असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने जलाशयों और जंगली जमीनों पर अवैध मकानों को ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं। सरकार कई हफ्तों से उन घरों को गिरा रही है जो या तो किसी तालाब के पास बने हैं या जंगली जमीन पर। असम में यह अभियान राज्य स्तर पर चल रहा है। जिन राज्यों से होकर असम की सीमा गुजरती है, वे राज्य भी सरकार के इस ध्वस्तीकरण अभियान से डरे हुए हैं। असम की हिमंत बिस्वा सरकार, अपने इस अभियान को अवैध घुसपैठयों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करार दे रही है। 
असम की सीमा से सटे हुए 6 राज्य हैं। ये राज्य हैं- पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा। असम में जिन लोगों के अवैध घरों को तोड़ा जा रहा है, उनके लिए कोई पुनर्वास योजना नहीं तैयार की गई है। सरकार, एक बड़ी आबादी को घुसपैठिया मान रही है। अब असम से विस्थापित होकर, उनके दूसरे राज्यों में जाने की आशंका है, जिसे लेकर पहले से ही ये सरकारें अलर्ट हैं। 
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कब से चल रहा है अभियान?
असम में साल 2016 से लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। असम में बीजेपी का नारा था, 'जाति, माटी और भेटी' की सुरक्षा की जाएगी। भेटी का मतलब गृहस्थी या मतृभूमि है। असम में एक बड़ी आबादी, जंगली जमीन पर बसी हुई है। उस जमीन पर भी, जिस पर किसी ने हक नहीं जताया गया है। साल 2016 में गुवाहाटी हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि जमीनों को खाली किया गया। पहला ध्वस्तीकरण अभियान पूर्वी असम के 'काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान' के तीन सीमांत गांवों में चलाया गया था।  
साल 2021 में एक बार फिर बेदखली अभियान की शुरुआत हुई। हमंत बिस्व सरमा सत्ता में आए और पद संभालने के तत्काल बाद उन्होंने सितंबर में इस योजना की शुरुआत की। उन्होंने बार-बार दावा किया कि असम की स्थानीयता खतरे में हैं। हिंदू अल्पसंख्यक हो रहे हैं, वहीं मुस्लिमों की संख्या बढ़ रही है। जानसांख्यिकी असंतुलन बढ़ रहा है। उन्होंने रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ अभियान चलाने का वादा किया और अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान शुरू कर दिया। 
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अब एक बार फिर से जून 2025 में बेदखली अभियान की शुरुआत हुई और सरकार पर विपक्ष ने आरोप लगाया कि इस अभियान में भ्रष्टाचार हो रहा है। आरोप लगाया गया कि गोरुखुटी में एक कृषि परियोजना के लिए किसानों को बेदखल किया गया है। यहां गिर गायों से जुड़ा एक प्रोजेक्ट शुरू होने वाला था। 
सरकार अतिक्रमण क्यों हटा रही है?
सरकार वनभूमी, जलाशय और सरकारी जमीनों से अतिक्रमण करने वाले लोगों को बेदखल कर रही है। असम में इस तरह के अभियान नए नहीं हैं। असम का राष्ट्रवादी धड़ा मानता है कि कांग्रेस के लगातार 15 साल में राज्य में घुसपैठिए घुस गए। बांग्लदेशी मुसलमान, मिया मुसलमान और अवैध घुसपैठियों के खिलाफ सरकार अभियान चलाने का दावा कर रही है। इसे वहां रह रहे मुसलमान अपने लिए अपमानजनक मानते हैं। 
क्या सिर्फ मुसलमान प्रभावित हो रहे हैं?
नहीं, इस अभिया का असर गैर मुस्लिमों पर भी पड़ा है। द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक 130 से ज्यादा परिवारों के घर साल 2022 में बेदखली अभियानों के दौरान तोड़ दिए गए थे। गुवाहाटी में सिल्साको बील झील की जमीन पर बसे परिवारों के घरों को तोड़ा गया था। अतिक्रमण विरोधी अभियानों में कम से कम 5 लोगों की मौत हो चुकी है।  असम के गोलपारा जिले में पाइकन रिजर्व फॉरेस्ट के 135 हेक्टेयर क्षेत्र से 1,080 परिवारों को बेदखल किया गया था। असम में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा बार-बार लैंड जिहाद की बात करते हैं और अवैध घुसपैठियों को राज्य के उखाड़ फेंकने की बात करते हैं। विपक्ष का कहना है यह सब कॉर्पोरेट घरानों को हिमंत बिस्व सरमा जमीनें सौंपने के लिए कर रहे हैं। 
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असम सरकार के तर्क क्या हैं?
जून 2025 में अभियान शुरू होने से ठीक पहले हिमंत बिस्व सरमा ने दावा किया था कि राज्य के 29 जिलों में संदिग्ध नागरिकता वाले लोगों ने वैष्ण मठों पर कब्जा जमा लिया। 
27 जून, 2025, हिमंत बिस्व सरमा:-
कांग्रेस सरकार ने अवैध प्रवासियों के तुष्टीकरण की वजह से राज्य में 13,000 बीघा 'सत्रा' की जमीन पर अतिक्रमण हुआ है।
सत्रा का मतलब, वैष्ण मठ है। उनका दावा है कि 29 जिलों में संदिग्ध नागरिकता वाले लोगों ने यह अतिक्रम किया है। हिमंत बिस्व सरमा ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि मार्च 2024 तक असम में 3,620.9 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र पर अतिक्रमण हुआ था।
असम सरकार और क्या करेगी?
हिमंत बिस्व सरमा के 10 वर्षीय प्लान में अतिक्रमण मुक्त असम का भी जिक्र है। वह कई मौकों पर कह चुके हैं कि जब तक अतिक्रमण पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाएंगे, तक ऐसे अभियान जारी रहेंगे।
आदिवासियों से क्या वादा है?
हिमंत सरकार ने वादा किया है कि साल 2005 से पहले से वन क्षेत्रों में रहने वाले और वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आने वाले आदिवासी लोग, इस अतिक्रमण विरोधी अभियान का हिस्सा नहीं होंगे। पूर्वोत्तर असम के लखीमपुर जिले में चार जगहों पर प्रवासी मुसलमानों के साथ बेदखल हुए लोगों को पुनर्वास के तहत बसाया जाएगा। ये परिवार, अहोम समुदाय का हिस्सा हैं। उन्हें पुनर्वास दिया जाएगा।
पड़ोसी राज्यों में डर क्यों है?
असम के अतिक्रमण विरोधी अभियानों की वजह से दूसरे राज्यों के सीमाई इलाकों में सक्रिय गैर सरकारी संगठनों ने सक्रियता दिखाई है। असम सरकार ने गोलाघाट जिले के उरियमघाट में अतिक्रमण विरोधी अभियान का एलान किया है। नागालैंड के सामाजिक संगठनों को चिंता है कि अब, पैतृक नागा जमीनों पर कब्जा किए जाने का खेल चल रहा है। नागरिक संगठनों की चिंता है कि असम की सीमा से भगाए गए बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए, कहीं नागालैंड में, आदिवासियों की जमीन पर कब्जा न जमा लें।
नागालैंड के न्यूलैंड जिले में पुलिस ने अवैध प्रवासियों को ले जा रहे 200 वाहनों को रोककर असम वापस भेज दिया। कुछ दिनों बाद,अब असम-नागालैंड सीमा की सुरक्षा के लिए एक टास्क फोर्स की घोषणा की है। मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम की सरकारों ने यही किया है। अब असम की सीमा से लगे क्षेत्रों के अधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है। असम से बेदखल लोगों को अंदर आने से रोकने के लिए अस्थाई यात्रा दस्तावेजों को अनिवार्य किया है। इन राज्यों में इनर-लाइन परमिट की जांच और जांच की प्रक्रिया को सुधारने की कोशिशें की जा रही हैं।
