केरल के स्कूलों में कुछ अभिभावक जुम्बा डांस की ट्रेनिंग से नाराज हैं। जुम्बा डांस का क्रेज दुनियाभर में तेजी से बढ़ा है। केरल के कुछ स्कूलों में फिटनेस प्रोग्राम के तहत छात्र-छात्राओं की इसकी ट्रेनिंग दी जा रही थी, जिसे लेकर अब वहां के स्थानीय मुस्लिम समुदायों ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह इस्लाम में हराम है। कई स्कूलों ने छात्रों में तनाव कम करने और नशे की समस्या से निपटने के लिए जुम्बा प्रशिक्षण शुरू किया है। मौजूदा दौर में कम उम्र के बच्चे भी अवसाद का शिकार हो रहे हैं। इससे बचने के लिए जुम्बा डांस मददगार हो सकता है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इसे लेकर एक आदेश जारी किया था। अब ऐसे पहल का मुस्लिम संगठन ही विरोध कर रहे हैं।

मुस्लिम संगठनों ने इस पहल की आलोचना की है। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि जुम्बा डांस में अपने बच्चों को दाखिला दिलाने से पहले माता-पिता सोचें।  समस्त केरल सुन्नी युवजन संगम (SYS) के राज्य सचिव अब्दुस्समद पूक्कोट्टूर ने भी इसका विरोध जताया है। उन्होंने कहा है कि इस्लाम के बुनियादी वसूलों के ही खिलाफ जुम्बा डांस है। 

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केरल के मुस्लिम संगठनों को जुम्बा से ऐतराज क्यों?

विजडम इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन के महासचिव टीके अशरफ ने भी इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को अच्छी शिक्षा के लिए स्कूल में दाखिल कराया, न कि कम कपड़े पहनकर लड़के-लड़कियों के एक साथ संगीत पर नाचने की संस्कृति सीखने के लिए। टीके अशरफ भी पेशे से शिक्षक हैं। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार की इस पहल को वह लागू नहीं होने देंगे, भले ही उन्हें कोई कार्रवाई क्यों न झेलनी पड़े। टीके अशरफ ने कहा, 'कुछ लोग इसे प्रगतिशील मान सकते हैं, लेकिन मैं इस मामले में दकियानूसी हूं।'


समस्त केरल जामिय्यथुल उलमा के नेता नासर फैजी कूडाथाई ने भी जुम्बा डांस पहल की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जुम्बा डांस के लिए लोग कम कपड़े पहनते हैं। उन्होंने कहा, 'जुम्बा डांस के लिए लोग कम कपड़े पहनते हैं। यह छात्रों पर अश्लीलता थोपने जैसा है। यह छात्रों के निजी स्वतंत्रा और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इस्लाम के नैतिक मूल्य इसे स्वीकार नहीं करते हैं।'



इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के छात्र संगठन मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन (MSF) ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। MSF के राज्य अध्य पीके नवाल ने कहा, 'क्या शिक्षा विभाग ने इस फैसले से पहले कोई अध्ययन किया या छात्रों, शिक्षकों और माता-पिता से चर्चा की है। इसे कैसे लागू किया जा सकता है।

केरल के शिक्षा विभाग का क्या कहना है?

केरल के शिक्षा विभाग ने मुस्लिम संगठनों की तीखी आलोचना के बाद भी कहा कि जुम्बा पहल जारी रहेगी। केरल के उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदु ने कहा, 'हम 2025 में हैं, 19वीं सदी या मध्यकाल में नहीं। सबको समय के साथ सोचना चाहिए।'


बेसिक शिक्षा विभाग ने क्या कहा?

बेसिक शिक्षा विभाग ने भी जुम्बा पहल का समर्थन किया है। विभाग ने कहा है कि यह सरकार के नशा विरोधी और बचपन बचाओ अभियान का हिस्सा है। विभाग ने कहा है कि अलग-अलग अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि नसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे बच्चे नशे के जाल में आसानी से फंस सकते हैं। जुम्बा के जरिए बच्चों को स्वस्थ और सकारात्मक सोच दिया जा रहा है। 

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जुम्बा डांस क्या है, कब और कैसे शुरुआत हुई?

जुम्बा एक फिटनेस डांस प्रोग्राम है। जुम्बा डांस में गाने के साथ-साथ एरोबिक एक्सरसाइज कराई जाती है। इस डांस फॉर्मेट में साल्सा, मेरेंग्यू, कुम्बिया, रेगेटन, और हिप-हॉप जैसे डांस आर्ट को शामिल किया गया है। इस डांस प्रैक्टिस में बहुत ज्यादा एनर्जी लगती है। यह दौड़ने जितना ही प्रभावी होता है। जुम्बा की शुरुआत 1990 के दशक में कोलंबिया में हुई थी। इसे कोरियोग्राफर अल्बर्टो 'बेटो' पेरेज़ ने बनाया। साल 2001 के बाद यह पूरी दुनिया में लोकप्रिय होने लगा। 


जुम्बा डांस से होता क्या है? 

जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन एंड फिजिकल फिटनेस ने साल 2016 में एक रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट में कहा गया कि जुम्बा डांस से हार्ट दुरुस्त  रहता है, ब्लड प्रेशर कम होता है और हर दिन 300 से 600 तक कैलोरी बर्न कर सकता है। इससे वजन कम होता है। मांशपेशियों को मजबूत करता है। फ्रंटियर इन साइकोलॉजी ने साल 2019 में आई एक रिपोर्ट में कहा कि यह तनाव, अवसाद या डिप्रेशन कम करता है, आत्मविश्वास भरता है। जुम्बा हर वर्ग के लिए लाभकारी है।