कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक केस को खारिज कर दिया जिसमें एक महिला ने ससुराल छोड़ने के तीन साल बाद अपने पति के ऊपर IPC की धारा 498A के तहत क्रूरता का आरोप लगाया था. पत्नी ने साल 2020 में पति का घर छोड़ दिया था और उसके बाद 2023 में पति के खिलाफ क्रूरता का मामला दर्ज कराया.

 

केस को खारिज करते हुए जस्टिस शंपा (दत्त) पाल ने कहा, 'दोनों मामलों में आरोप-प्रत्यारोप दोनों पक्षों के बीच शादी से जुड़े विवाद से उत्पन्न हुए हैं। यह भी देखा गया है कि वर्ष 2020 से, जब उसने पहला मामला दर्ज किया था, तब से शिकायतकर्ता ने अपना ससुराल छोड़ दिया है और अब लगभग तीन वर्षों के बाद वर्तमान मामला शुरू किया है। न्याय के हित में और कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए... मामला रद्द किया जाता है।'

 

वर्तमान पुनर्विचार आवेदन में पश्चिम मेदिनीपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए/323/307/34 के तहत 2023 में दर्ज कार्यवाही को इस आधार पर रद्द करने की मांग की गई कि यह उसी आरोप पर दूसरी एफआईआर है। 

पहले से भी चल रहा था मुकदमा

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले से ही उसी तरह के एक मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए/323/506/34 के तहत दायर उसी आरोप पर मुकदमा लड़ रहा है।

 

कपिल अग्रवाल एवं अन्य बनाम संजय शर्मा एवं अन्य के सुप्रीम कोर्ट के मामले का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा कि हालांकि एक ही मामले में अलग अलग शिकायतें किए जाने की इजाजत है लेकिन वर्तमान मामले में दूसरी शिकायत तीन साल बाद की जा रही है, वह भी पति का घर छोड़ने के बाद।

 

बता दें कि पति-पत्नी के बीच विवाद, तलाक और महिला को दी जाने वाली मेंटेनेंस को सुप्रीम कोर्ट ने भी 8 बिंदुओं पर विचार करने को कहा है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने बताया है कि मेंटेनेंस महिला के बेहतर जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए न कि किसी को सज़ा देने के लिए।