योगी सरकार में कैबिनेट में शामिल आशीष पटेल ने यूपी एसटीएफ पर उनके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर उन्हें कुछ भी होता है तो इसकी जिम्मेदारी एसटीएफ की होगी। आशीष पटेल अपना दल (सोनेलाल) से विधायक हैं। उनकी पत्नी अनुप्रिया पटेल केंद्र की मोदी सरकार में राज्य मंत्री हैं।


आशीष पटेल पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। उनकी पत्नी अनुप्रिया की बहन पल्लवी पटेल ने तकनीकी शिक्षा विभाग में 250 पदों पर प्रमोशन में अनियमितता और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। पल्लवी पटेल समाजवादी पार्टी से विधायक हैं। हालांकि, आशीष ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज किया है।

आशीष पटेल ने क्या कहा?

यूपी सरकार में मंत्री आशीष पटेल ने X पर पोस्ट कर कहा कि अगर उनके साथ कुछ भी अनहोनी होती है तो इसकी जिम्मेदारी एसटीएफ की होगी।


अपने ऊपर लगे आरोपों पर उन्होंने कहा कि सारे प्रमोशन समिति की सहमति के आधार पर हुए हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक चरित्र हनन के इन दुष्प्रयासों को रोकने के लिए उनकी ओर से लिए गए सारे फैसलों की सीबीआई जांच भी करा सकते हैं। उन्होंने अपनी संपत्ति की जांच कराने की भी चुनौती दी है।


प्रमोशन में अनियमितता के आरोपों पर आशीष पटेल ने कहा, 'पर्दे के पीछे सामाजिक न्याय की आवाज को कुचलने का खेल जारी है । वास्तव में पदोन्नति के इस मामले में कुछ लोगों के कलेजे में कांटा लगने का कारण उन ओबीसी और वंचित वर्ग को लाभ मिलना है, जिनके अधिकारों की सालों से हकमारी की जा रही थी।'


अपनी पोस्ट में सबसे आखिरी में उन्होंने लिखा कि अगर उनके साथ कोई दुर्घटना होती है तो इसकी सारी जिम्मेदारी यूपी एसटीएफ की होगी।

 

सिर्फ मंत्री को ही दोष क्यों?: पटेल

इस पोस्ट के बाद आशीष पटेल ने कहा कि अगर राज्य का कैबिनेट मंत्री इस तरह के दावे कर रहा है तो इसका कुछ तो आधार होगा। उन्होंने कहा कि प्रमोशन पर मुख्यमंत्री कार्यालय समेत सभी स्तरों पर चर्चा की गई। प्रमुख सचिव ने डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी की बैठक बुलाई थी। 


उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा, 'इस राजनीतिक साजिश के पीछे जो लोग भी हैं, उनसे मेरा कहना है कि प्रमोशन में कुछ भी गलत नहीं हुआ। लेकिन अगर हम उनके निराधार आरोपों को स्वीकार भी करते हैं, तो केवल मंत्री को ही दोषी क्यों ठहराया जाए? बाकी अधिकारियों को जांच से छूट क्यों मिले? इस तर्क से प्रमुख सचिव और पूरे सिस्टम को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। इसमें चुन-चुनकर नाम क्यों घसीटे जा रहे हैं?'