कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने कहा है कि फिलिस्तीन को महात्मा गांधी के राह पर चलना चाहिए था। अगर फिलिस्तीन ने यह किया होता तो उसे कब की आजादी मिल चुकी होती। उन्होंने इजरायल और हमास की जंग पर कहा कि 55 हजार निर्दोष लोग मारे जा चुके हैं, अब हम कौन होते हैं कि उन्हें यह सिखाने वाले कि हिंसा, अहिंसा से बेहतर है। जब तक न्याय नहीं होगा, फिलिस्तीन में शांति बहाली मुश्किल है। फिलिस्तीन और हमास दो अलग-अलग मुद्दे हैं, जो नरसंहार हुआ है, क्या उसके बाद भारत में इसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत है।
मणिशकंर अय्यर ने कहा कि यह सबक विदेश मंत्रालय में मेरे सहयोगी रहे सैय्यद शहाबुद्दीन ने दी थी। उन्होंने कहा, 'गांधी का पथ, उसको हमास या फिलिस्तीन अपनाएं तो और जल्दी और आसानी से आजादी मिल सकती है। लेकिन आज की परिस्थिति में, जबकि तकरीबन 55 हजार तो कम से कम शायद 1 लाख तक मासूम सिविलियन, बच्चे, मां और महिलाएं मारी गई हैं। इस परिस्थिति में हम कौन हैं उन्हें समझाने के लिए कि हिंसा से अहिंसा बेहतर है।'
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'जब तक अमन नहीं, तब तक इंसाफ नहीं'
मणिशंकर अय्यर ने कहा, 'आज यह कहना मुश्किल है, उनके लिए भी मुश्किल है अपनाना। लेकिन कुछ न कुछ करना चाहिए। अमन तब तक नहीं आएगा, जब तक इंसाफ नहीं आएगा। हमें फिलिस्तीन के साथ खड़ा होना चाहिए। अगर नेहरू और गांधी का भारत होता तो ऐसा हो सकता था।'
'फिलिस्तीन के हक में भारत उठाए आवाज'
मणिशंकर अय्यर ने कहा कि भारत अब इजरायल का समर्थन कर रहा है लेकिन फिलिस्तीनियों का समर्थन, हमास का समर्थन नहीं है। फिलिस्तीनियों की मांग को हमास से जोड़ने की जरूरत नहीं है। फिलिस्तीन की मांग, वहां के बच्चे, महिलाओं और आम नागरिकों की है। सवाल यह नहीं है कि हम हमास के साथ हैं, सवाल यह है कि हमें नरसंहार के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए।
ईरान के साथ संबंधों पर क्या कहा?
भारत-ईरान संबंधों पर उन्होंने कहा कि इस देश के साथ हमारे रिश्ते बेहद पुराने हैं। साल 1994 में जब मानवाधिकारों को लेकर भारत दुनियाभर के निशाने पर था, तब ईरान ने हमारा साथ दिया था। हमारे ईरान के साथ आधुनिक रिश्ते भी अहम हैं। ईरान इस इलाके में एक अहम ताकत है।
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इजरायल और हमास की जंग में अब तक क्या हुआ?
गाजा में इजरायल ने एक बार फिर हमले तेज किए हैं। अल जजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक गाजा में बीते 24 घंटे में कम से कम 74 लोग मारे गे हैं। इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम को लेकर बातचीत जारी है, लेकिन दोनों पक्षों के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पा रही है।
इजरायली सेना की गाजा से वापसी का मुद्दा अटका हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि इस हफ्ते या अगले हफ्ते सीजफायर डील होने की बहुत अच्छी संभावना है।
वहीं, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि वह और ट्रम्प गाजा को लेकर एकमत हैं, लेकिन वह हर कीमत पर सीजफायर को स्वीकार नहीं करेंगे। दूसरी तरफ हमास ने कहा कि वह बातचीत में हिस्सा ले रहा है और सीजफायर के दौरान 10 जीवित इजरायली बंधकों को रिहा करने के लिए तैयार है।