उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला परिसर में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की भी मूर्ति लगी है। उनकी प्रतिमा लगने पर हिंदू संतों ने नाराजगी जाहिर की है। एख शिविर में सपा संस्थापक की प्रतिमा स्थापित की गई है।
हिंदू संतों का कहना है कि मुलायम सिंह जीवनभर हिंदू विरोधी रहे तो उनका कुंभ में क्या काम है। मुलायम सिंह यादव स्मृति सेवा संस्थान की ओर से सेक्टर 16 के शिविर के बाहर मुलायम सिंह की प्रतिमा स्थापित हुई है। इस प्रतिमा की ऊंचाई 2 से 3 फीट ऊंची है।
हिंदू संतों की आपत्ति क्या है?
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस प्रतिमा पर नाराजगी जाहिर की है। परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव हमेशा से हिंदू विरोधी और सनातन विरोधी विचार रखते थे। महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा हिंदुओं पर अत्याचार और उनकी हत्या की याद दिलाती है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा, 'हमें मुलायम सिंह की मूर्ति पर कोई आपत्ति नहीं है। वह हमारे मुख्यमंत्री रहे हैं। लेकिन वे इस समय मूर्ति स्थापित करके क्या संदेश देना चाहते हैं। सभी जानते हैं कि राम मंदिर आंदोलन में उनका क्या योगदान रहा है। वह हमेशा हिंदू विरोधी, सनातन विरोधी और मुसलमानों के पक्षधर रहे हैं।' जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने पुरी ने भी मुलायम सिंह की प्रतिमा पर आपत्ति जताई है।
क्यों महाकुंभ में लगी है मुलायम सिंह की मूर्ति?
समाजवादी पार्टी के नेता माता प्रसाद पांडे ने मुलायम सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया था। उन्होंने कहा था कि सपा के शिविर का मकसद मुलायम सिंह यादव के विचारों और विचारों को बढ़ावा देना है। माता प्रसाद पांडेय ने कहा, 'तीर्थयात्रियों और अन्य लोगों का शिविर में आने, भोजन करने और वहां रहने के लिए स्वागत है।'
महाकुंभ के बाद हटेगी प्रतिमा
माता प्रसाद पांडेय ने कहा, 'प्रतीकात्मक रूप से मुलायम सिंह यादव की एक छोटी प्रतिमा स्थापित की गई है। महाकुंभ के बाद मूर्ति को पार्टी कार्यालय में स्थापित किया जाएगा।'
क्यों नाराज हुए हैं संत?
मुलायम सिंह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक थे। वह उत्तर प्रदेश के 3 बार मुख्यमंत्री और देश पूर्व रक्षा मंत्री रहे हैं। वह 10 बार विधायक और सात बार सांसद चुने गए। आजमगढ़ और मैनपुरी उनका सियासी गढ़ रहा। 10 अक्टूबर, 2022 को उनका निधन हो गया था। उन्हें उनके आलोचक हिंदू विरोधी कहते रहे हैं। उन पर मुस्लिम तुष्टीकरण के भी आरोप लगते रहे हैं।
30 अक्तूबर 1990 को अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई थीं, जिसमें 5 लोग मारे गए थे। 2 नवंबर को भी फायरिंग हुई जिसमें कई लोग मारे गए थे। कोठारी बंधुओं की भी इसी दौरान मौत हुई थी। मुलायम सिंह तब मुख्यमंत्री थे। उनकी आजीवन इस आदेश को लेकर आलोचना होती रही है।