महाराष्ट्र की राजनीति में दमदार रसूख रखने वाला पवार परिवार पिछले एक-डेढ़ साल में बंट सा गया है। लोकसभा चुनाव में बारामती में ननद-भौजाई का मुकाबला हुआ तो विधानसभा में चाचा-भतीजे का आमना-सामना होने जा रहा है। इसी को लेकर अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने ही परिवार में फूट डाली है। सोमवार को बारामती में पर्चा भरने के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए अजित पवार इमोशनल हो गए। उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी सुनेत्रा को लड़ाने को लेकर वह गलती स्वीकार कर चुके थे फिर भी ऐसा किया गया।

 

दरअसल, बारामती सीट पवार परिवार का गढ़ रही है। लंबे समय से अजित पवार इसी सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं। इस चुनाव में भी अजित पवार अपनी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, शरद पवार ने अपने पोते युगेंद्र पवार को इसी सीट से चुनाव में उतारकर मामले को बेहद रोमांचक बना दिया है। इसी को लेकर अजित पवार भावुक हो गए हैं और वह शरद पवार पर जुबानी हमला बोलते नजर आ रहे हैं।

'मेरी मां ने कहा था...'

अजित पवार ने बारामती में जनता को संबोधित करते हुए कहा, 'मैंने मान लिया था कि मुझसे गलती हुए लेकिन ऐसा लगता है कि अब वे लोग गलतियां कर रहे हैं। मेरा परिवार और मैं इस बात पर सहमत हुए थे कि मैं बारामती से चुनाव में उतरूंगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चुनौतियों के बावजूद हमने स्थिति बेहतर की है। मेरी मां ने सुझाव दिया था कि वे लोग मेरे खिलाफ किसी को न उतारें। हालांकि, अब मुझे पता चला है कि साहेब ने किसी को मेरे खिलाफ पर्चा भरने को कहा है। साहेब ने ही परिवार में फूट डाली है। मुझे सिर्फ इतना ही कहना है कि राजनीति इतने निचले स्तर तक नहीं गिरनी चाहिए क्योंकि एक होने में पीढ़ियां लगी हैं।'

 

अजित पवार ने भरोसा भी जताया है कि वह बारामती से चुनाव जरूर जीतेंगे और महायुति की सरकार भी बनेगी। युगेंद्र के चुनाव लड़ने पर अजित ने कहा, 'लोकतंत्र में हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार है। नामांकन भरने के बाद मुझे भरोसा है कि लोग मुझे खूब वोट देंगे। आज मैंने रोडशो में ही देखा कि लोगों में कितना उत्साह है। मैं आपसे यही कहना चाहता हूं कि वोटिंग के दिन तक यही उत्साह बनाए रखें।'

क्या है बारामती का किस्सा?

बारामती विधानसभा सीट पर पवार परिवार का वर्चस्व रहा है। 1962 में मालतीबाई शिरोले ने चुनाव जीता था। 1967 में कांग्रेस ने शरद पवार को चुनाव लड़ाया। शरद पवार इसी विधानसभा सीट से लगातार 6 बार चुनाव जीते। 1991 में जब वह केंद्र की राजनीति में गए तो उन्होंने अपने भतीजे अजित पवार को इसी सीट से चुनाव लड़वाया। 1991 के उपचुनाव समेत कुल 7 बार अजित पवार इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि, एनसीपी के दो धड़े हो जाने के बाद अजित पवार अब अपने ही भतीजे युगेंद्र पवार के सामने हैं।