भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 (1) (g) कहता है कि सभी नागरिकों को कोई भी वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने का अधिकार होगा। भाग 3 में वर्णित यह अनुच्छेद, मौलिक अधिकारों का हिस्सा है। यही अनुच्छेद हिमाचल प्रदेश की कुछ जगहों पर ताक पर है। 

हिमाचल में कश्मीरी व्यापारियों के साथ बदसलूकी की कुछ खबरें सामने आई हैं। कांगड़ा से लेकर बिलासपुर तक कश्मीरी शॉल विक्रेताओं को मुसीबतों का सामना करना पड़ा है। देश में गर्व से कहा जाता है कि जम्मू कश्मीर भारत का अखंड हिस्सा है फिर इसके अखंड निवासियों के साथ ऐसा सलूक,  प्रशासन पर भी सवाल खड़े कर रहा है। 

हिमाचल प्रदेश के कश्मीरी व्यापारी कई अहम पर्यटन स्थलों पर शॉल बेचते हैं। कश्मीरी कुटीर उद्योग की कुछ चीजें हिमाचल प्रदेश में खूब बिकती हैं। व्यापारियों की शिकायत है कश्मीरियों का उत्पीड़न किया जा रहा है, उन्हें मारा-पीटा जा रहा है, उनकी बात प्रशासन नहीं सुन रहा है। पुलिस भी मदद नहीं कर रही है।

कांगड़ा के बाद बिलासपुर जिले के घुमारवीं में कश्मीर से आए शॉल व्यापारियों को हाल ही में स्थानीय लोगों ने धमकाया था। धमकी दी गई कि यहां शॉल और कंबल नहीं बेचना है। कश्मीरी व्यापारियों का एक दल प्रशासन के पास बीते शुक्रवार को गया था लेकिन किसी ने भी मिलने से इनकार कर दिया।

ऐसा नहीं है कि कश्मीरी व्यापारी अवैध तरीके से वहां खरीद-बेची कर रहे हैं। उन्होंने पुलिस स्टेशन में रजिस्ट्रेशन भी कराया है। व्यापार संबंधी जरूरी दस्तावेज भी उनके पास हैं लेकिन उन्हें कोई सुन नहीं रहा है।  कांगड़ा में भी 22 नवंबर को एक ऐसा ही मामला सामना आया था। वहां मुस्लिम फेरी वाले को आने से रोका गया था। ऐसे मामले हिमाचल प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। 



कितना पुराना है हिमाचल-कश्मीर का रिश्ता?
कश्मीर के व्यापारियों के साथ जो बदसलूकी की खबरें सामने आई हैं, यह हैरान करने वाली हैं। वजह यह है कि सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से कश्मीर और हिमाचल प्रदेश आपस में सदियों से जुड़े हैं। कश्मीरी शॉल, कश्मीरी कानी शॉल, कश्मीरी कपड़े, टोपी, पश्मीना शॉल और सोजनी कढ़ाई वाले कपड़े हिमाचल प्रदेश में खूब बिकते रहे हैं। हिमाचल में ये कपड़े खूब पहने जाते हैं।

हिमाचल प्रदेश की कुल्लू और कन्रौर के बुनकरों की कलाकृतियां खूब प्रसिद्ध हैं कांगड़ा पेंटिंग्स, शॉल, कांगड़ा रुमाल, चंबा रुमाल और दूसरे हथकरघा उद्योग की वस्तुएं कश्मीर में पसंद की जाती रही हैं। फिर आखिर ऐसा क्या हुआ है कि कश्मीर में ये नौबत आ गई है कि कश्मीरी समुदाय के खिलाफ लोग भड़के हैं? आइए समझते हैं।

 

सियासत के जानकार क्या कह रहे हैं?
26 दिसंबर 2024। जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने X पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, 'कश्मीरी शॉल विक्रेताओं का हिमाचल प्रदेश में उत्पीड़न हो रहा है। उन्हें दक्षिणपंथी समूह निशाना बना रहे हैं, उन्हें धमकियां दे रहे हैं। उनके पास वैध दस्तावेज हैं, उन्हें व्यापार करने से रोका जा रहा है, भगाया जा रहा है। हिंसा का यह चलन डराने वाला है। मेरी उमर अब्दुल्ला और सुखविंदर सिंह सुक्खू से अपील है कि व्यापारियों के लिए सही माहौल बनाएं।'



पीपल्स कॉन्फ्रेंस पार्टी के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने भी  25 दिसंबर को लिखा, 'हिमाचल प्रदेश से एक बार फिर उत्पीड़न की खबरें सामने आई हैं। उम्मीद करते हैं कि ये हिमाचल के असमाजिक तत्व होंगे। हिमाचल पुलिस इस मामले पर नजर रखिए। कश्मीरी व्यापारियों को धमकी दी जा रही है, इसमें दखल दीजिए।' 

हिमाचल प्रदेश की कुछ जगहों पर कश्मीरियों से दुर्व्यवहार हुआ है। (तस्वीर-PTI)

कश्मीरियों के खिलाफ नाराजगी की वजह क्या है?
हिमाचल प्रदेश के पत्रकारों का कहना है कि कश्मीरियों के खिलाफ स्थानीय लोगों का गुस्सा व्यापारिक हितों का टकराव नहीं है। हिमाचल प्रदेश के सकल घरेलू आय का 7 फीसदी हिस्सा पर्यटन देता है। यह खुद हिमाचल प्रदेश की सरकार भी मानती है। हिमाचल के स्थानीय लोगों का भी मानना है कि पर्यटन ही उनकी मुख्य कमाई का जरिया है। 

 

स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश के लोग पर्यटकों से बदसलूकी नहीं करते हैं। धर्मशाला में सिर्फ 30 प्रतिशत हिमाचली रहते है, शेष भीड़ बाहरियों की है। हिमाचल में कश्मीरी उत्पीड़न की असली वजह चोरियां हैं।

कांगड़ा के स्थानीय लोगों का कहना है कि कांगड़ा और बिलासपुर में कुछ जगहों पर चोरी की घटनाएं हुई थीं। ग्रामीण इलाकों में पुरुष दिनभर खेत में रहते हैं। कुछ फेरीवाले कई महीनों से रेकी कर रहे थे। उन्होंने कुछ जगहों पर चोरी की। पकड़े गए तो वे कश्मीर के निकले। कुछ फेरीवाले सोने की सफाई के नाम पर आए। पुराने असली जेवर ले गए, नकली उठा ले गए। ऐसा कुछ जगहों पर हुआ तो स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए। यही वजह है कि हाल के दिनों में कुछ जगहों पर प्रतिक्रियाएं सामने आईं हैं। पुलिस केस की छानबीन कर रही है।

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