'बेहद सयाने' लोगों का मानना है कि नया साल आना सिर्फ कैलेंडर बदलना भर ही है। दूसरी तरफ, खुद को मोटिवेशन के धक्के से धकेलने की वजह ढूंढ रही जनता के लिए नई तारीख भी एक बहाना है। कोई इस दिन से जिम जाने की कोशिश करता है तो कोई पुरानी और खराब आदतें छोड़कर नया रचने की कोशिश में जुटता है। कोई रोज कुछ न कुछ पढ़ने का ख्वाब पालता है तो कोई हर दिन कुछ सीखने के जुनून के पीछे पड़ जाता है। कुल मिलाकर माहौल एक ऐसे रंगारंग कार्यक्रम जैसा है जिसके आगे भले ही स्याह रात हो लेकिन उसका वर्तमान चहक से भरा हुआ है। नए साल, नए महीने और नई तारीख के साथ हर किसी को कुछ न कुछ उम्मीदें हैं। किसी देश को अपनी ताकत साबित करने का एक और मौका चाहिए। किसी को ऐसा ही मौका चाहिए अपनी किस्मत बदलने का तो किसी को मौका मिलता रहा है उसे भुनाने का इंतजार है।
भारत समेत दुनिया के लोग 2025 से ऐसे ही मौकों की उम्मीद लगाए बैठे हैं। कारोबार करने वाली कंपनियों को अच्छी कमाई की उम्मीद है तो घाटे में चल रहे कारोबारियों को मुनाफे तक ले जाने वाली राह का इंतजार है। विपक्ष में रहकर संघर्ष कर रहे नेताओं को सत्ता तक पहुंचने की सीढ़ी दिख रही है तो देखने लायक फिल्में बनाकर खूब पैसा बनाने की उम्मीद फिल्मों के प्रोड्यूसरों की है। खेलों में किसी को खोया गौरव पाने की उम्मीद है तो युद्ध में पिस रहे देशों को शांति हासिल कर पाने की लालसा है। आइए समझते हैं कि इस साल किसे क्या उम्मीद रहने वाली है...
नेताओं को क्या उम्मीद है?
जम्मू-कश्मीर के सत्ताधारी नेताओं को उम्मीद है कि उनका दिल्ली जैसा टकराव न हो। हिमाचल की सरकार कर्ज से उबरने की लालसा रखेगी तो उत्तर प्रदेश की सरकार हर हाल में महाकुंभ 2025 के आयोजन को सफल बनाने की उम्मीद रखेगी। नेताओं में अरविंद केजरीवाल चौथी बार सीएम बनने के लिए जोर लगाएंगे तो कांग्रेस दिल्ली समेत पूरे देश में अपने वजूद को मजबूत करने के लिए लड़ती नजर आएगी। बीजेपी दिल्ली में वापसी के लिए जोर लगाएगी तो महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी खुद को 'बड़ा भाई' बनाने का सपना लेकर चुनाव में उतरेगी।
उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सत्ता में लौटने के लिए लगातार मेहनत की कोशिश में होंगी तो मायावती के लिए यह साल निर्णायक हो सकता है। तमिनलाडु में डीएमके के खिलाफ अभियान छेड़ रहे अन्नामलाई की अगुवाई में बीजेपी नई जमीन तलाशेगी। आंबेडकर के नाम पर माहौल बना रही कांग्रेस कई राज्यों के साथ-साथ देश में नई राजनीतिक दिशा की तलाश करेगी और इस रास्ते पर चलकर बीजेपी की रणनीति का तोड़ निकालने की कोशिश करेगी। महाराष्ट्र चुनाव में लगभग हाशिए पर जा चुकी शिवसेना (UBT) बीएमसी चुनाव के जरिए अपना अस्तित्व बचाए रखने की उम्मीद लगाकर चुनाव में उतरेगी।
अखिलेश यादव, राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे, अरविंद केजरीवाल, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और सिद्धारमैया जैसे नेताओं के लिए यह साल परीक्षा जैसा होगा। वहीं, बीजेपी के सामने एक नया अध्यक्ष चुनने और सदन में कमजोर बहुमत के बावजूद अपने बिल पास कराने की चुनौती होगी।
खेलों में क्या है उम्मीद
नए साल में भारतीय क्रिकेट टीम की उम्मीद ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से जीतने, WTC फाइनल खेलने और चैंपियंस ट्रॉफी में अच्छा खेलने की उम्मीद रहेगी। चेस का बादशाह बने भारत को अपनी बादशाहत बरकरार रखने की उम्मीद है। खो-खो और महिला क्रिकेट का वर्ल्ड कप है जिनमें भारत को अच्छी उम्मीदें हैं। क्रिकेट फैन्स टकटकी लगाकर रोहित शर्मा और विराट कोहली की ओर देखेंगे कि वे शायद अपने कुछ आखिरी मैचों में खुशियां देकर जाएंगे। इसी साल आईपीएल भी होना है और कई दूसरे खेलों के उभरते हुए खिलाड़ियों से भी भारत को काफी उम्मीद है।
कारोबारियों की लालसा क्या है?
पिछले साल की तरह ही शेयर मार्केट में पैसे लगाने वालों की उम्मीद है कि मार्केट ऊपर ही जाए और उनका पैसा बढ़ सके। गोल्ड जैसी चीजों में पैसे लगाने वाले इस साल भी उम्मीद करेंगे कि पैसे हर दिन के साथ बढ़ते जाएं। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से उम्मीदें लगाए बैठे क्रिप्टो निवेशकों को उम्मीद है कि इस साल निवेश किए गए पैसे दिन-दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ेंगे।
मनोरंजन की दुनिया
भारतीय फिल्मों ने 2024 में खूब पैसा कमाया। जहां लापता लेडीज जैसी फिल्मों ने अपनी कहानी के दम पर तारीफ बटोरी तो पुष्पा 2 जैसी फिल्मों ने कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। 2024 में कई फिल्मों और वेब सीरीज के सीक्वल या अगले पार्ट आने हैं। सलमान खान जैसे सितारे नई फिल्में लेकर आने वाले हैं। दूसरी तरफ, 2024 में कॉन्सर्ट का माहौल बनाने वाले कई कलाकारों के टूर भी जारी रहने वाले हैं। स्टैंड अप कॉमेडी और अन्य नए फॉर्मैट भी अपनी-अपनी ऑडिएंस को नए तरीके से एंटरटेन करने की उम्मीद में हैं।
दुनिया को क्या उम्मीद
2024 में खूब तख्तापलट, युद्ध और कूटनीति देख चुकी दुनिया को उम्मीद है कि 2025 शांति लेकर आएगा। इसी महीने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप ने वादा किया है कि वह दुनिया में जारी युद्धों को शांत कराएंगे। बांग्लादेश, साउथ कोरिया, पाकिस्तान और सीरिया जैसे देश आंतरिक कलह के साथ-साथ बाहरी चुनौतियों से निपटकर शांति स्थापित करने की उम्मीद करेंगे तो दुनिया भी शांति चाहेगी ताकि इसका असर उन देशों पर न पड़े जिनका इससे कोई लेना-देना नहीं है।