वक्फ विधेयक पर बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पैनल से 10 विपक्षी सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया है। शुक्रवार सुबह 11 बजे से बैठक की शुरुआत हुई और जमकर हंगामा भड़का। विपक्षी सांसदों ने बैठक के दौरान कहा कि वह मसौदे में कुछ बदलाव चाहते हैं, जिस पर रिसर्च के लिए उन्हें अवसर नहीं दिया जा रहा है।
संयुक्त संसदीय समिति कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले प्रतिमंडल के विचारों को सुना। मीरवाइज को ही बुलाने पर हंगामा भड़क गया और बैठक रोकनी पड़ी। विपक्षी सांसदों ने कहा है कि संयुक्त संसदीय बोर्ड की कार्यवाही सिर्फ एक तमाशा है।
क्यों सस्पेंड हुए हैं विपक्षी दलों के सासंद?
वक्फ बोर्ड पर बने संसदीय समिति की अध्यक्षता जगदंबिका पाल कर रहे हैं। जैसे ही उन्होंने विधेयक पर चर्चा शुरू की, विपक्षी दलों ने हंगामा बरपा दिया। विपक्षी दलों के सांसद मोहम्मद जावेद, ए राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नासिर हुसैन, मोहिबुल्लाह, मोहम्मद अब्दुल्लाह, अरविंद सावंत, नदीम उल हक और इमरान मसूद को एक दिन के लिए समिति से सस्पेंड कर दिया गया है।
भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने सदस्यों को बर्खास्त करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। इसे अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया। बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने विपक्ष की कार्यवाही को घिनौना बताया है। उन्होंने कहा है कि जगदंबिका पाल के खिलाफ असंसदीय बयान दिए गए हैं।
विधेयक की शुरुआत ही हंगामे के साथ हुई। विपक्ष ने आरोप लगाया कि हमें जांच पर बहस के लिए कुछ और वक्त चाहिए। मीरवाइज उमर फारूक को बुलाने पर शुरू हुआ हंगामा, निलंबन पर जाकर रुका। विपक्षी नेताओं का कहना है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों को साधने के लिए बीजेपी वक्फ के मुद्दे पर जल्द फैसला चाहती है।
क्यों बैठक टाल दी गई?
बैठक में जमकर गहमा-गहमी हुई। मीरवाइज के नेतृत्व वाला दल समिति के सामने पेश हुआ फिर प्रक्रियाएं शुरू हुईं। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी और कांग्रेस नेता नासिर हुसैन समिति की बैठक से उठकर बाहर चले गए। उन्होंने कमेटी के एक्शन को गलत बताया है। अगली बैठक 27 जनवरी को हो सकती है। कुछ सदस्यों ने अनुरोध किया है।
क्यों जरूरत पड़ी संसदीय समिति की?
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को संयुक्त संसदीय समिति के पास 8 अगस्त 2024 को भेजा गया था। लोकसभा में केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे पेश किया था। विधेयक में साल 1995 के वक्फ अधिनियम को संशोधित करने की बात की गई है।
निशिकांत दुबे ने क्यों निलंबन प्रस्ताव दिया?
निशिकांत दुबे ने कहा कि विपक्षी सांसदों का आचरण संसदीय परंपरा के खिलाफ है और वे बहुमत की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
मीरवाइज ने क्या कहा?
समिति के सामने पेश होने से पहले मीरवाइज ने कहा कि वह वक्फ संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध करते हैं। धर्म के मामलों में सरकार के हस्तक्षेप नहीं करने का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि हमारे सुझावों को सुना जाएगा और उन पर अमल किया जाएगा तथा ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा जो मुसलमानों को महसूस कराए कि उन्हें शक्तिहीन किया जा रहा है।'
मीर वाइज ने कहा, 'वक्फ का मुद्दा बहुत गंभीर मामला है, खासकर जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए। क्योंकि यह एक मुस्लिम बहुल राज्य है। कई लोगों को इस बारे में चिंताएं हैं और हमने इन चिंताओं के बिंदुवार समाधान के लिए एक विस्तृत ज्ञापन तैयार किया है। हम चाहते हैं कि सरकार वक्फ मामलों में हस्तक्षेप करने से बचे। जब मस्जिदों और मंदिरों की बात होती है तो जम्मू-कश्मीर में पहले से ही तनाव का माहौल है।'
मीरवाइज को क्यों बुलाया गया है?
मीरवाइज ने कहा, 'हमारा मानना है कि ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे जम्मू कश्मीर में माहौल खराब हो। यह पहली बार है जब लगभग निष्क्रिय हो चुके अलगाववादी समूह हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रमुख मीरवाइज ने पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद कश्मीर घाटी से बाहर कदम रखा है।