सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले पर हैरानी जताई कि जमानत मिलते ही सेंथिल बालाजी को तमिलनाडु सरकार में फिर से मंत्री बना दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब इस मामले की जांच की जाएगी कि कहीं सेंथिल बालाजी अपने पद का दुरुपयोग करके गवाहों को डरा तो नहीं रहे हैं। इस मामले में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ए जी मसीह ने सुनवाई की। हालांकि, इस बेंच ने जमानत देने वाले फैसले को पलटने से इनकार कर दिया। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट 26 सितंबर के अपने उस आदेश को वापस ले ले जिसमें सेंथिल बालाजी को जमानत दी गई थी।

 

जस्टिस ओका ने कहा, 'हम आपको जमानत देते हैं और आप अगले ही दिन जाकर मंत्री बन जाते हैं। हर किसी को यह साफ दिख रहा है कि अब आपके सीनियर मंत्री बन जाने से गवाह दबाव में आ जाएंगे। आखिर ये हो क्या रहा है?' सुप्रीम कोर्ट में याचिका देने वालों का तर्क है कि सेंथिल बालाजी को फिर से मंत्री बना देने से गवाह दबाव में हैं। कोर्ट ने कहा कि वह अपने फैसले को वापस तो नहीं ले रही है लेकिन यह जरूर पता लगाया जाएगा कि गवाह दबाव में हैं या नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को रखी है।

क्या है पूरा मामला?

 

तमिलनाडु की डीएमके सरकार में मंत्री सेंथिल बालाजी को 14 जून 2023 को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि वह वह जॉब स्कैम से जुड़े हैं। यह मामला तब का था जब वह पिछली AIADMK सरकार में ट्रांसपोर्ट मंत्री हुआ करते थे। ईडी ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया था।

 

26 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी को जमानत दे दी थी। वह लगभग एक साल तक जेल में रहे थे। जेल से लौटते ही तमिलनाडु सरकार में उन्हें फिर से मंत्री बना दिया गया था और अब भी वह मंत्री ही हैं।