मई, 1984 महाराष्ट्र के भिवंडी में हिंदु और मुस्लिम के बीच दंगा हुआ था। इसमें 146 लोग मारे गए थे और 600 से अधिक घायल हुए थे। मई 1984 को बंबई, ठाणे और भिवंडी के इंडस्ट्रियल एरिया में दंगे भड़क उठे थे। इस दंगे में कुल 278 लोग मारे गए थे और लगभग 1,118 गंभीर रूप से घायल हुए थे। भिवंडी दंगों में सबसे चर्चित घटना अंसारी बाग हत्याकांड को माना जाता है। ठाणे-भिवंडी रोड पर स्थित इस बंगले की कहानी आज भी काफी कुछ बंया करती है।

 

जब दंगे फैले तो इलाके की झुग्गियों में रहने वाले कुछ गरीब परिवारों ने सुरक्षा के लिए इब्राहिम अंसारी नाम के एक अमीर आदमी के बंगले में शरण ली, जो भिवंडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष थे। आधी रात को बंगले पर हमला हुआ और कुछ लोगों को जिंदा जला दिया गया। 19 मई, 1984 सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच वहां शरण लिए हुए 31 मुसलमानों और एक हिंदू की हत्या कर दी गई।

 

क्या था अंसारी बाग?

भिंवडी दंगे में इस नरसंहार ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं थी। वहीं, इस दंगे में एक और भयावह घटना को अंजाम दिया गया था। दक्षिण मुंबई में एक युवा पुलिस ऑफिसर नंदकुमार गोखले की हत्या कर दी गई थी। भीड़ ने गोखले की पीट-पीटकर मार डाला था। भीड़ में भिवंडी के आसपास के गांवों के लोग शामिल थे। इस मामले में 40 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया; उनमें से कुछ की पहचान अंसारी ने भी की, लेकिन उसके बावजूद, किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया।

 

क्यों फैला था दंगा?

1984 भिवंडी दंगों के उकसावे की वजह शिवसेना बालासाहेब ठाकरे का एक सार्वजनिक भाषण था जिसमें उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। इन टिप्पणियों को कुछ उर्दू अखबारों ने बढ़ा-चढ़ाकर छापा था। इसके रिएक्शन में कांग्रेस के एक विधायक ए.आर. खान ने एक बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जिसमें ठाकरे की तस्वीर को जूतों की माला पहनाई गई। गुस्से में शिवसेना के नेताओं ने बड़े पैमाने पर दंगे भड़का दिए जिसमें कम से कम 258 लोग मारे गए, हजारों घायल हुए और करोड़ों की संपत्ति नष्ट हो गई थी।