बीते कुछ सालों में देश के कई राज्यों के किसान लगातार आंदोलनरत हैं। कभी महाराष्ट्र के किसान पैदल मार्च निकालते हैं तो कभी पंजाब के किसान ट्रैक्टर लेकर निकलते हैं। दिसंबर की सर्दियां शुरू होते ही राजधानी दिल्ली को किसानों का ताप फिर महसूस होने लगा है। इस बार ग्रेटर नोएडा के किसान दिल्ली कूच करने की तैयारी में हैं। नोएडा प्राधिकरण से बातचीत हो जाने और इसका कोई नतीजा न निकलने के बाद किसानों ने फैसला लिया है कि अब वे दिल्ली जाएंगे। पिछले कई दिनों से ये किसान नोएडा में ही प्रदर्शन कर रहे थे। दिल्ली में संसद सत्र चल रहा है और इस स्थिति में किसानों को जाने से रोकने के लिए पुलिस ने भी भरपूर तैयारी कर ली है। नोएडा और दिल्ली के बॉर्डर पर पुलिस के जवानों की संख्या बढ़ा दी गई है और कई रास्तों को बंद करके डायवर्जन भी लागू कर दिया गया है।

 

रविवार को किसानों और प्राधिकरण के अधिकारियों के बीच 3 घंटे तक मीटिंग हुई। किसान अपनी मांग पर अड़े रहे, अधिकारी उन्हें अपनी बात समझाते रहे और फैसला नहीं हो पाया। इस मीटिंग में गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी, यमुना प्राधिकरण के अधिकारी, नोएडा प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी भी शामिल थे। अधिकारी इन किसानों की मांग मानने पर सहमत नहीं हुए जिसके चलते किसानों ने दिल्ली जाने का फैसला किया। किसान नेताओं का कहना है कि अगर उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया जाता है तो वे अपना आंदोलन और तेज  करेंगे।

 

क्या चाहते हैं किसान?

 

आंदोलन पर उतरे किसानों का मुख्य मुद्दा जमीन के बदले मिलने वाला मुआवजा है। इन किसानों का कहना है कि गोरखपुर में बन रहे हाइवे के लिए किसानों को जमीन की कीमत का चार गुना पैसा मुआवजे के रूप में दिया गया जबकि नोएडा के किसानों को इतना लाभ नहीं दिया गया। एक मुद्दा यह भी है कि नोएडा में पिछले 10 साल से जमीनों का सर्किल रेट भी नहीं बढ़ा है जिसके चलते किसानों को नुकसान हो रहा है। किसानों की मांग है कि चार गुना मुआवजा दिया जाए और सर्किल रेट में भी बदलाव किए जाएं। 

 

 

इधर नोएडा के किसानों के अलावा हरियाणा और पंजाब के किसानों की भी दिल्ली कूच की तैयारी चल रही है। तय प्लान के मुताबिक, हरियाणा-पंजाब के किसा 6 दिसंबर को दिल्ली के लिए कूट करेंगे। इस बारे में किसान नेता सरवन सिंह पंढेर का कहना है कि पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसान दिल्ली के लिए मार्च करेंगे। इन किसानों की मुख्य मांग MSP की कानूनी गारंटी है। बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा से जुड़े किसान इस साल 13 फरवरी से ही शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। पुलिस ने उनके मार्च को आगे नहीं बढ़ने दिया था जिसके चलते वे 10 महीने से वहीं प्रदर्शन कर रहे हैं।

 

इन किसानों की मांग में MSP की गारंटी, किसानों के लिए कर्जमाफी, बिजली दरों में बढ़ोतरी पर रोक, पुलिस केस की वापसी, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, खेतिहर मजदूरों और किसानों के लिए पेंशन और शहीद किसानों के लिए मुआवजा शामिल है। किसान नेताओं का कहना है कि इस आंदोलन में जल्द ही दूसरे राज्यों जैसे कि तमिलनाडु, केरल और उत्तराखंड के किसान भी शामिल होंगे।