तमाम आतंकी हमलों और भारत की चेतावनी के बावजूद पाकिस्तान सुधरा नहीं। उसने अपने नियंत्रण वाले कश्मीर के हिस्से को आतंक की सबसे बड़ी फैक्ट्री में तब्दील कर दिया है। सैकड़ों की संख्या में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में आतंकी कैंपों का संचालन हो रहा है। मगर पाकिस्तान दुनिया के सामने झूठ बोलता है कि वह खुद ही आतंकवाद से पीड़ित है। पीओके में फल-फूल रही आतंक की नर्सरी का पाकिस्तान ने हमेशा भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया। भारत के विरुद्ध पाकिस्तान की आतंकी साजिश का लंबा इतिहास है। हर आतंकी घटना के बाद वह एक ही राग अलापता है।

 

पहलगाम हमले के बाद भारत ने आतंक के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का एलान किया तो पाकिस्तान के मंत्रियों ने भी उकसावे वाले बयान दिए। भारत के खिलाफ युद्ध तक की बात कही। मगर भारत की सख्ती के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तक के सुर ढीले पड़ गए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पहलगाम अटैक मामले में एक विश्वसनीय एवं तटस्थ जांच करने को तैयार है। मगर भारत अब उनके इस झांसे में नहीं आने वाला है।

 

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हितों को साधने में आतंकियों का इस्तेमाल करता है पाकिस्तान

पाकिस्तान अपने जन्म से ही आतंकियों का इस्तेमाल अपने हितों को साधने में करता है। 1947 में भारत से अलग होने के बाद इस्लामाबाद ने जम्मू-कश्मीर पर कबाइली हमला करवाया। इस हमले ने कश्मीर को गहरे जख्म दिए। मगर पाकिस्तान यहीं नहीं रुका। उसने 1965 युद्ध में भी इसे दोहराने की कोशिश की। मगर मुंह की खानी पड़ी। पाकिस्तान ने 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' के तहत अपने सैनिकों स्थानीय निवासियों की भेष में कश्मीर में विद्रोह भड़काने भेजा था।

 

पाक ने पैदा किए आतंकी संगठन

1999 में कारगिल युद्ध के वक्त भी पाकिस्तान ने अपने प्रशिक्षित आतंकियों को भारत की धरती पर भेजा था। पाकिस्तान ने समय-समय पर पर्दे के पीछे से न केवल भारत के खिलाफ आतंकियों का इस्तेमाल किया बल्कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-एक-तैयबा जैसे संगठनों को भी खड़ा किया। इन संगठनों को हथियार और ट्रेनिंग मुहैया करवाया। 


भारत में पाकिस्तान के शह पर हुए बड़े आतंकी हमले

  • 1993 में सीरियल बम धमाकों से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई दहल उठी। इन धमाकों में कुल 267 लोगों की जान गई थी। बम धमाकों को अंजाम अंडरवर्ल्ड डॉन रहा दाऊद इब्राहिम ने दिया था। पाकिस्तान ने न केवल इन हमलों का समर्थन किया बल्कि दाऊद इब्राहिम को अपने देश में शरण भी दी। आज भी दाऊद पाकिस्तान में छिपा है।

 

  • 1999 में आतंकियों ने नेपाल के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भारतीय विमान को अगवा किया था। इसके बाद इसे अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया। 155 बंधकों की रिहाई के बदले भारत को खूंखार आंतकी मसूद अजहर छोड़ना पड़ा। विमान हाईजैक की साजिश भी आईएसआई ने रची थी।

 

  • मसूद अजहर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना है। उसने ही साल 2001 में देश की संसद में हमले की साजिश बनाई थी। इस हमले में पुलिस ने पांचों आतंकियों को ढेर कर दिया था और बाद में मास्टरमाइंड अफजल गुरु को भी पकड़ने में कामयाबी हासिल की थी। 

 

  • साल 2008 में मुंबई में हुआ 26/11 आतंकी हमले को कौन भूल सकता है? पाकिस्तानी आतंकियों ने लगभग तीन दिनों तक मायानगरी को दहलाया। इस हमले में 160 से अधिक लोगों की जान गई थी। नौ आतंकियों को सुरक्षा बलों ने ढेर कर दिया था। वहीं अजमल कसाब नाम के पाकिस्तानी आतंकी को जिंदा पकड़ लिया गया था। अजमल कसाब के खुलासे और फोन इंटरसेप्ट से यह खुलासा हुआ कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने पूरी साजिश रची थी। लश्कर-ए-तैयबा ने वारदात को अंजाम दिया था। 

 

  • मोदी के सत्ता में आने के बाद 2016 में पंजाब के पठानकोट स्थित वायुसेना के एयरबेस पर आतंकी हमला हुआ। इस हमले को भी पाकिस्तानी आतंकियों ने अंजाम दिया था। पाकिस्तान ने निष्पक्ष जांच की बात कही तो भारत ने उसके जांच दल को वायुसेना स्टेशन में घटनास्थल तक जाने की अनुमति दी। मगर नतीजा कुछ नहीं निकला। 

 

  • साल 2019 में पाकिस्तान के आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बेहद घातक हमला किया। इसमें अर्धसैनिक बलों के 40 जवानों की जान गई। बदले में भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की और उससे संदिग्ध आतंकियों की जानकारी मांगी। मगर पड़ोसी मुल्क नहीं कुछ नहीं किया। 

 

 

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पुरानी रणनीति अपना रहा पाकिस्तान

हर हमले के बाद पाकिस्तान जांच की बात कहता है। मगर हासिल कुछ नहीं होता है। अटैक के बाद जांच का राग अलापना उसका पुराना हथियार है। इस रणनीति के जरिए वह न केवल अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भटकता है बल्कि अपनी जवाबदेही से भी बचने की कोशिश करता है। पठानकोट एयरबेस अटैक के मामले में भारत पाकिस्तान को अजमा चुका है। कई बार इस्लामाबाद को आतंकियों के खिलाफ दस्तावेज सौंपे जा चुके हैं। मगर कार्रवाई के नाम पर पाकिस्तान सिर्फ बयानबाजी करता है।