस अल्बर्ट की मौत के बाद रानी विक्टोरिया काले बटन का इस्तेमाल करने लगी थी, जो कि उनके दुख को दर्शाता था।