दुनिया भर में मांस खाने का तरीका अलग-अलग संस्कृति, आर्थिक परिस्थिति और पर्यावरण के आधार पर अलग-अलग होती है। हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, लिथुआनिया, जापान और अर्जेंटीना दुनिया में सबसे ज्यादा मांस खाने वाले देशों में शामिल हैं, जबकि भारत इस सूची में सबसे नीचे है।

मांस खाने में ये देश हैं टॉप

लिथुआनिया में 96% लोग मांस का खाते हैं। यहां के खानपान में सूअर का मांस, गोमांस और चिकन बड़े स्तर पर शामिल है। इसी तरह, जापान में 95% लोग मांस खाते हैं, हालांकि यहां पर मछली और समुद्री व्यंजन खाने का अहम हिस्सा रहा है। हालांकि, हाल के सालों में गोमांस और सूअर का मांस जापानी खाने में तेजी से लोकप्रिय हो गया है।

 

यह भी पढ़ें: दुनिया को पता है...', ट्रेन हाइजैक के आरोप पर भारत का पाक को जवाब

 

वहीं अर्जेंटीना मांसाहार देशों की लिस्ट में तीसरे स्थान पर है, जहां 94% लोग मांस खाते हैं। इस देश की अर्थव्यवस्था में मवेशी पालन बहुत लोकप्रिय है। इसके अलावा, ग्रीस, हंगरी और नॉर्वे में भी मांसाहार की दर 94% है, जहां भेड़, गाय और सूअर का मांस खानपान का अहम हिस्सा है। रोमानिया और कोलंबिया में भी मांसाहार का चलन बड़े स्तर पर देखा जाता है, जहां 94% और 93% लोग मांस का सेवन करते हैं।

 

पुर्तगाल और चेक गणराज्य भी इस लिस्ट में 93% मांसाहारियों के साथ शामिल हैं। इन देशों में गोमांस, सूअर और चिकन प्रमुख रूप से लोगों के आहार में शामिल होते हैं।

इस लिस्ट में किस नंबर पर है भारत?

बता दें कि भारत की स्थिति बिल्कुल अलग है। यहां दुनिया में सबसे कम मांस खाया जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण देश की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराएं हैं। हिंदू धर्म में गाय को पवित्र माना जाता है और बड़ी संख्या में लोग शाकाहार को बढ़ावा देते हैं। हिन्दू धर्म के साथ जैन और बौद्ध धर्म में भी बड़ी आबादी मांसाहार से परहेज करती है।

 

यह भी पढ़ें: पाकिस्तान में मिलिट्री कैंप पर आत्मघाती हमला, मारे गए हमलावर

 

हालांकि, देश के कुछ हिस्सों में मांस खाया जाता है, विशेष तौर पर भारत के पूर्वोत्तर राज्य, केरल, पश्चिम बंगाल, बिहार और गोवा में। यहां के लोग ज्यादातर मछली, चिकन, मटन और कहीं-कहीं सूअर के मांस को खाने में शामिल करते हैं। बावजूद इसके, पूरे देश में मांसाहार की दर अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है।

 

यहां खानपान की प्राथमिकताएं न सिर्फ धार्मिक मान्यताओं से प्रभावित होती हैं, बल्कि स्वास्थ्य, पारंपरिक आदतों और पारिवारिक मूल्यों से भी जुड़ी होती हैं। यही कारण है कि भारत दुनिया में सबसे कम मांसाहार वाले आबादी वाला देश बना हुआ है।