फिल्म 'पुष्पा' और 'पुष्पा 2' ने चंदन की लकड़ी के महत्व को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है। ये दोनों फिल्में लाल चंदन की अहमियत और उसकी तस्करी पर आधारित हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि इसकी मांग बहुत है लेकिन यह सिर्फ एक खास इलाके में ही होती है। यही वजह है कि इसकी कीमत खूब लगती है और मांग की अधिकता का फायदा तस्कर भी खूब उठाते हैं। चंदन के पेड़, इसकी खेती और लाल चंदन को लेकर कुछ तथ्य हैं, कुछ कहानियां हैं और कुछ अफवाहें भी हैं। कोई कहता है कि चंदन के पेड़ से सांप लिपटे रहते हैं तो कोई कहता है कि इसकी खेती की ही नहीं जा सकती है।

 

इन दावों की सच्चाई क्या है? लाल चंदन की वह खूबी क्या है जिसके चलते इसकी मांग इतनी ज्यादा है? आखिर क्या वजह है कि वैध तरीके से चंदन की लकड़ी बिकने के बावजूद इसकी तस्करी बड़े स्तर पर होने के आरोप लगते हैं और कई बार इस तरह के मामले सामने भी आते हैं। आइए इन सभी सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं।

क्या है लाल चंदन की कहानी?

 

आंध्र प्रदेश के दक्षिणी हिस्से नेल्लोर, कडपा, कुरनूल और चित्तूर के कुछ हिस्से में पहाड़ और जंगल हैं। यहीं पर शेषाचलम का जंगल। पुष्पा फिल्म में मुख्य रूप से इसी जंगल को दिखाया गया है। बीते कई दशकों से आंध्र प्रदेश का यह इलाका लाल चंदन की तस्करी की वजहों से चर्चाओं में रहा है। पहले सेशाचलम बायोस्फेयर रिजर्व के जंगलों में लाल चंदन के पेड़ काटने के खूब मामले सामने आते थे। यही वजह है कि आंध्र प्रदेश में स्टेट रेड सैंडर्स एंटी-स्मगलिंग टास्क फोर्स बनाई गई थी। अब भी गाहे-बगाहे तस्कर पकड़े ही जाते हैं लेकिन अब पुलिस और अन्य संस्थाएं भी ज्यादा सतर्क हो गई हैं।

 

बीते समय में ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में कई तस्करों ने चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की मांग पर लाल चंदन की लकड़ी की खूब तस्करी की। यही वजह है अब इसके पेड़ों की संख्या लगभग आधी हो गई है। इन लोगों ने लकड़ी को छिपाकर दूसरे देशों में भेजने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाए। कई बार ये अपने प्लान में सफल हुए तो कई ऐसे मौके भी आए जब तस्कर पुलिस की गोलियों का शिकार भी बने। कई बार पुलिसकर्मी भी तस्करों का शिकार बने और ऐसी मुठभेड़ों में कई पुलिसकर्मियों की जान भी गई।

 

तस्करी को रोकने के लिए साल 1994 के बाद से ही इसकी कटाई पर रोक लगा दी गई और इसे आंध्र प्रदेश से बाहर ले जाना गैरकानूनी घोषित कर दिया गया। यही वजह है कि इसे बेचने के लिए इसे चोरी-छिपे दूसरे राज्यों और फिर वहां से दूसरे देशों में भेजा जाता है। यही सब काम तस्कर करते थे और इसके लिए पूरा सिंडिकेट काम करता था। लाल चंदन की तस्करी करते हुए पकड़े जाने पर 11 साल तक की सजा हो सकती है।

क्यों खास है लाल चंदन?

 

शेषाचलम के जंगलों में मिलने वाला लाल चंदन वैसे कहीं पर भी उगाया जा सकता है लेकिन यहां उगने वाले लाल चंदन की अलग खूबियां हैं। यही वजह है कि इनकी मांग पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है। मोटे तौर पर समझें तो लाल चंदन का इस्तेमाल महंगे परफ्यूम बनाने, कॉस्मेटिक उत्पाद बनाने और कई अहम दवाओं में होता है, इसके औषधीय गुण भी हैं। यही वजह है कि इसकी मांग खूब है। कम क्षेत्र में इसकी मौजूदगी होना और पूरी दुनिया में मांग होना इसके लगातार चर्चा में रहने का कारण है। इसके महंगे होने का कारण यह भी है कि बेचने लायक तैयार होने में एक पेड़ को 15 से 20 साल लग जाते हैं।

 

यानी अगर आप लाल चंदन की खेती करना चाहें तो पौधे लगाने के बाद से आपको 15 से 20 साल तक इंतजार करना होगा। इसके बाद ही इसकी लकड़ी बेचने के लायक हो पाती है। बीते कुछ दशकों से इसकी खूब कटाई और तस्करी के चलते इसके पेड़ों की संख्या भी कम हो गई है जिसके चलते इसकी कीमत और भी ज्यादा बढ़ गई है। राज्य और केंद्र सरकार की ओर से इस पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए गए हैं जिसके चलते अवैध बाजार में इसकी कीमत और भी ज्यादा बढ़ जाती है और तस्कर इसकी ओर आकर्षित होते हैं।

 

लाल चंदन के औषधीय गुणों की बात करें तो यह ठंडक देता है, आराम पहुंचाता है और चोट को ठीक करने में काम आता है। ठंडक देने वाले गुण की वजह से पित्त दोष में इसका इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, त्वचा संबंधी समस्याओं में भी यह काफी फायदेमंद माना जाता है। कई तरह के फेसपैक, फेसवॉश और अन्य उत्पाद बनाने में भी इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है।

कैसे मिलता है लाल चंदन?

 

लाल चंदन निकालने के लिए पहले तो मोट और पुराने पेड़ों को काटा जाता है। जितना पुराना पेड़ होगा, उतना ही अच्छा चंदन मिलेगा। लाल चंदन के 20-25 साल पुराने पेड़ों को ज्यादा अच्छा माना जाता है। लाल चंदन निकालने के लिए पूरे पेड़ को ही काटा जाता है। इसके तने को काटकर लकड़ियां छोटी-छोटी करके भट्टियों में भेजी जाती हैं। भट्टियों में इसे सुखाया जाता है जिससे इसके अंदर की नमी खत्म हो जाए और कीड़े-मकोड़े मर जाएं। 

 

अपनी मजबूती के चलते इसका इस्तेमाल घर और फर्नीचर बनाने में भी किया जाता है। चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में लाल चंदन की लकड़ी से कई तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं। जापान का मशहूर वाद्ययंत्र शामीसेन लाल चंदन की लकड़ी से बनाया जाता है। 

क्या हर कोई कर सकता है लाल चंदन की खेती?

 

लाल चंदन की खेती करने के लिए खास अनुमति की जरूरत होती है। बिना अनुमति के आप चंदन के पेड़ नहीं लगा सकते हैं। इसके लिए आप अपने स्थानीय योजना विभाग से पता कर सकते हैं कि इसके लिए अगर अनुमति जरूरी है तो वह कैसे मिलेगी।

फिल्म से अलग है हकीकत

 

पुष्पा फिल्म में एक सीन में दिखाया गया है कि लाल चंदन की लकड़ियों को पानी में फेंक दिया जाता है और वे तैरकर कहीं और पहुंच जाती हैं। हालांकि, इसके बारे में कहा यह जाता है कि यह ऐसी लकड़ी है जो अपने भारीपन की वजह से पानी में डूब जाती है और यही असली लाल चंदन की पहचान भी है।