मणिपुर का जिरीबाम इलाका। मैतेई और कुकी की लगभग बराबर वाली इस जमीन पर भड़की हिंसा, इस हद खतरनाक हो गई है कि इसकी जद में पूरा मणिपुर आ गया है। यहां की बराक नदी में एक महिला और दो बच्चों के शव मिलने के कुछ ही देर बार, पूरा राज्य तनाव ग्रस्त हो गया। दावा ये किया गया कि वे शव, उन्हीं तीन लोगों के हैं, जिन्हें एक राहत शिविर से अगवा कर लिया गया था। तब से लेकर अब तक, मणिपुर में काफी कुछ बदल चुका है।

11 नवंबर को जिरीबाम के राहत शिविर पर कुछ हथियारबंद लोगों ने हमला किया था। मणिपुर पुलिस का दावा है कि वे हमार उग्रवादी थे। राहत कैंप में रहने वाले लोगों ने कहा कि 6 लोग लापता हैं। गुरुवार की रात, एक महिला और दो बच्चों के शव नदी में तैरते हुए पाए गए। रविवार को, लखीपुर में नदी में दो और शव मिले एक और बच्चे और महिला के। मैतेई इस बात से नाराज हैं कि सरकार कर क्या रही है, उग्रवादी इस हद तक हिंसक हो गए हैं कि वे अगवा करने लगे हैं। समझिए मणिपुर के सुलगने की सारी कहानी, विस्तार से।|

कौन हैं मणिपुर के लड़ाके?
मणिपुर राज्य, अब समुदायों की लड़ाई में विभाजन का सामना कर रहा है। एक तरफ मैतेई हैं, जिनका नियंत्रण घाटी पर है। दूसरी तरफ कुकी हैं, जिनका कब्जा पहाड़ियों पर है। जमीन पर सुरक्षाबल और पुलिसकर्मी तैनात हैं, जो इनके बीच बढ़ रही हिंसा की खाई को पाटने का काम कर रहे हैं। आलम ये है कि परिस्थितियां, नियंत्रण से बाहर हर दिन होती जा रही हैं।

Manipur
हिंसा की आग में सुलग रहा है इंफाल (तस्वीर-PTI)



हिंसा की आग में 200 की मौत, हजारों लोग बेघर
मई 2023 से अब तक इस हिंसक जंग में कम से कम 200 लोग मारे गए हैं। 50,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हैं, या बेघर हैं। राहत शिविरों में रहने वाले लोगों की एक बड़ी आबादी है। मैतेई समुदाय, मणिपुर का स्थानीय समुदाय है, जो आरक्षण को लेकर जनजाति का दर्जा मांग रहा था। इसी मांग की वजह से दोनों समुदायों में भिड़ंत हुई जो अब तक खत्म नहीं हुई। 

मणिपुर  सुलग क्यों रहा है?
जिरीबाम में मैतेई समुदाय के लोगों को अगवा करने के बाद से ही पूरे राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। राज्य में अनिश्चित काल तक कर्फ्यू लगा दिया है, इंटरनेट बैन है और आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) लागू है। स्थितियां भी कुछ ऐसी ही बन गई हैं। जिरीबाम के ही एक राहत शिविर से उग्रवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 11 उग्रवादी ढेर हुए थे। इसी हमले के बाद से 6 लोग लापता हो गए थे, जिसमें से 3 शव शनिवार को बराक नदी में मिले, वहीं 3 अन्य शव शुक्रवार रात को मिले। 

मणिपुर में हिंसा के खिलाफ जारी है विरोध प्रदर्शन। (तस्वीर-PTI)

शनिवार को हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। इंफाल में 3 राज्य मंत्रियों और 6 विधायकों के घरों पर हमला हुआ। पुलिस ने कहा कि आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के दामाद आर के इमो, सहित तीन विधायकों के घरों में तोड़फोड़ की और उनकी संपत्तियों को आग लगा दी, जबकि सुरक्षा बलों ने इंफाल के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। 

मणिपुर से लेकर जिरीबाम तक सुलगी है हिंसा की आग
इंफाल से लेकर जिरीबाम तक हिंसा की जद में हैं। प्रदर्शनकारी राजधानी में भी हिंसक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वह भी विधानसभा से महज 200 मीटर दूर तक। जिरीबाम में 2 चर्च और 3 घरों में प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी। मणिपुर की आबादी महज 32 लाख है लेकिन इस आबादी को भी नियंत्रित करने में भी सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 

मणिपुर का सामाजित ताना-बाना क्या है?
मणिपुर में हिंसक झड़पों का इतिहास रहा है। मैतेई आबादी बहुसंख्यक है, वहीं आदिवासी, कुकी और नागा समुदाय के लोग 40 फीसदी हैं। इनमें कुकी 25 प्रतिशत हैं, वहीं नागा 15 प्रतिशत हैं। मैतेई इंफाल घाटी में रहते हैं, वहीं आदिवासी पहाड़ी जिलों में रहते हैं। मैतेई हिंदू हैं। 9 प्रतिशत मैतेई इस्लामिक हैं, जिन्हें मैतेई पंगल भी कहते हैं।

नागा और कुकी में थी दुश्मनी, मैतेई की वजह से हो गए एक
मैतेई कुकी और नागा की तुलना में ज्यादा वर्चस्व वाले हैं। सरकारी पदों से लेकर व्यापार तक में उनका दबदबा है। कुकी समुदाय से विवाद की एक वजह यह भी है। कुकी, पूर्वोत्तर में फैले हैं। मणिपुर में इन्हें सदियों पहले मैतेई राजाओं ने बसाया था। मकसद ये था कि इंफाल घाटी में मैतेई और नागा लोगों के बीच ये एक दीवार की तरह काम करें। जब नागालैंड विद्रोह हुआ, तब नागा उग्रवादियों ने दावा किया कि कुकी वहीं बसे हैं, जिन्हें अलग नागालैंड का हिस्सा होना चाहिए। साल 1993 में, मणिपुर में भीषण नागा-कुकी हिंसा देखी गई। नागा उग्रवादियों ने 100 से ज्यादा कुकी आबादी को मार दिया। कुकी और नागा समुदाय, वैसे तो एक दूसरे के विरोधी समुदाय माने जाते रहे हैं लेकिन इस बार दोनों, मैतेई समुदाय के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। 

मणिपुर हिंसा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल एक महिला। (तस्वीर-PTI)



मणिपुर हिंसा की वजह क्या है?
मई 2023 में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने मैतेई समुदाय को मिले अनुसूचित जनजाति (ST) के दर्जे के विरोध में  'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला था। चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में पहली बार हिंसा भड़की थी। मार्च का आयोजन नागा और कुकी समेत आदिवासियों ने किया था। मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को सिफारिश भेजने को कहा था।  तोरबंग में मार्च के दौरान हथियारबंद लोगों की एक भीड़ ने मैतेई समुदाय के लोगों पर हमला बोल दिया। पूरे राज्य में हिंसा भड़की और अब तक हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। कुकी, जिन इलाकों में बसे हुए थे, आरोप लगे कि मैतेई उन्हें भगाने लगे। अवैध रूप से बसे कुछ समूहों को सरकार ने विस्थापित किया, जिसके बाद से हिंसा और सुलग गई। तब से लेकर अब तक, हिंसा थमी नहीं है।