भारत एक ऐसा देश है जहां गायों की पूजा होती है, हाथियों को और बंदरों को भी पवित्र माना जाता है। लेकिन ज़मीनी हकीकत देखें, तो जानवरों के साथ दुर्व्यवहार और क्रूरता की घटनाएं भी कम नहीं मिलेगी। देश भर में जानवरों के साथ क्रूरता के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं – कहीं आवारा कुत्तों को पीट-पीट कर मार दिया जाता है, तो कहीं पालतू जानवरों को बंद फ्लैट्स में तन्हा छोड़ दिया जाता है। पिछले हफ्ते रविवार को तो छत्तीसगढ़ में एक आदमी ने एक भालू के जबड़ों और पंजों को तोड़ दिया।

 

FIAPO (Federation of Indian Animal Protection Organisations) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2020 तक पशु क्रूरता से संबंधित करीब 4,93,910 मामले सामने आए। इनकी वजह से हजारों जानवरों की मौतें हो गईं। साल 2023 में अकेले 70,000 से ज्यादा नए केस दर्ज हुए जो 2020 के 53,000 मामलों से कहीं अधिक थे। इन मामलों में कुत्तों को ज़हर देना, मेलों में ऊंटों के साथ क्रूरता करना और विदेशी जानवरों को तस्करी के दौरान मरने के लिए छोड़ देना शामिल हैं।

 

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दिल दहला देने वाली घटनाएं

इन आंकड़ों की एक तस्वीर पेश करने के लिए अगर देश में घटित पशु क्रूरता की कुछ घटनाओं का जिक्र किया जाए तो 2020 में केरल में एक गर्भवती हथिनी की मौत आंखों के सामने तैर जाती है जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। उसने एक ऐसा अनानास खा लिया था जिसमें पटाखे भरे थे। वहीं 2022 में हैदराबाद में तीन बच्चों ने ज़िंदा कुत्ते के बच्चों को जला दिया था। ऐसे मामलों में लोगों के अंदर गुस्सा तो खूब देखने को मिलात है, लेकिन कानूनी कार्रवाई शायद ही देखने को नज़र आती है।

 

इसी तरह से कुछ अन्य उदाहरणों में 2022 में आगरा में एक हाउसिंग सोसाइटी ने 150 से ज्यादा कुत्तों को ज़हर दे दिया। मध्य प्रदेश में एक गाय के पिछले पैर काट दिए गए ताकि वह चल न सके, क्योंकि वह अब दूध नहीं दे रही थी।

 

क्या है पशु क्रूरता?

1. किसी बीमार पालतू जानवरों को यूं ही छोड़ देना।

2. गली के जानवरों को पीटना, ज़हर देना, या गोली मार देना।

3. ऊंटों की नाक को काट देना काटना या जननांगों को नुकसान पहुंचाना।

4. बंदरों, कुत्तों या अन्य पशुओं को पत्थर मारना।

5. दूध के लिए गायों को ऑक्सीटोसिन हार्मोन का इंजेक्शन देना।

6. कछुए, तोते, और अन्य कानून द्वारा प्रतिबंधित जंगली जानवरों की अवैध तस्करी करना।

 

पशु सुरक्षा से जुड़े प्रमुख कानून

पशुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कुछ कानून बनाएं हैं। जैसे- पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 (PCA Act) के तहत जानवरों को भूखा रखना, पीटना, बंद करके रखना, ज़बरदस्ती काम करवाना अपराध है।


वहीं भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं 428 के तहत ₹10 से अधिक मूल्य वाले जानवर को नुकसान पहुंचाने पर 2 साल तक की जेल और धारा 429 के तहत ₹50 से अधिक मूल्य वाले जानवर को मारने पर 5 साल तक की जेल का प्रावधान है।

 

इसके अलावा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत शेड्यूल में सूचीबद्ध प्रजातियों को सुरक्षा प्रदान किया जाता है। इसके तहत प्रतिबंधित पशुओं के शिकार और तस्करी पर कड़ी सजा का प्रावधान है।

 

पशु परिवहन नियम, 1978 के तहत इस बात को सुनिश्चित किया जाता है कि जानवरों को एक जगह से दूसरी जगह कैसे ले जाना है। जानवरों को एक के ऊपर एक ठूंसकर ले जाना अपराध है।

 

एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियम, 2001 और 2023 के तहत आवारा कुत्तों को मारना अवैध है। उन्हें पकड़कर उनका टीकाकरण और नसबंदी करके उसी स्थान पर दोबारा छोड़ना होता है।

 

हालिया सरकारी प्रयास

- 2023 में केंद्र सरकार ने एक नया विधेयक लाया जिसमें सजा और जुर्माना बढ़ाने का प्रस्ताव है।

- अब 28 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में पशु कल्याण बोर्ड हैं।

- राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत ₹50 करोड़ से ज्यादा फंड दिया गया है।


लेकिन असली समस्या कानून की नहीं है बल्कि इसे लागू करने की है। 2022 के आंकड़ों के अनुसार, केवल 2.3% मामलों में ही दोषियों पर मुकदमा चलाया गया है और केवल 0.7% मामलों में ही सजा मिल पाई है।

 

क्या हत्या करना क्रूरता नहीं है?

अक्सर यह सवाल उठता है – अगर कुत्ते को मारना अपराध है, तो कुछ राज्यों में बकरों और अन्य पशुओं की हत्या किया जाना क्यों वैध है? और मुर्गों को बड़ी संख्या में मारना कैसे जायज़ हो गया? इसका जवाब कानून में छिपा है। भारत में ‘क्रूरता’ का मतलब होता है – जानबूझकर या अमानवीय तरीके से किसी पशु को दर्द पहुंचाना। अगर जानवर को मारना यानी कि उसकी हत्या किसी तय प्रक्रिया के तहत हुआ हो, तो उसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जाता।

 

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स्लॉटर हाउस में जानवरों की हत्या अपराध क्यों नहीं?

कानून के अनुसार, यदि जानवर को नियमों के तहत मारा जाए, तो वह क्रूरता नहीं मानी जाती। इसके लिए स्लॉटर हाउस में पशुओं को मारे जाने को लेकर नियम हैं। जैसे: PCA स्लॉटरहाउस नियम, 2001 के तहत स्लॉटर हाउस में पशुओं की हत्या किए जाने की एक पूरी प्रक्रिया बताई गई है जिससे उनको कम से कम पीड़ा पहुंचे। इसके लिए जानवर को मारने से पहले बेहोश करना ज़रूरी (धार्मिक मामलों को छोड़कर) है। साथ ही जिन स्थानों पर उन्हें रखा जाता है वह साफ सुथरा होना चाहिए।


FSSAI के दिशानिर्देश के मुताबिक स्लॉटर हाउस की साफ-सफाई को सुनिश्चित किया जाता है और इसके लिए समय समय पर उसका निरीक्षण किए जाने का प्रावधान है।

वहीं नगर पालिका लाइसेंस नियम के तहत केवल लाइसेंस प्राप्त स्थानों पर ही जानवरों को मारा जा सकता है।

 

राज्य पशु संरक्षण कानून के तहत 20 से अधिक राज्यों में गाय की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध है और कुछ राज्यों में शर्तों के तहत अनुमति दी गई है। संविधान के अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) के तहत यदि लाइसेंस प्राप्त है तो हलाल और झटके के जरिए पशुओं का मारा जाना मान्य है।

 

इसलिए, अगर कोई सड़क पर बकरी काटता है, तो वह अपराध है। लेकिन लाइसेंस प्राप्त स्लॉटरहाउस में नियमों का पालन करते हुए मांस के लिए जानवर को काटता है तो यह कानूनी है।

 

दुनिया में भारत की स्थिति

World Animal Protection Index में भारत को 10 में से 5 अंक मिले हैं। यानी कि भारत 10 में से 5वें स्थान पर है। अगर इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया, और जर्मनी जैसे कुछ विकसित देशों की बात की जाए तो वहां पर कानून भारत की तुलना में कड़े हैं और उन्हें लागू भी ज्यादा बेहतर तरीके से किया जाता है। चीन के कुछ हिस्सों में भी कुत्ते और बिल्लियों को खाने पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि, भारत में अब तक ऐसा कोई औपचारिक कानून नहीं है।

 

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महत्वपूर्ण अदालती फैसले

पशुओं की क्रूरता को लेकर अदालत ने भी कुछ महत्त्वपूर्ण फैसले लिए हैं। 2014 में एनिमल वेलफेयर बोर्ड बनाम नागराजा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जानवरों के अपने मौलिक अधिकार होते हैं और जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट की ही एक संवैधानिक पीठ ने इस फैसले को पलट दिया। 2021में दिल्ली हाई कोर्ट ने  जानवरों को ‘कानूनी व्यक्ति’ माना।

 

2023 में मद्रास हाई कोर्ट ने कुत्तों को मारने का आदेश देने वाले पंचायत सदस्यों को सजा सुनाई। इस तरह से देखा जाए तो देश में पशुओं की क्रूरता से संबंधी ढेर सारे कानून हैं। हालांकि, बड़ी समस्या इनके ठीक ढंग से लागू होने की है।